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दिल्ली: कुतुब मीनार परिसर में बने मस्जिद पर दावा करने के मामले पर सुनवाई टली - कुतुब मीनार परिसर में बने मस्जिद पर दावा साकेत कोर्ट

27 हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़ कर कुतुब मीनार परिसर में बने कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद पर दावा करनेवाली याचिका पर दिल्ली की साकेत कोर्ट ने सुनवाई टाल दी है.

case to claim mosque in qutub minar
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Published : Mar 6, 2021, 1:17 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 27 हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़ कर कुतुब मीनार परिसर में बने कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद पर दावा करनेवाली याचिका पर सुनवाई टाल दिया है. सिविल जज नेहा शर्मा ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के बाद 27 अप्रैल को सुनवाई करने का आदेश दिया.

भक्त की हैसियत से याचिका दाखिल करने का क्या औचित्य

कोर्ट ने याचिकाकर्ता को ये बताने का निर्देश दिया था कि भक्त की हैसियत से याचिका दाखिल करने का क्या औचित्य है. कोर्ट पूछा था कि ये बताइए कि क्या कोर्ट ट्रस्ट के गठन का आदेश दे सकता है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता वकील हरिशंकर जैन ने कोर्ट से कहा था कि इस मामले में इस बात को लेकर कोई विवाद नहीं है कि मंदिरो को ध्वस्त किया गया था. लिहाजा इसको साबित करने की जरूरत नहीं. पिछले आठ सौ से ज्यादा सालों से हम पीड़ित हैं. अब पूजा का अधिकार मांग रहे हैं, जो कि हमारा मूल अधिकार है. जैन ने कहा था कि वहां पिछले आठ सौ साल से नमाज नही पढ़ी गई है. मस्जिद के तौर पर इसका इस्तेमाल ही नहीं हुआ. हरिशंकर जैन ने अपनी दलीलो के समर्थन में वहां मौजूद लौह स्तम्भ, भगवान विष्णु, और दूसरे आराध्य देवी देवताओं की खण्डित मूर्तियों का हवाला दिया था.

शर्म का विषय
सुनवाई के दौरान वकील विष्णु जैन ने कहा था कि ये राष्ट्रीय शर्म का विषय है. देशी विदेशी तमाम लोग वहां पहुचते हैं, देखते हैं कि कैसे खण्डित मूर्तियां वहां पर हैं. हमारा मकसद अब वहां किसी विध्वंस के लिए कोर्ट को आश्वस्त करना नहीं है. हम सिर्फ अपना पूजा का अधिकार चाहते हैं. तब जज नेहा शर्मा ने पूछा था कि आप पूजा का अधिकार मांग रहे हैं. अभी जगह एएसआई के कब्जे में है. तो एक दूसरे तरीके से आप जमीन पर कब्जा मांग रहे हैं. तब हरिशंकर जैन ने कहा था कि हम जमीन पर अपना मालिकाना हक नहीं मांग रहे हैं. बिना मालिकाना हक दिए भी पूजा का अधिकार दिया जा सकता है

देवता और भक्त, दोनों ओर से याचिका दायर की
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा था कि आपके इस याचिका को दायर करने का क्या औचित्य है. किस हक से आप याचिका दायर कर रहे हैं. तब याचिकाकर्ता ने कहा था हमने देवता और भक्त, दोनों ओर से याचिका दायर की है. एक भक्त के याचिका दायर करने के अधिकार को सुप्रीम कोर्ट ने भी मान्यता दी है. आप मेरे अधिकार को खारिज नहीं कर सकते हैं.

पढ़ें-किसान आंदोलन के 100 दिन, किसानों ने कुंडली में जाम किया एक्सप्रेसवे


कुतुबद्दीन ऐबक ने 27 हिंदू और जैन मंदिरों की जगह कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद बनाया
याचिका पहले जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभ देव, भगवान विष्णु की ओर से हरिशंकर जैन, रंजना अग्निहोत्री और जीतेंद्र सिंह बिसेन ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि मुगल बादशाह कुतुबद्दीन ऐबक ने 27 हिंदू और जैन मंदिरों की जगह कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद बना दिया. ऐबक मंदिरों को पूरे तरीके से नष्ट नहीं कर सका और मंदिरों के मलबे से ही मस्जिद का निर्माण किया गया. याचिका में कहा गया है कि कुतुब मीनार परिसर के दीवालों, खंभों और छतों पर हिन्दू औज जैन देवी-देवताओं के चित्र बने हुए हैं. इन पर भगवान गणेश, विष्णु, यक्ष, यक्षिणी, द्वारपाल, भगवान पार्श्वनाथ, भगवान महावीर, नटराज के चित्रों के अलावा मंगल कलश, शंख, गदा, कमल, श्रीयंत्र, मंदिरों के घंटे इत्यादि के चिह्न मौजूद हैं. ये सभी बताते हैं कि कुतुब मीनार परिसर हिंदू और जैन मंदिर थे. याचिका में कुतुब मीनार को ध्रुव स्तंभ बताया गया है.


27 मंदिरों को पुनर्स्थापित करने की मांग
याचिका में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) के उस संक्षिप्त इतिहास का जिक्र किया गया है जिसमें कहा गया है कि 27 मंदिरों को गिराकर उनके ही मलबे से कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण किया गया. याचिका में मांग की गई है कि इन 27 मंदिरों क पुनर्स्थापित करने का आदेश दिया जाए और कुतुब मीनार परिसर में हिंदू रीति-रिवाज से पूजा करने की इजाजत दी जाए.

देखरेख के लिए ट्रस्ट गठित करने की मांग
बता दें कि इस विवादित स्थान को केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय महत्व का मकबरा घोषित किया था. इस मकबरे की देखरेख एएसआई करती है. एएसआई एंशिएंट मॉनूमेंट्स एंड आर्कियोलॉजिकल साईट्स एंड रिमेंस एक्ट के प्रावधानों के तहत इस मकबरे की देखभाल और संरक्षण का काम करती है. याचिका में मांग की गई है कि केंद्र सरकार को एक ट्रस्ट का गठन कर इस स्थान का प्रबंधन उसे सौंपने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई है.

नई दिल्ली: दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 27 हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़ कर कुतुब मीनार परिसर में बने कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद पर दावा करनेवाली याचिका पर सुनवाई टाल दिया है. सिविल जज नेहा शर्मा ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के बाद 27 अप्रैल को सुनवाई करने का आदेश दिया.

भक्त की हैसियत से याचिका दाखिल करने का क्या औचित्य

कोर्ट ने याचिकाकर्ता को ये बताने का निर्देश दिया था कि भक्त की हैसियत से याचिका दाखिल करने का क्या औचित्य है. कोर्ट पूछा था कि ये बताइए कि क्या कोर्ट ट्रस्ट के गठन का आदेश दे सकता है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता वकील हरिशंकर जैन ने कोर्ट से कहा था कि इस मामले में इस बात को लेकर कोई विवाद नहीं है कि मंदिरो को ध्वस्त किया गया था. लिहाजा इसको साबित करने की जरूरत नहीं. पिछले आठ सौ से ज्यादा सालों से हम पीड़ित हैं. अब पूजा का अधिकार मांग रहे हैं, जो कि हमारा मूल अधिकार है. जैन ने कहा था कि वहां पिछले आठ सौ साल से नमाज नही पढ़ी गई है. मस्जिद के तौर पर इसका इस्तेमाल ही नहीं हुआ. हरिशंकर जैन ने अपनी दलीलो के समर्थन में वहां मौजूद लौह स्तम्भ, भगवान विष्णु, और दूसरे आराध्य देवी देवताओं की खण्डित मूर्तियों का हवाला दिया था.

शर्म का विषय
सुनवाई के दौरान वकील विष्णु जैन ने कहा था कि ये राष्ट्रीय शर्म का विषय है. देशी विदेशी तमाम लोग वहां पहुचते हैं, देखते हैं कि कैसे खण्डित मूर्तियां वहां पर हैं. हमारा मकसद अब वहां किसी विध्वंस के लिए कोर्ट को आश्वस्त करना नहीं है. हम सिर्फ अपना पूजा का अधिकार चाहते हैं. तब जज नेहा शर्मा ने पूछा था कि आप पूजा का अधिकार मांग रहे हैं. अभी जगह एएसआई के कब्जे में है. तो एक दूसरे तरीके से आप जमीन पर कब्जा मांग रहे हैं. तब हरिशंकर जैन ने कहा था कि हम जमीन पर अपना मालिकाना हक नहीं मांग रहे हैं. बिना मालिकाना हक दिए भी पूजा का अधिकार दिया जा सकता है

देवता और भक्त, दोनों ओर से याचिका दायर की
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा था कि आपके इस याचिका को दायर करने का क्या औचित्य है. किस हक से आप याचिका दायर कर रहे हैं. तब याचिकाकर्ता ने कहा था हमने देवता और भक्त, दोनों ओर से याचिका दायर की है. एक भक्त के याचिका दायर करने के अधिकार को सुप्रीम कोर्ट ने भी मान्यता दी है. आप मेरे अधिकार को खारिज नहीं कर सकते हैं.

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कुतुबद्दीन ऐबक ने 27 हिंदू और जैन मंदिरों की जगह कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद बनाया
याचिका पहले जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभ देव, भगवान विष्णु की ओर से हरिशंकर जैन, रंजना अग्निहोत्री और जीतेंद्र सिंह बिसेन ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि मुगल बादशाह कुतुबद्दीन ऐबक ने 27 हिंदू और जैन मंदिरों की जगह कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद बना दिया. ऐबक मंदिरों को पूरे तरीके से नष्ट नहीं कर सका और मंदिरों के मलबे से ही मस्जिद का निर्माण किया गया. याचिका में कहा गया है कि कुतुब मीनार परिसर के दीवालों, खंभों और छतों पर हिन्दू औज जैन देवी-देवताओं के चित्र बने हुए हैं. इन पर भगवान गणेश, विष्णु, यक्ष, यक्षिणी, द्वारपाल, भगवान पार्श्वनाथ, भगवान महावीर, नटराज के चित्रों के अलावा मंगल कलश, शंख, गदा, कमल, श्रीयंत्र, मंदिरों के घंटे इत्यादि के चिह्न मौजूद हैं. ये सभी बताते हैं कि कुतुब मीनार परिसर हिंदू और जैन मंदिर थे. याचिका में कुतुब मीनार को ध्रुव स्तंभ बताया गया है.


27 मंदिरों को पुनर्स्थापित करने की मांग
याचिका में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) के उस संक्षिप्त इतिहास का जिक्र किया गया है जिसमें कहा गया है कि 27 मंदिरों को गिराकर उनके ही मलबे से कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण किया गया. याचिका में मांग की गई है कि इन 27 मंदिरों क पुनर्स्थापित करने का आदेश दिया जाए और कुतुब मीनार परिसर में हिंदू रीति-रिवाज से पूजा करने की इजाजत दी जाए.

देखरेख के लिए ट्रस्ट गठित करने की मांग
बता दें कि इस विवादित स्थान को केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय महत्व का मकबरा घोषित किया था. इस मकबरे की देखरेख एएसआई करती है. एएसआई एंशिएंट मॉनूमेंट्स एंड आर्कियोलॉजिकल साईट्स एंड रिमेंस एक्ट के प्रावधानों के तहत इस मकबरे की देखभाल और संरक्षण का काम करती है. याचिका में मांग की गई है कि केंद्र सरकार को एक ट्रस्ट का गठन कर इस स्थान का प्रबंधन उसे सौंपने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई है.

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