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पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने पर रोक की मांग, हाईकोर्ट ने सुनवाई करने से किया इनकार - delhi news

दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने पर रोक के लिए दायर याचिका पर हाइकोर्ट ने सुनवाई करने से इंकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि इसी तरह के मामले में सुप्रीम कोर्ट पहले से सुनवाई कर रहा है. वहीं 16 अक्टूबर को इसके लिए एक कमेटी भी गठित की गई है.

High court refuses to hear demand for ban on burning stubble
पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने पर रोक की मांग
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Published : Oct 22, 2020, 1:49 PM IST

नई दिल्ली: हाईकोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और उत्तरप्रदेश में पराली जलाने पर रोक की मांग को लेकर लगाई याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले से इसी तरह के मामले पर सुनवाई कर रहा है और पिछले 16 अक्टूबर को एक कमेटी भी गठित कर दी गई है.

पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने पर रोक की मांग
सुप्रीम कोर्ट ने गठित की है कमेटी
आज सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि इसी तरह की याचिका सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है. सुप्रीम कोर्ट पराली पर नियंत्रण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन भी किया है. तब हाईकोर्ट ने कहा कि समानांतर सुनवाई करना सही नहीं है. पिछले 28 सितंबर को हाईकोर्ट ने केंद्र ,केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और तीनों राज्यों को नोटिस जारी किया था.


पराली के धुएं से फेफड़ा कमजोर होगा
याचिका सुधीर मिश्रा ने दायर किया था. याचिकाकर्ता की ओर से ऋत्विक नंदा ने कहा था कि पराली जलाने से कोरोना की स्थिति और खराब हो सकती है. पराली का धुंआ लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है. याचिका में कहा गया था कि पंजाब, हरियाणा और उत्तरप्रदेश से आनेवाले पराली के धूंए से समूचा उत्तर भारत गैस चैंबर में तब्दील हो जाएगा. पराली के धूंएं का सीधा असर फेफड़ों पर होता है, फेफड़े कमजोर होने लगते हैं और फेफड़ा कमजोर होने से कोरोना का संक्रमण बढ़ने का खतरा ज्यादा है.


बढ़ेगा कोरोना संक्रमण का खतरा
याचिका में कहा गया था कि कोरोना की वजह से पूरे देश में 92 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. कोरोना से मौत की सबसे बड़ी वजह से फेफड़ो के कमजोर होने से सांस लेने में दिक्कत और आक्सीजन की मात्रा में कमी को बताया जाता है. याचिका में कहा गया था कि अगर समय रहते पराली जलाने से नहीं रोका गया तो इससे जो धुंआ फैलेगा, उससे लोगों के फेफड़े और ज्यादा कमजोर हो जाएंगे.

नई दिल्ली: हाईकोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और उत्तरप्रदेश में पराली जलाने पर रोक की मांग को लेकर लगाई याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले से इसी तरह के मामले पर सुनवाई कर रहा है और पिछले 16 अक्टूबर को एक कमेटी भी गठित कर दी गई है.

पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने पर रोक की मांग
सुप्रीम कोर्ट ने गठित की है कमेटी
आज सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि इसी तरह की याचिका सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है. सुप्रीम कोर्ट पराली पर नियंत्रण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन भी किया है. तब हाईकोर्ट ने कहा कि समानांतर सुनवाई करना सही नहीं है. पिछले 28 सितंबर को हाईकोर्ट ने केंद्र ,केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और तीनों राज्यों को नोटिस जारी किया था.


पराली के धुएं से फेफड़ा कमजोर होगा
याचिका सुधीर मिश्रा ने दायर किया था. याचिकाकर्ता की ओर से ऋत्विक नंदा ने कहा था कि पराली जलाने से कोरोना की स्थिति और खराब हो सकती है. पराली का धुंआ लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है. याचिका में कहा गया था कि पंजाब, हरियाणा और उत्तरप्रदेश से आनेवाले पराली के धूंए से समूचा उत्तर भारत गैस चैंबर में तब्दील हो जाएगा. पराली के धूंएं का सीधा असर फेफड़ों पर होता है, फेफड़े कमजोर होने लगते हैं और फेफड़ा कमजोर होने से कोरोना का संक्रमण बढ़ने का खतरा ज्यादा है.


बढ़ेगा कोरोना संक्रमण का खतरा
याचिका में कहा गया था कि कोरोना की वजह से पूरे देश में 92 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. कोरोना से मौत की सबसे बड़ी वजह से फेफड़ो के कमजोर होने से सांस लेने में दिक्कत और आक्सीजन की मात्रा में कमी को बताया जाता है. याचिका में कहा गया था कि अगर समय रहते पराली जलाने से नहीं रोका गया तो इससे जो धुंआ फैलेगा, उससे लोगों के फेफड़े और ज्यादा कमजोर हो जाएंगे.

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