नई दिल्लीः दिल्ली सरकार के मंत्री और मनी लॉन्ड्रिंग मामले के आरोपी सत्येंद्र जैन (Accused Satyendra Jain in money laundering case) की जमानत याचिका पर सोमवार को करीब एक घंटे तक सुनवाई हुई. दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि अब 9 नवंबर को दोबारा सुनवाई होगी.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने पक्ष रखा. राजू ने कहा कि जैन न तो महिला हैं, न ही बीमार हैं और न ही 60+ उम्र से अधिक है. उनके खिलाफ 1 करोड़ से अधिक की रकम का मामला है. ऐसे में जमानत न दी जाए. वह कोलकाता स्थित हवाला ऑपरेटरों को सुविधा के लिए नकदी उपलब्ध करा रहे थे. यह एक बहुत प्रभावशाली राजनेता का मामला है, जो न केवल रुपयों का हेरफेर कर रहा था, बल्कि सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर रहा है.
ईडी ने कहा कि सत्येंद्र जैन से जुड़ी 5 कंपनियां हैं, जिनकी कोलकाता में शेल कंपनी में बोगस एंट्री कराई जाती थी. इनका मकसद ब्लैकमनी को व्हाइट मनी में बदलने का था, जिसके लिए इस तरह से कंपनी में एंट्री की जाती थी. उसने कहा कि यह पांच कम्पनियां सिर्फ पेपर कम्पनी थी, जिनका इस्तेमाल पैसों को इधर उधर करने के लिए किया जाता था. इन कम्पनियों में व्यापार नहीं होता था.
ईडी ने कोर्ट से कहा कि सत्येंद्र जैन प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कम्पनियों में एंट्री कराने में शामिल रहे हैं. सभी शेल कंपनी चेक पीरियड से पहले और अभी तक वैसी ही है. जांच एजेंसी ने कोर्ट से कहा कि सत्येंद्र जैन प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कम्पनियों में एंट्री कराने में शामिल रहे हैं.
ईडी ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा सत्येंद्र जैन कोलकाता के हवाला ऑपरेटर को नकद और पैसा मुहैया कराया रहे थे. कंपनियों को सत्येंद्र जैन कैश दे रहे थे. कंपनियों को वैभव जैन या अंकुश जैन से पैसा नहीं मिल रहा था.
विशेष न्यायाधीश विकास ढुल्ल ने सोमवार की कार्यवाही स्थगित की और इस मामले को 9 नवंबर दोपहर 12:30 बजे के लिए सूचीबद्ध किया है. 9 नवंबर को ईडी अपनी दलीलें पूरी करेगी. इसके बाद कोर्ट अपना फैसला सुना सकता है.