नई दिल्ली: याचिका वकील अमरेंद्र सिंह ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि कानून का शासन कोर्ट के कामकाज और पक्षकारों को न्याय जल्दी मिलने पर निर्भर होता है. कोरोना संकट के दौरान कोर्ट में कामकाज सुचारु रूप से नहीं चलने की वजह से पक्षकारों को न्याय मिलने में देरी हो रही है. वकीलों को भी इस दौरान काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा है.
वैक्सिनेशन के पहले चरण में विधि व्यवसाय से जुड़े लोगों को शामिल करने की मांग
याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने कोरोना वैक्सीनेशन के पहले चरण में विधि व्यवसाय से जुड़े लोगों को शामिल नहीं किया. जिसकी वजह से जज, वकील और कोर्ट के स्टाफ इससे बाहर रह गए. ऐसी स्थिति में कोर्ट अपनी पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर रहे हैं.
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गवाहों की गवाही और साक्ष्य नहीं दिए जा रहे हैं. कोर्ट परिसरों में चलने वाले छोटे-छोटे कैंटीन, कुरियर, फोटोस्टेट और स्टेशनरी की दुकानें चलाने वाले भी संकट के दौर से गुजर रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने पत्र लिखा था
याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने पिछले 18 जनवरी को केंद्रीय कानून मंत्री से आग्रह किया था कि जजों, कोर्ट स्टाफ और वकीलों और दूसरे विधि व्यवसाय से जुड़े लोगों को फ्रंटलाइन वर्कर्स का दर्जा दिया जाए और वैक्सीनेशन कार्यक्रम में शामिल किया जाए. लेकिन अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं किया गया है.