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HC दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों को सैलरी देने की मांग पर आज करेगा सुनवाई - दिल्ली युनिवर्सिटी के प्रोफेसरों को नहीं मिली सैलरी

दिल्ली के अलग-अलग कॉलेजों के प्रोफेसरों को मई महीने से सैलरी नहीं मिली है. ऐसे में दिल्ली हाईकोर्ट बकाया सैलरी देने की मांग पर सुनवाई करेगा. कोर्ट ने पिछली सुनवाई में दिल्ली सरकार और चार कॉलेजों को नोटिस जारी किया था.

HC will do hearing today on demand for giving salary to professors of Delhi University
DU के प्रोफेसरों को सैलरी देने की मांग पर होगी सुनवाई
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Published : Nov 4, 2020, 11:14 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट आज विभिन्न कॉलेजों के प्रोफेसरों को मई महीने से बकाया सैलरी देने की मांग पर सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी, दिल्ली सरकार और चार कॉलेजों को नोटिस जारी किया था. जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई करेगी.

DU के प्रोफेसरों को सैलरी देने की मांग पर होगी सुनवाई

दो हजार परिवारों को किया जा रहा दंडित

कोर्ट ने चार कॉलेजों का स्टेटस रिपोर्ट दाखिल होने के बाद दिल्ली सरकार को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था. प्रोफेसरों की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने कहा था कि दिल्ली सरकार दो हजार परिवारों को बिना किसी गलती के दंडित कर रही है. उन्होंने कहा था कि दिल्ली सरकार को इन प्रोफेसरों की सैलरी के लिए कॉलेजों को तुरंत ग्रांट रिलीज करनी चाहिए. 4 महीने से डेढ़ हजार प्रोफेसरों को सैलरी नहीं मिली है.

मई महीने से नहीं मिल रहा वेतन

याचिका में कहा गया है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के 12 और दिल्ली सरकार के कॉलेजों के डेढ़ हजार से ज्यादा शिक्षकों और गैर-शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को इन आठ प्रोफेसरों की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने याचिका दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि पिछले मई महीने से दिल्ली यूनिवर्सिटी और और दिल्ली सरकार के कॉलेजों के प्रोफेसरों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया है. याचिका में कहा गया है कि शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को वेतन नहीं देना संविधान की धारा 14, 21 और दिल्ली युनिवर्सिटी एक्ट का उल्लंघन है. याचिका में मांग की गई है कि शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को समय पर सैलरी देने के लिए दिशानिर्देश जारी किया जाए.

डूटा के पत्र क बाद भी नहीं मिला वेतन

याचिका में कहा गया है कि शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को वेतन नहीं देना जीने के संविधान के अधिकार का उल्लंघन है. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार की ओर से सौ फीसदी वित्तपोषित कॉलेजों और दिल्ली युनिवर्सिटी के 12 कॉलेजों के शिक्षकों और गैर-शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को पिछले मई महीने से वेतन नहीं दिया गया है. इन शिक्षकों की ओर से दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (DUTA) ने दिल्ली सरकार से वेतन के मद में फंड जारी करने के लिए पत्र लिखा था, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. उसके बाद इन प्रोफेसरों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट आज विभिन्न कॉलेजों के प्रोफेसरों को मई महीने से बकाया सैलरी देने की मांग पर सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी, दिल्ली सरकार और चार कॉलेजों को नोटिस जारी किया था. जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई करेगी.

DU के प्रोफेसरों को सैलरी देने की मांग पर होगी सुनवाई

दो हजार परिवारों को किया जा रहा दंडित

कोर्ट ने चार कॉलेजों का स्टेटस रिपोर्ट दाखिल होने के बाद दिल्ली सरकार को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था. प्रोफेसरों की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने कहा था कि दिल्ली सरकार दो हजार परिवारों को बिना किसी गलती के दंडित कर रही है. उन्होंने कहा था कि दिल्ली सरकार को इन प्रोफेसरों की सैलरी के लिए कॉलेजों को तुरंत ग्रांट रिलीज करनी चाहिए. 4 महीने से डेढ़ हजार प्रोफेसरों को सैलरी नहीं मिली है.

मई महीने से नहीं मिल रहा वेतन

याचिका में कहा गया है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के 12 और दिल्ली सरकार के कॉलेजों के डेढ़ हजार से ज्यादा शिक्षकों और गैर-शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को इन आठ प्रोफेसरों की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने याचिका दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि पिछले मई महीने से दिल्ली यूनिवर्सिटी और और दिल्ली सरकार के कॉलेजों के प्रोफेसरों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया है. याचिका में कहा गया है कि शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को वेतन नहीं देना संविधान की धारा 14, 21 और दिल्ली युनिवर्सिटी एक्ट का उल्लंघन है. याचिका में मांग की गई है कि शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को समय पर सैलरी देने के लिए दिशानिर्देश जारी किया जाए.

डूटा के पत्र क बाद भी नहीं मिला वेतन

याचिका में कहा गया है कि शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को वेतन नहीं देना जीने के संविधान के अधिकार का उल्लंघन है. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार की ओर से सौ फीसदी वित्तपोषित कॉलेजों और दिल्ली युनिवर्सिटी के 12 कॉलेजों के शिक्षकों और गैर-शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को पिछले मई महीने से वेतन नहीं दिया गया है. इन शिक्षकों की ओर से दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (DUTA) ने दिल्ली सरकार से वेतन के मद में फंड जारी करने के लिए पत्र लिखा था, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. उसके बाद इन प्रोफेसरों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

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