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एमजे अकबर मानहानि केस: कोर्ट ने समझौते की संभावना के बारे में पूछा

प्रिया रमानी के खिलाफ एमजे अकबर मानहानि केस में कोर्ट ने समझौते की संभावना के बारे में पूछा. मामले की अगली सुनवाई अब 24 नवंबर को होगी.

hearing on mj akbar's petition against journalist priya ramani adjourns
एमजे अकबर मानहानि केस सुनवाई
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Published : Nov 21, 2020, 3:04 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट आज पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ पूर्व मंत्री एमजे अकबर की ओर से दायर मानहानि याचिका पर सुनवाई टाल दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी. इस मामले की सुनवाई करनेवाले नए जज एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रविंद्र कुमार पांडेय ने दोनों पक्षों से कहा कि अगर समझौते की गुंजाइश है तो कोर्ट को सूचित करें.

नए जज ने दोबारा दलीलें रखने को कहा

सुनवाई शुरू होते ही नए जज ने कहा कि इस मामले में लंबी दलीलें दी गई हैं, इसलिए दोनों पक्षों को दोबारा दलीलें रखनी होंगी. कोर्ट रोजाना दलीलें सुन सकती है. तब एमजे अकबर की ओर से वकील गीता लूथरा ने कहा कि मैं आज दलील शुरू कर सकती हूं. तब कोर्ट ने कहा कि आज आप संक्षिप्त दलील रखिए, हम इस पर 23 नवंबर को सुनवाई करेंगे. उसके बाद गीता लूथरा ने मामले का संक्षिप्त ब्यौरा देते हुए बताया कि प्रिया रमानी ने एमजे अकबर की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की. वोग (Vogue) मैगजीन में जो लेख एक साल पहले छपा उसके बारे में बताया कि वो एमजे अकबर के बारे में था. गवाहों ने भी कहा है कि रमानी ने अकबर की छवि को धूमिल किया.

समझौते की संभावना के बारे में कोर्ट ने पूछा

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि ये मामला समझौता योग्य है, क्या दोनों पक्षों में समझौता हो सकता है. तब गीता लूथरा ने कहा कि इसके बारे में हमें निर्देश लेना होगा. तब कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों के वकील बात कर लें कि अगर समझौता हो सकता है, तो कोर्ट को सूचित करें. कोर्ट ने कहा कि 23 नवंबर को नियमित सुनवाई का दिन है, तब लूथरा ने कहा कि हम दोनों पक्षों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए आग्रह किया था. उसके बाद कोर्ट ने 24 नवंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई करने का आदेश दिया.

'होटल में हुए वाकये से संबंधित कोई साक्ष्य नहीं दिया'

पिछले 10 नवंबर को सुनवाई के दौरान एमजे अकबर की ओर से वकील गीता लूथरा ने कहा था कि प्रिया रमानी ने अकबर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी, जिसकी वजह से उनकी छवि को नुकसान पहुंचा था. गीता लूथरा ने सुब्रमण्यम स्वामी बनाम केंद्र सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा था कि कुछ लोगों के लिए उनकी जिंदगी से ज्यादा महत्वपूर्ण उनकी छवि होती है. एमजे अकबर ने कठिन मेहनत से अपनी छवि बनाई थी. उनके चरित्र पर किसी ने संदेह नहीं जताया था. प्रिया रमानी ने उनकी छवि को खराब करने की कोशिश की. उन्होंने कहा था कि प्रिया रमानी ने होटल में हुए वाकये से संबंधित कोई साक्ष्य नहीं दिया है. वो केवल कींचड़ उछालने के लिए किया गया था.

'रमानी की कहानी के पक्ष में किसी गवाह ने कुछ नहीं कहा'

लूथरा ने कहा था कि रमानी ने खुद कहा है कि एमजे अकबर एक सम्मानित व्यक्ति हैं, जिसकी वजह से उनके अधीन काम करना स्वीकार किया. लूथरा ने रमानी के उस ट्वीट को गलत बताया था, जिसमें उन्होंने कहा है कि एमजे अकबर ने इस्तीफा देते समय माफी मांगी थी. उन्होंने कहा कि रमानी की कहानी के पक्ष में बचाव पक्ष के किसी भी गवाह ने कुछ नहीं कहा. किसी को शिकारी कहना अपमानजनक है. रमानी के ट्वीट्स मीडिया और सोशल मीडिया पर छाए रहे. वोग मैगजीन में रमानी के लेख केवल एमजे अकबर के बारे में ही थे.

'प्रिया रमानी के ट्वीट् मानहानि वाले नहीं'

इस मामले में प्रिया रमानी की ओर से वकील रेबेका जॉन ने अपनी दलीलें पूरी कर चुकी हैं. पिछले 19 सितंबर को रेबेका जॉन ने कहा था कि लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जरूरी है और प्रिया रमानी उसका
एक छोटा हिस्सा भर हैं. उन्होंने कहा था कि एमजे अकबर की ओर से ये कहा जाना सही नहीं है कि प्रिया रमानी के ट्वीट् मानहानि वाले हैं. इसका कोई कानूनी आधार नहीं है.भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के मानदंडों के तहत मानहानि की कोई संभावना नहीं है. उन्होंने कहा था कि एमजे अकबर की वकील गीता लूथरा ने जिन फैसलों का उदाहरण दिया है, वे दीवानी मानहानि से जुड़े हैं न कि आपराधिक मानहानि के.

अक्टूबर 2018 में दायर किया था केस

एमजे अकबर ने 15 अक्टूबर 2018 को प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था.

नई दिल्लीः दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट आज पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ पूर्व मंत्री एमजे अकबर की ओर से दायर मानहानि याचिका पर सुनवाई टाल दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी. इस मामले की सुनवाई करनेवाले नए जज एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रविंद्र कुमार पांडेय ने दोनों पक्षों से कहा कि अगर समझौते की गुंजाइश है तो कोर्ट को सूचित करें.

नए जज ने दोबारा दलीलें रखने को कहा

सुनवाई शुरू होते ही नए जज ने कहा कि इस मामले में लंबी दलीलें दी गई हैं, इसलिए दोनों पक्षों को दोबारा दलीलें रखनी होंगी. कोर्ट रोजाना दलीलें सुन सकती है. तब एमजे अकबर की ओर से वकील गीता लूथरा ने कहा कि मैं आज दलील शुरू कर सकती हूं. तब कोर्ट ने कहा कि आज आप संक्षिप्त दलील रखिए, हम इस पर 23 नवंबर को सुनवाई करेंगे. उसके बाद गीता लूथरा ने मामले का संक्षिप्त ब्यौरा देते हुए बताया कि प्रिया रमानी ने एमजे अकबर की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की. वोग (Vogue) मैगजीन में जो लेख एक साल पहले छपा उसके बारे में बताया कि वो एमजे अकबर के बारे में था. गवाहों ने भी कहा है कि रमानी ने अकबर की छवि को धूमिल किया.

समझौते की संभावना के बारे में कोर्ट ने पूछा

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि ये मामला समझौता योग्य है, क्या दोनों पक्षों में समझौता हो सकता है. तब गीता लूथरा ने कहा कि इसके बारे में हमें निर्देश लेना होगा. तब कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों के वकील बात कर लें कि अगर समझौता हो सकता है, तो कोर्ट को सूचित करें. कोर्ट ने कहा कि 23 नवंबर को नियमित सुनवाई का दिन है, तब लूथरा ने कहा कि हम दोनों पक्षों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए आग्रह किया था. उसके बाद कोर्ट ने 24 नवंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई करने का आदेश दिया.

'होटल में हुए वाकये से संबंधित कोई साक्ष्य नहीं दिया'

पिछले 10 नवंबर को सुनवाई के दौरान एमजे अकबर की ओर से वकील गीता लूथरा ने कहा था कि प्रिया रमानी ने अकबर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी, जिसकी वजह से उनकी छवि को नुकसान पहुंचा था. गीता लूथरा ने सुब्रमण्यम स्वामी बनाम केंद्र सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा था कि कुछ लोगों के लिए उनकी जिंदगी से ज्यादा महत्वपूर्ण उनकी छवि होती है. एमजे अकबर ने कठिन मेहनत से अपनी छवि बनाई थी. उनके चरित्र पर किसी ने संदेह नहीं जताया था. प्रिया रमानी ने उनकी छवि को खराब करने की कोशिश की. उन्होंने कहा था कि प्रिया रमानी ने होटल में हुए वाकये से संबंधित कोई साक्ष्य नहीं दिया है. वो केवल कींचड़ उछालने के लिए किया गया था.

'रमानी की कहानी के पक्ष में किसी गवाह ने कुछ नहीं कहा'

लूथरा ने कहा था कि रमानी ने खुद कहा है कि एमजे अकबर एक सम्मानित व्यक्ति हैं, जिसकी वजह से उनके अधीन काम करना स्वीकार किया. लूथरा ने रमानी के उस ट्वीट को गलत बताया था, जिसमें उन्होंने कहा है कि एमजे अकबर ने इस्तीफा देते समय माफी मांगी थी. उन्होंने कहा कि रमानी की कहानी के पक्ष में बचाव पक्ष के किसी भी गवाह ने कुछ नहीं कहा. किसी को शिकारी कहना अपमानजनक है. रमानी के ट्वीट्स मीडिया और सोशल मीडिया पर छाए रहे. वोग मैगजीन में रमानी के लेख केवल एमजे अकबर के बारे में ही थे.

'प्रिया रमानी के ट्वीट् मानहानि वाले नहीं'

इस मामले में प्रिया रमानी की ओर से वकील रेबेका जॉन ने अपनी दलीलें पूरी कर चुकी हैं. पिछले 19 सितंबर को रेबेका जॉन ने कहा था कि लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जरूरी है और प्रिया रमानी उसका
एक छोटा हिस्सा भर हैं. उन्होंने कहा था कि एमजे अकबर की ओर से ये कहा जाना सही नहीं है कि प्रिया रमानी के ट्वीट् मानहानि वाले हैं. इसका कोई कानूनी आधार नहीं है.भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के मानदंडों के तहत मानहानि की कोई संभावना नहीं है. उन्होंने कहा था कि एमजे अकबर की वकील गीता लूथरा ने जिन फैसलों का उदाहरण दिया है, वे दीवानी मानहानि से जुड़े हैं न कि आपराधिक मानहानि के.

अक्टूबर 2018 में दायर किया था केस

एमजे अकबर ने 15 अक्टूबर 2018 को प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था.

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