नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में चुनावी बिगुल बज चुका है. अगले महीने छात्र संघ का चुनाव होना है. सभी छात्र संगठन अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हैं. वहीं, अब लेफ्ट छात्र संगठन ने मैदान में उतरने की तैयारी कर ली है. आइसा और एसएफआई छात्र संघ चुनाव में चार सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. जल्द ही दोनों छात्र संघटन उम्मीदवारों की लिस्ट भी जारी करेंगे. ऐसे में दोनों छात्र संगठन कौन-कौन से मुद्दे लेकर छात्रों के बीच चुनाव में जाएंगे, आइए जानते हैं.
छात्र से जुड़े मुद्दे पर एसएफआई की तैयारी: एसएफआई के दिल्ली कन्वीनर अमन ने बताया कि चुनाव को लेकर तैयारी चल रही है. कौन से चार उम्मीदवार को मैदान में उतारा जाएगा इस पर मंथन चल रहा है. उन्होंने बताया कि छात्र से जुड़े मुद्दे के साथ वह चुनावी मैदान में उतरेंगे. जैसे दिल्ली मेट्रो में छात्रों के पास में रियायत दिलाने की मांग रहेगी. दिल्ली विश्व विद्यालय के परिसर में कभी बस संचालित होती थी उसे दोबारा से शुरू करवाना मुद्दा रहेगा. चार साल वाले स्नातक पाठ्यक्रम को वापिस करवाने की मांग होगी.
3 साल वाला स्नातक पाठ्यक्रम लागू किया जाए. न्यू एजुकेशन पॉलिसी को वापिस लेने की मांग होगी. डीयू के कॉलेज में विभिन्न पाठ्यक्रम में फीस वृद्धि का मुद्दा होगा. हॉस्टल नहीं होने की समस्या उठाया जाएगा. इसके साथ ही चुनाव के नाम पर एबीवीपी की गुंडागर्दी के खिलाफ मुद्दा होगा. डीयू के कॉलेज में सुरक्षा का मुद्दा होगा. उन्होंने बताया कि आइसा के साथ गंठबंधन की बात चल रही है. अगर सबकुछ ठीक रहा तो नामांकन से पहले गंठबंधन का ऐलान किया जाएगा. वहीं एसएफआई अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जल्द ही जारी करेगी.
क्या है आइसा के मुद्दे: आइसा दिल्ली यूनिवर्सिटी के आधार अभिज्ञान ने बताया कि चुनाव पूरी मजबूती के साथ आइसा लड़ेगा. एसएफआई के साथ गठबंधन पर अभी कहना थोड़ी जल्दबाजी होगी. लेकिन इस पर विचार किया जा रहा है. अगर चुनाव में हमारे बीच गठबंधन हुआ तो चार सीट पर सोच विचारकर संयुक्त उम्मीदवार घोषित किया जाएगा.
फिलहाल, आइसा डीयू से संबद्ध कई कॉलेज में चार साल के स्नातक पाठ्यक्रम के खिलाफ मुहिम चला रही है. इस कड़ी में 5 सितंबर को नॉर्थ कैंपस आर्ट्स फैकल्टी के बाहर विरोध प्रदर्शन भी किया जाएगा. उन्होंने कहा कि भले ही चार साल तक छात्र संघ के चुनाव नहीं हुए. लेकिन हमने लॉकडाउन के दौरान
ऑनलाइन परीक्षाओं के खिलाफ कैंपस को फिर से खोलने के लिए आंदोलन किया. फीस वृद्धि को लेकर चुनाव में मुद्दे उठाएंगे. वहीं, मुख्य मुद्दा चार साल का पाठ्यक्रम होगा. क्योंकि, हमने FYUP को लेकर रिपोर्ट कार्ड' जारी किया. जिसमे 87% छात्रों ने इस नीति को खारिज कर दिया है.
गठबंधन पर एबीवीपी की प्रतिक्रिया: एबीवीपी के राष्ट्रीय मीडिया संयोजक आशुतोष सिंह का कहना है कि एसएफआई और आइसा पूर्व के छात्र संघ चुनाव में भी साथ उतर चुके हैं. इसका कोई ज्यादा असर डीयू के छात्र संघ चुनाव में नहीं पड़ता है. डीयू के छात्र जानते हैं कि एबीवीपी ही वह संघटन है जो उनके मुद्दे प्रशासन के सामने उठाती रही है. वहीं, एनएसयूआई इस पर अभी कुछ नहीं कहना चाहती है.
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