नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस में हेड कांस्टेबल के पद पर तैनात ललित कुमार, जो अभी एलजी हाउस में पोस्टेड हैं, उनकी बेटी कोमल दहिया ने एनडीए एग्जाम पास कर लिया है और फ्लाइंग ऑफिसर बन गई हैं. कोमल दहिया ने अपने परिवार, गांव और दिल्ली पुलिस के परिवार का नाम रोशन किया है. एनडीए में लड़कियों का यह 3rd बैच था. जिसमें उसने लड़कियों में पांचवां रैंक हासिल किया है.
17 साल की उम्र में कोमल दहिया ने पास की परीक्षा: लड़कियों के लिए फ्लाइंग ऑफिसर की 2 सीट थी. जिसमें यह फर्स्ट नंबर पर आई हैं. कोमल दहिया की उम्र अभी 17 साल है. मार्च में उसने 12वीं का भी एग्जाम दिया है, जिसका रिजल्ट आना अभी बाकी है. NDA का रिटेन एग्जाम पिछले साल सितंबर में हुआ था और फाइनल इंटरव्यू, मल्टीपल टेस्ट, फिजिकल टेस्ट इस साल जनवरी में हुआ था.
कोमल के पिता 3 साल से LG हाउस में नियुक्त: कोमल के पिता ललित कुमार 2008 में कांस्टेबल के रूप में दिल्ली पुलिस में भर्ती हुए थे. उसके बाद 2018 में हेड कांस्टेबल के रूप में इनकी पदोन्नति हुई. पिछले लगभग 3 साल से इनकी पोस्टिंग एलजी हाउस में है. यह मूलत हरियाणा के सोनीपत जिला स्थित सिसाना गांव के रहने वाले हैं. उनके परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं. बड़ा बेटा ग्रेजुएशन कर रहा है और छोटी बिटिया कोमल दहिया सोनीपत के ऋषि कुल विद्यापीठ से 12वीं कर रही है.
NDA में ऑप्शन आने का चला पता: कोमल ने बताया कि पहले NDA में लड़कियों के लिए ऑप्शन नहीं था. जब वह 11वीं क्लास में थी, तब पता चला कि अब NDA में भी लड़कियों के लिए ऑप्शन आ गया हैं, तो उसने तभी से तैयारी शुरू कर दी थी. एनडीए के जरिए एग्जाम कंप्लीट करके फ्लाइंग ऑफिसर बनने का मन में ठान लिया था. पहली कोशिश में उसने एग्जाम क्लियर किया और एनडीए के जरिए फ्लाइंग ऑफिसर बनने वाली देश की पांचवीं महिला फ्लाइंग ऑफिसर बन गई.
चार लड़कियां बन चुकी फ्लाइंग ऑफिसर: इससे पहले एनडीए में दो महिलाओं के बैच में चार लड़कियां फ्लाइंग ऑफिसर बन चुकी हैं, उन सबकी ट्रेनिंग चल रही है. कोमल की ज्वाइनिंग जुलाई में है और उनकी ट्रेनिंग पुणे में शुरू होगी और उसके बाद हैदराबाद में आगे की ट्रेनिंग पूरी होगी. कोमल के पिता ललित कुमार काफी खुश है.
उन्होंने कहा कि जब बिटिया ने एनडीए एग्जाम को लेकर तैयारी करने की बात कहीं, तो मैंने एक ही चीज कहा कि जिसमें सेटिस्फेक्शन हो और जो तमन्ना हो उसी चीज पर ध्यान लगाओ सफलता जरूर मिलेगी. मैं और भी पेरेंट्स को कहना चाहता हूं कि आपके बच्चे जिस लाइन में जाना चाहते हैं, उसी लाइन के लिए उन्हें सपोर्ट करिए.
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