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पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों का छलका दर्द, कहा- सरकार हमें रहने की जगह नहीं दे सकती तो भेज दे पाकिस्तान - pm uday yojana

दिल्ली में भाटी माइंस (संजय कॉलोनी) में रहने वाले पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों ने अपने इलाकों को पीएम उदय योजना के प्रपोजल से हटाए जाने के बाद गुहार लगाई है. लोगों का कहना है कि अगर सरकार उनकी मदद नहीं कर सकती तो वे उन्हें वापस पाकिस्तान भेज दें.

Hindu refugees living in Bhati Mines
Hindu refugees living in Bhati Mines
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Published : Jan 13, 2023, 9:58 AM IST

भाटी माइंस को लेकर हिंदू शरणार्थियों का प्रदर्शन

नई दिल्ली: सन् 1947 में हुए बंटवारे का दर्द आज भी लोगों के दिलों में है, लेकिन क्या आप जानते हैं अब भी कुछ ऐसे लोग हैं जो पाकिस्तान से विस्थापित होने के बाद अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. दिल्ली के भाटी माइंस में रह रहे पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थी अपने हक के लिए आवाज उठा रहे हैं. उनका कहना है कि केंद्र और दिल्ली सरकार यदि उन्हें उनका हक नहीं दे सकती तो वे उन्हें वापस पाकिस्तान भेज दें.

दरअसल, दक्षिणी दिल्ली में भाटी माइंस इलाके में रहने वाले हिंदू शरणार्थी, आज भी बंटवारे का दंश झेल रहे हैं. इसके लिए अब लोग यहां पर प्रदर्शन कर रहे हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि पीएम उदय योजना के प्रपोजल में भाटी माइंस का नाम आया था, जिससे लोगों में इसे लेकर काफी खुशी थी. योजना के तहत सर्वे भी शुरू हो गया था, लेकिन 7 दिसंबर 2022 को डीडीए द्वारा जारी एक सर्कुलर ने भाटी माइंस में रहने वाले लोगों के होश उड़ा दिए. डीडीए द्वारा जारी किए गए एक सर्कुलर में भाटी मांइस सहित नौ जगहों का नाम था, जिन्हें पीएम उदय योजना से वंचित कर दिया गया.

आजादी के बाद जब हिंदू शरणार्थी यहां आए थे, तब यहां माइनिंग की जाती थी. उस वक्त मजदूर वर्ग के लोग माइंस में जाकर काम किया करते थे. कुछ सालों बाद इस इलाके को ग्राम सभा में बदल दिया गया था, लेकिन माइनिंग का काम बंद होने के बाद इसे फॉरेस्ट लैंड घोषित कर दिया गया. तभी से यहां के लोगों में अपने घरों को लेकर चिंता बढ़ने लगी कि न जाने कब इनका घर ध्वस्त कर दिया जाएगा. हालांकि पीएम उदय योजना में जब संजय कॉलोनी भाटी माइंस का नाम आया, तो यहां के लोगों के अंदर आशा की एक किरण जागी. लेकिन जब से इस इलाके को पीएम उदय योजना से बाहर किया गया, तब से यहां के लोग बेहद नाराज हैं.

यह भी पढ़ें-दिल्ली के असोला भाटी जंगल में दिखे लेपर्ड के दो बच्चे, वन विभाग उत्साहित

भाटी माइंस इलाके में पूरे भारत से अलग-अलग समुदाय के लोग रहते हैं, लेकिन यहां पर मुख्य रूप से गौड़ समाज के लोग काफी ज्यादा हैं. यह हिंदू धर्म के लोग हैं. आजादी से पहले ये पूरे भारत में विभिन्न जगहों पर रहकर अपनी रोजी रोटी कमाते थे. लेकिन सन् 1947 में जब भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ, तो कई लोग पाकिस्तान से भारत आ गए और यहीं भाटी माइंस में रहकर गुजर बसर करने लगे. लेकिन अब यहां के लोग अपनी जमीन को लेकर काफी चिंतित हैं.

यह भी पढ़ें-अफगानिस्तान से 55 सिख एवं हिंदू शरणार्थी दिल्ली पहुंचे

भाटी माइंस को लेकर हिंदू शरणार्थियों का प्रदर्शन

नई दिल्ली: सन् 1947 में हुए बंटवारे का दर्द आज भी लोगों के दिलों में है, लेकिन क्या आप जानते हैं अब भी कुछ ऐसे लोग हैं जो पाकिस्तान से विस्थापित होने के बाद अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. दिल्ली के भाटी माइंस में रह रहे पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थी अपने हक के लिए आवाज उठा रहे हैं. उनका कहना है कि केंद्र और दिल्ली सरकार यदि उन्हें उनका हक नहीं दे सकती तो वे उन्हें वापस पाकिस्तान भेज दें.

दरअसल, दक्षिणी दिल्ली में भाटी माइंस इलाके में रहने वाले हिंदू शरणार्थी, आज भी बंटवारे का दंश झेल रहे हैं. इसके लिए अब लोग यहां पर प्रदर्शन कर रहे हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि पीएम उदय योजना के प्रपोजल में भाटी माइंस का नाम आया था, जिससे लोगों में इसे लेकर काफी खुशी थी. योजना के तहत सर्वे भी शुरू हो गया था, लेकिन 7 दिसंबर 2022 को डीडीए द्वारा जारी एक सर्कुलर ने भाटी माइंस में रहने वाले लोगों के होश उड़ा दिए. डीडीए द्वारा जारी किए गए एक सर्कुलर में भाटी मांइस सहित नौ जगहों का नाम था, जिन्हें पीएम उदय योजना से वंचित कर दिया गया.

आजादी के बाद जब हिंदू शरणार्थी यहां आए थे, तब यहां माइनिंग की जाती थी. उस वक्त मजदूर वर्ग के लोग माइंस में जाकर काम किया करते थे. कुछ सालों बाद इस इलाके को ग्राम सभा में बदल दिया गया था, लेकिन माइनिंग का काम बंद होने के बाद इसे फॉरेस्ट लैंड घोषित कर दिया गया. तभी से यहां के लोगों में अपने घरों को लेकर चिंता बढ़ने लगी कि न जाने कब इनका घर ध्वस्त कर दिया जाएगा. हालांकि पीएम उदय योजना में जब संजय कॉलोनी भाटी माइंस का नाम आया, तो यहां के लोगों के अंदर आशा की एक किरण जागी. लेकिन जब से इस इलाके को पीएम उदय योजना से बाहर किया गया, तब से यहां के लोग बेहद नाराज हैं.

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भाटी माइंस इलाके में पूरे भारत से अलग-अलग समुदाय के लोग रहते हैं, लेकिन यहां पर मुख्य रूप से गौड़ समाज के लोग काफी ज्यादा हैं. यह हिंदू धर्म के लोग हैं. आजादी से पहले ये पूरे भारत में विभिन्न जगहों पर रहकर अपनी रोजी रोटी कमाते थे. लेकिन सन् 1947 में जब भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ, तो कई लोग पाकिस्तान से भारत आ गए और यहीं भाटी माइंस में रहकर गुजर बसर करने लगे. लेकिन अब यहां के लोग अपनी जमीन को लेकर काफी चिंतित हैं.

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