नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली के वित्त विभाग को छह नवनिर्मित सरकारी स्कूल भवनों के संबंध में पीडब्ल्यूडी विभाग को बकाये रकम का भुगतान करने का निर्देश दिया है. ताकि छह स्कूलों के नवनिर्मित भवनों को स्कूलों को सौंपे जा सकें. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली सरकार को इस आदेश की अनुपालना रिपोर्ट 1 फरवरी तक दाखिल करने का निर्देश दिया है.
कोर्ट ने कहा कि ये रकम दिल्ली सरकार के एक विभाग से दूसरे विभाग को जाना है, ऐसे में इसके लिए जरुरी अनुमति दो हफ्ते के अंदर ले लिए जाएं. दरअसल एनजीओ सोशल जूरिस्ट ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि इन स्कूलों के अतिरिक्त क्लासरूम बनकर तैयार है, लेकिन बकाया रकम नहीं दिये जाने की वजह से इन भवनों का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है.
याचिका में कहा गया कि मुकुंदपुर, बख्तावरपुर, लैंसर रोड, रानी बाग, रोहिणी और पंजाबी बाग में स्कूलों के अतिरिक्त क्लासरूम बनकर तैयार हैं, लेकिन पीडब्ल्यूडी के बकाये रकम का भुगतान नहीं होने से अतिरिक्त क्लासरूम शुरु नहीं हो पा रहे हैं. याचिका में कहा गया है कि इन स्कूलों को 358 से ज्यादा अतिरिक्त क्लासरूम मिलेंगे. इन क्लासरूम के शुरू नहीं होने से हजारों छात्र पढ़ाई से वंचित हो रहे हैं.
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याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार इन स्कूलों के लिए पर्याप्त क्लासरुम और बैठने की व्यवस्था नहीं होने की वजह से छात्रों को पढ़ाई में समस्या आ रही है. इस वजह से दो सेक्शन के बच्चों को एक ही सेक्शन में पढ़ने को बाध्य किया जाता है. सीबीएसई के सर्कुलर के मुताबिक एक सेक्शन में 40 से ज्यादा बच्चे नहीं हो सकते, लेकिन इन स्कूलों में सौ से ज्यादा बच्चे हो जाते हैं. इससे छात्रों की न केवल पढ़ाई बाधित होती है, बल्कि दमघोंटू माहौल में स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है. ऐसा कर दिल्ली सरकार संविधान की धारा 14, 21 और 21ए का उल्लंघन कर रही है.
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