नई दिल्ली: पिछले दो सालों से कोरोना महामारी ने डेरा जमा रखा है. जिसके चलते लोग कोरोना के बाद लॉकडाउन से सबसे ज्यादा डरते हैं. कारण है बंदिशें. वो बंदिशें जो लगाई तो मजबूरी में जाती हैं लेकिन उनका पालन करने में लोगों को अपनी ज़रूरतें सीमित करनी पड़ जाती हैं.
ऐसा तब होता है जबकि सरकार तमाम ज़रूरी सेवाओं को लॉकडाउन के नियमों में छूट देती है. कोरोना की दूसरी लहर में दिल्ली में हुए लॉकडाउन में भी लोगों का अनुभव कुछ ऐसा ही है.
छूट मिलने के बाद भी कई जरूरते नहीं हो रहीं पूरी
मौजूदा समय में राजधानी दिल्ली में आई कोरोना की दूसरी लहर में बीते 20 अप्रैल को लॉकडाउन घोषित किया गया था. लगातार मना करने के बावजूद जब दिल्ली में कोरोना की स्थिति लगातार बिगड़ रही थी. तब जाकर अरविंद केजरीवाल को लॉकडाउन घोषित करना पड़ा.
इस दौरान पहले लॉकडाउन के अनुभवों से सबक़ लेकर दिल्ली सरकार ने कई ऐसी चीज़ों में भी छूट दी. जिनकी ज़रूरत लॉकडाउन के दौरान भी होती है. मसलन इस बार बसों और मेट्रो में लोगों के लिए पाबंदी नहीं लगाई गई थी.
इसके साथ ही ऐसी कई अन्य श्रेणियों को छूट दी गई थी. हालांकि इस दौरान भी टेलर, इलेक्ट्रिशन, प्लंबर, नाई जैसे कई लोग हैं, जिन्हें अपना काम बंद रखना पड़ा. आमतौर पर ये सुविधाएं लोगों को डोरस्टेप पर मिलती थीं लेकिन अब ये सेवाएं शहर में ढूढ़ने से भी नहीं मिल पा रही हैं.
“AC ख़राब हुआ पर ठीक करने वाला कोई नहीं”
दिल्ली के नेताजी सुभाष प्लेस इलाक़े में रहने वाली दक्ष कौर बताती है कि पिछले दिनों उनके घर का AC ख़राब हुआ. हर बार इसकी सर्विसिंग हो जाती थी लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते ये मुमकिन नहीं हो पाया. बिना AC सर्विसिंग AC चला तो लिया लेकिन दो दिन बाद ही उसमें समस्या आ गई तो अब दक्ष और उनका परिवार मैकेनिक की तलाश में है.
पास के जिस दुकानदार से आमतौर पर AC ठीक कराया जाता था, उसकी दुकान बंद है. पहले तो कोई मैकेनिक म मिल नहीं रहा है और ऑनलाइन अगर कोई सर्विस बुक भी की जाए तो कोरोना का ख़तरा है. ऐसे में दक्ष का परिवार परेशान है.
रितिका अपने चार्जर के लिए परेशान
करोलबाग इलाक़े में रहने वाली सिविल सर्विस एसपिरेंट रितिका भारद्वाज कहती हैं कि सरकार बेशक ज़रूरत की चीजें लॉकडाउन से बाहर रखने का दावा करती है लेकिन सच्चाई है कि वक्त के साथ इंसान की ज़रूरतें बदलती हैं. वो बताती है कि लॉकडाउन घोषित होने के अगले ही दिन उनका फ़ोन चार्जर ख़राब हो गया.
उन्हें लगा था कि ऑनलाइन मिल ही जाएगा लेकिन जिन ई-कॉमर्स कंपनियों से इसके लिए उम्मीद थी, वो आजकल ऐसी चीजें डिलीवर नहीं कर रहीं. फ़ोन चार्जर तो ज़रूरत है, अब उसके बिना काम कैसे हो. हालांंकि रितिक अपने नए पड़ोसी से चार्जर मांगकर काम चला रही हैं.
ऑनलाइन उपलब्ध हैं कई सेवाएं
ऐसी कई कंपनियां है जो लॉकडाउन के दौरान इलेक्ट्रिशियन, प्लंबर और अन्य ज़रूरी चीज़ों की उपलब्धता घर पर ही करा रहीं हैं. हालाँकि मौजूदा समय में महामारी के डर को देखते हुए लोग इनका इस्तेमाल कम ही कर रहे हैं. वहीं ये सेवाऐं महंगी भी हैं, जिसके चलते लोग इनका इस्तेमाल करने से बच रहे हैं.