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दिल्ली हिंसा की साजिश रचने के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई आज

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Published : Jul 4, 2022, 7:43 AM IST

दिल्ली हाईकोर्ट आज दिल्ली हिंसा की साजिश रचने के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई कर सकता है. इससे पहले इस मामले में 30 मई को सुनवाई हुई थी.

Delhi High court
Delhi High court

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट आज दिल्ली हिंसा के आरोपी उमर खालिद की राजद्रोह के मामले में दायर जमानत याचिका पर सुनवाई करेगा. जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई करेगी.

30 मई को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा था कि हिंसा की साजिश रचने के आरोपी उमर खालिद का फरवरी 2020 को अमरावती में दिया गया भाषण दुर्भावनापूर्ण था लेकिन वो आतंकी कार्रवाई नहीं था. सुनवाई के दौरान उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदिप पेस ने जब अमरावती के भाषण को उद्धृत किया तब कोर्ट ने कहा था कि उमर खालिद का अमरावती में दिया गया बयान मानहानि वाले हो सकते हैं, उस पर दूसरे आरोप बन सकते हैं लेकिन वो आतंकी गतिविधि नहीं हो सकती है. कोर्ट ने कहा था कि वो अभियोजन पक्ष को अपने पक्ष में दलील रखने का पूरा मौका देगा. बता दें कि हाईकोर्ट ने पहले कहा था कि उमर खालिद का अमरावती में दिए गए भाषण को जायज नहीं ठहराया जा सकता है और उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है.

सुनवाई के दौरान उमर खालिद की ओर से पेश एक और वकील सान्या कुमार ने कहा था कि कुछ संरक्षित गवाहों के बयान पढ़कर कोर्ट को सुनाया और कहा कि किसी ने भी सीलमपुर में हुई बैठक को गुप्त बैठक नहीं कहा जैसा कि अभियोजन पक्ष ने कहा है. उन्होंने कहा कि इस मामले की सह-आरोपी नताशा नरवाल के कॉल डिटेल रिकॉर्ड के मुताबिक वो उस दिन सीलमपुर में नहीं थी.

पहले की सुनवाई के दौरान उमर खालिद की ओर से कहा गया था कि उसके खिलाफ दाखिल चार्जशीट आधारहीन है और उसे केवल एक संरक्षित गवाह के झूठे बयान पर फंसाया गया है. 23 मई को पेस ने कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन करनेवाले भारत का हिस्सा बनना चाहते हैं, वे भारत की संप्रभूता के लिए कोई खतरा नहीं हैं. पेस ने कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने का मुख्य मकसद देश की एकता और अखंडता की रक्षा था. कोर्ट ने पेस से पूछा था कि क्या प्रदर्शनकारियों ने देश के नागरिकों के मन में असुरक्षा की भावना भर दी तो पेस ने कहा था कि हर चीज को आतंकी गतिविधि की तरह बताने की दलील से कोर्ट को बचना चाहिए.

सुनवाई के दौरान जस्टिस रजनीश भटनागर ने पेस से प्रधानमंत्री के 'हिंदुस्तान में सब चंगा नहीं, हिंदुस्तान में सब नंगा सी' संबंधी खालिद के भाषण पर पूछा. तब पेस ने कहा कि ये एक रुपक है जिसका मतलब है कि सच्चाई कुछ और है जो छिपाया जा रहा है. तब जस्टिस रजनीश भटनागर ने कहा कि प्रधानमंत्री के लिए कुछ दूसरे शब्दों का इस्तेमाल किया जा सकता था. तब पेस ने कहा कि भाषण 17 फरवरी 2020 का था जिसमें उमर ने अपने मत प्रकट किया. इसका मतलब ये नहीं है कि ये एक अपराध है. इसे आतंक से कैसे जोड़ा जा सकता है। तब जस्टिस रजनीश भटनागर ने कहा कि सब नंगा सी तो वैसे ही है जैसे महात्मा गांधी के बारे में महारानी ने कहा था। तब पेस ने कहा कि लोकतंत्र में सरकार से अपना विरोध दर्ज कराने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाए जाते हैं.

24 मार्च को कड़कड़डूमा कोर्ट ने उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दिया था. दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हिंसा के आरोपी उमर खालिद समेत दूसरे आरोपियों की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि इस मामले में टेरर फंडिंग हुई थी. स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर अमित प्रसाद ने कहा कि इस मामले के आरोपी ताहिर हुसैन ने काला धन को सफेद करने का काम दिया. अमित प्रसाद ने कहा था कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली की हिंसा के दौरान 53 लोगों की मौत हुई. इस मामले में 755 एफआईआर दर्ज किए गए हैं. उमर खालिद को 13 सितंबर 2020 को पूछताछ के बाद स्पेशल सेल ने गिरफ्तार कर लिया था। 17 सितंबर 2020 को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की ओर से दायर चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. 16 सितंबर 2020 को स्पेशल सेल ने चार्जशीट दाखिल किया था.

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नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट आज दिल्ली हिंसा के आरोपी उमर खालिद की राजद्रोह के मामले में दायर जमानत याचिका पर सुनवाई करेगा. जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई करेगी.

30 मई को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा था कि हिंसा की साजिश रचने के आरोपी उमर खालिद का फरवरी 2020 को अमरावती में दिया गया भाषण दुर्भावनापूर्ण था लेकिन वो आतंकी कार्रवाई नहीं था. सुनवाई के दौरान उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदिप पेस ने जब अमरावती के भाषण को उद्धृत किया तब कोर्ट ने कहा था कि उमर खालिद का अमरावती में दिया गया बयान मानहानि वाले हो सकते हैं, उस पर दूसरे आरोप बन सकते हैं लेकिन वो आतंकी गतिविधि नहीं हो सकती है. कोर्ट ने कहा था कि वो अभियोजन पक्ष को अपने पक्ष में दलील रखने का पूरा मौका देगा. बता दें कि हाईकोर्ट ने पहले कहा था कि उमर खालिद का अमरावती में दिए गए भाषण को जायज नहीं ठहराया जा सकता है और उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है.

सुनवाई के दौरान उमर खालिद की ओर से पेश एक और वकील सान्या कुमार ने कहा था कि कुछ संरक्षित गवाहों के बयान पढ़कर कोर्ट को सुनाया और कहा कि किसी ने भी सीलमपुर में हुई बैठक को गुप्त बैठक नहीं कहा जैसा कि अभियोजन पक्ष ने कहा है. उन्होंने कहा कि इस मामले की सह-आरोपी नताशा नरवाल के कॉल डिटेल रिकॉर्ड के मुताबिक वो उस दिन सीलमपुर में नहीं थी.

पहले की सुनवाई के दौरान उमर खालिद की ओर से कहा गया था कि उसके खिलाफ दाखिल चार्जशीट आधारहीन है और उसे केवल एक संरक्षित गवाह के झूठे बयान पर फंसाया गया है. 23 मई को पेस ने कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन करनेवाले भारत का हिस्सा बनना चाहते हैं, वे भारत की संप्रभूता के लिए कोई खतरा नहीं हैं. पेस ने कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने का मुख्य मकसद देश की एकता और अखंडता की रक्षा था. कोर्ट ने पेस से पूछा था कि क्या प्रदर्शनकारियों ने देश के नागरिकों के मन में असुरक्षा की भावना भर दी तो पेस ने कहा था कि हर चीज को आतंकी गतिविधि की तरह बताने की दलील से कोर्ट को बचना चाहिए.

सुनवाई के दौरान जस्टिस रजनीश भटनागर ने पेस से प्रधानमंत्री के 'हिंदुस्तान में सब चंगा नहीं, हिंदुस्तान में सब नंगा सी' संबंधी खालिद के भाषण पर पूछा. तब पेस ने कहा कि ये एक रुपक है जिसका मतलब है कि सच्चाई कुछ और है जो छिपाया जा रहा है. तब जस्टिस रजनीश भटनागर ने कहा कि प्रधानमंत्री के लिए कुछ दूसरे शब्दों का इस्तेमाल किया जा सकता था. तब पेस ने कहा कि भाषण 17 फरवरी 2020 का था जिसमें उमर ने अपने मत प्रकट किया. इसका मतलब ये नहीं है कि ये एक अपराध है. इसे आतंक से कैसे जोड़ा जा सकता है। तब जस्टिस रजनीश भटनागर ने कहा कि सब नंगा सी तो वैसे ही है जैसे महात्मा गांधी के बारे में महारानी ने कहा था। तब पेस ने कहा कि लोकतंत्र में सरकार से अपना विरोध दर्ज कराने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाए जाते हैं.

24 मार्च को कड़कड़डूमा कोर्ट ने उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दिया था. दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हिंसा के आरोपी उमर खालिद समेत दूसरे आरोपियों की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि इस मामले में टेरर फंडिंग हुई थी. स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर अमित प्रसाद ने कहा कि इस मामले के आरोपी ताहिर हुसैन ने काला धन को सफेद करने का काम दिया. अमित प्रसाद ने कहा था कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली की हिंसा के दौरान 53 लोगों की मौत हुई. इस मामले में 755 एफआईआर दर्ज किए गए हैं. उमर खालिद को 13 सितंबर 2020 को पूछताछ के बाद स्पेशल सेल ने गिरफ्तार कर लिया था। 17 सितंबर 2020 को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की ओर से दायर चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. 16 सितंबर 2020 को स्पेशल सेल ने चार्जशीट दाखिल किया था.

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