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PMC बैंक के खाताधारकों को 5 लाख रुपये निकालने की अनुमति देने की मांग, सुनवाई टली

पीएमसी बैंक के खाताधारकों को पांच लाख रुपये तक निवेशकों को निकालने की अनुमति देने की मांग करने वाली याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने टाल दिया है. अगली सुनवाई 18 जनवरी को होगी. आज सुनवाई के दौरान रिजर्व बैंक ने हलफनामा दायर करने के लिए समय देने की मांग की.

HC postponed hearing on petition of PMC bank
PMC बैंक की याचिका पर टली सुनवाई
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Published : Jan 4, 2021, 3:57 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने पीएमसी बैंक के खाताधारकों को पांच लाख रुपये तक निवेशकों को निकालने की अनुमति देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई को टाल दिया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने 18 जनवरी को सुनवाई करने का आदेश दिया.

हलफनामा दाखिल करने का निर्देश

आज सुनवाई के दौरान रिजर्व बैंक ने हलफनामा दायर करने के लिए समय देने की मांग की. जिसके बाद कोर्ट ने 18 जनवरी तक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया. पिछले 1 दिसंबर को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस मामले पर कोई भी आदेश देने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने कहा कि यह सामान्य याचिका नहीं है, हमें बैंक और निवेशकों दोनों के हितों का ध्यान रखना होगा. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने रिजर्व बैंक को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने आपात स्थिति में पांच लाख रुपये निकालने का मामला पीएमसी बैंक पर ही छोड़ दिया था.

लोगों को दवाईयां खरीदने में हो रही परेशानी

1 दिसंबर को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील शशांक सुधी देव ने कहा था कि पांच लाख रुपये तक निकासी के लिए केवल 13 लोगों को योग्य माना गया है. उन्होंने कहा था कि गंभीर बीमारियों को आधार बनाया गया है. तब कोर्ट ने कहा था कि जो गंभीर रूप से बीमार नहीं है, वे भी एक लाख रुपये निकाल रहे हैं. उसके बाद कोर्ट ने पूछा था कि क्या आप ये सीमा पांच लाख रुपये तक करना चाहते हैं. तब देव ने कहा था कि एक दूसरी हाईकोर्ट ने कैंसर जैसी बीमारी वाले निवेशकों को ज्यादा रकम देने का आदेश दिया है. देव ने कहा था कि सवाल ये है कि जिन लोगों के पास धन नहीं है, उन्हें दवाईयां खरीदने में भी परेशानी हो रही है.

शिकायत निवारण का होना चाहिए मेकानिज्म

हाईकोर्ट ने कहा था कि आजकल सभी परेशानियों में हैं, लेकिन इसमें कुछ सीमांकन होना चाहिए. कोर्ट ने रिजर्व बैंक से कहा था कि शिकायत निवारण का कुछ मेकानिज्म होना चाहिए. इसे हल्के में लेने की जरुरत नहीं है. कोर्ट ने रिजर्व बैंक से कहा कि आप पीएमसी बैंक पर ही सारा फैसला नहीं छोड़ सकते हैं, आपको इस पर फैसला लेने को कहा गया था. तब देव ने कहा कि कुछ लोगों ने खुदकुशी भी कर ली है. कोर्ट ने कहा था कि हमें इस मामले में बैंक और निवेशकों को हितों के बीच संतुलन स्थापित करना होगा. कोर्ट ने कहा था कि अगर आप पांच लाख, दस लाख या बीस लाख रुपये तक की धन निकासी की अनुमति की मांग कर रहे हैं, तो हम आपकी मदद नहीं कर सकते हैं.

पांच लाख रुपये तक की निकासी की छूट की मांग

याचिका बिजॉन कुमार मिश्रा ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील शशांक सुधी देव ने याचिका में कहा है कि कोरोना संकट की वजह से सभी खाताधारक अपनी जमा-पूंजी के भरोसे ही हैं. उन्हें अपने बच्चों की शिक्षा, शादी और दूसरी जरुरतों के लिए पैसे की जरुरत है. ऐसे में पीएमसी खाताधारकों को ऐसी किसी भी आपातस्थिति में धन निकासी की अनुमति दी जाए. पिछले 21 जुलाई को कोर्ट ने पीएमसी बैंक, रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. वकील शशांक देव सुधी ने कहा था कि कोरोना के संकट के दौर में अति महत्वपूर्ण कार्य के लिए बिना किसी प्रक्रियागत बाधा के पांच लाख रुपये तक की निकासी करने की छूट दी जाए. याचिका में कहा गया है कि बैंक के कुछ निवेशकों ने इसके लिए पीएमसी बैंक और दूसरे पक्षकारों के समक्ष अपनी बातें रखी थीं.

बैंकिंग सिस्टम पर गंभीर सवाल

निवेशकों ने हाईकोर्ट के पहले के आदेश का हवाला दिया जिसमें कोर्ट ने जरुरी काम के लिए पैसे निकालने की इजाजत दी थी. बैंक के कुछ खाताधारकों ने अपनी समस्याओं का हवाला दिया था. पीएमसी बैंक के रवैये से देश के बैंकिंग सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. देश भर में फैले पीएमसी के ब्रांचों के रखरखाव पर करीब आठ करोड़ रुपये का बेजा खर्च होता है.

ये भी पढ़ें:-पीएमसी घोटाला मामला : ईडी के सामने पेश नहीं होंगी संजय राउत की पत्नी

एचडीआईएल का लोन एनपीए हो गया था

बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने इसके पहले रिजर्व बैंक और पीएमसी बैंक को कोरोना के संकट के दौरान खाताधारकों की जरूरतों का ध्यान रखने का निर्देश दिया था. सितंबर 2019 में रिजर्व बैंक ने पीएमसी बैंक के कामकाज पर प्रतिबंध लगाते हुए बैंक से 40 हजार रुपये की निकासी की सीमा तय की थी. पीएमसी बैंक ने एचडीआईएल नामक कंपनी को अपने लोन की कुल रकम का करीब तीन चौथाई लोन दे दिया था. एचडीआईएल का ये लोन एनपीए होने की वजह से बैंक अपने खाताधारकों को पैसे देने में असमर्थ हो गया.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने पीएमसी बैंक के खाताधारकों को पांच लाख रुपये तक निवेशकों को निकालने की अनुमति देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई को टाल दिया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने 18 जनवरी को सुनवाई करने का आदेश दिया.

हलफनामा दाखिल करने का निर्देश

आज सुनवाई के दौरान रिजर्व बैंक ने हलफनामा दायर करने के लिए समय देने की मांग की. जिसके बाद कोर्ट ने 18 जनवरी तक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया. पिछले 1 दिसंबर को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस मामले पर कोई भी आदेश देने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने कहा कि यह सामान्य याचिका नहीं है, हमें बैंक और निवेशकों दोनों के हितों का ध्यान रखना होगा. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने रिजर्व बैंक को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने आपात स्थिति में पांच लाख रुपये निकालने का मामला पीएमसी बैंक पर ही छोड़ दिया था.

लोगों को दवाईयां खरीदने में हो रही परेशानी

1 दिसंबर को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील शशांक सुधी देव ने कहा था कि पांच लाख रुपये तक निकासी के लिए केवल 13 लोगों को योग्य माना गया है. उन्होंने कहा था कि गंभीर बीमारियों को आधार बनाया गया है. तब कोर्ट ने कहा था कि जो गंभीर रूप से बीमार नहीं है, वे भी एक लाख रुपये निकाल रहे हैं. उसके बाद कोर्ट ने पूछा था कि क्या आप ये सीमा पांच लाख रुपये तक करना चाहते हैं. तब देव ने कहा था कि एक दूसरी हाईकोर्ट ने कैंसर जैसी बीमारी वाले निवेशकों को ज्यादा रकम देने का आदेश दिया है. देव ने कहा था कि सवाल ये है कि जिन लोगों के पास धन नहीं है, उन्हें दवाईयां खरीदने में भी परेशानी हो रही है.

शिकायत निवारण का होना चाहिए मेकानिज्म

हाईकोर्ट ने कहा था कि आजकल सभी परेशानियों में हैं, लेकिन इसमें कुछ सीमांकन होना चाहिए. कोर्ट ने रिजर्व बैंक से कहा था कि शिकायत निवारण का कुछ मेकानिज्म होना चाहिए. इसे हल्के में लेने की जरुरत नहीं है. कोर्ट ने रिजर्व बैंक से कहा कि आप पीएमसी बैंक पर ही सारा फैसला नहीं छोड़ सकते हैं, आपको इस पर फैसला लेने को कहा गया था. तब देव ने कहा कि कुछ लोगों ने खुदकुशी भी कर ली है. कोर्ट ने कहा था कि हमें इस मामले में बैंक और निवेशकों को हितों के बीच संतुलन स्थापित करना होगा. कोर्ट ने कहा था कि अगर आप पांच लाख, दस लाख या बीस लाख रुपये तक की धन निकासी की अनुमति की मांग कर रहे हैं, तो हम आपकी मदद नहीं कर सकते हैं.

पांच लाख रुपये तक की निकासी की छूट की मांग

याचिका बिजॉन कुमार मिश्रा ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील शशांक सुधी देव ने याचिका में कहा है कि कोरोना संकट की वजह से सभी खाताधारक अपनी जमा-पूंजी के भरोसे ही हैं. उन्हें अपने बच्चों की शिक्षा, शादी और दूसरी जरुरतों के लिए पैसे की जरुरत है. ऐसे में पीएमसी खाताधारकों को ऐसी किसी भी आपातस्थिति में धन निकासी की अनुमति दी जाए. पिछले 21 जुलाई को कोर्ट ने पीएमसी बैंक, रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. वकील शशांक देव सुधी ने कहा था कि कोरोना के संकट के दौर में अति महत्वपूर्ण कार्य के लिए बिना किसी प्रक्रियागत बाधा के पांच लाख रुपये तक की निकासी करने की छूट दी जाए. याचिका में कहा गया है कि बैंक के कुछ निवेशकों ने इसके लिए पीएमसी बैंक और दूसरे पक्षकारों के समक्ष अपनी बातें रखी थीं.

बैंकिंग सिस्टम पर गंभीर सवाल

निवेशकों ने हाईकोर्ट के पहले के आदेश का हवाला दिया जिसमें कोर्ट ने जरुरी काम के लिए पैसे निकालने की इजाजत दी थी. बैंक के कुछ खाताधारकों ने अपनी समस्याओं का हवाला दिया था. पीएमसी बैंक के रवैये से देश के बैंकिंग सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. देश भर में फैले पीएमसी के ब्रांचों के रखरखाव पर करीब आठ करोड़ रुपये का बेजा खर्च होता है.

ये भी पढ़ें:-पीएमसी घोटाला मामला : ईडी के सामने पेश नहीं होंगी संजय राउत की पत्नी

एचडीआईएल का लोन एनपीए हो गया था

बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने इसके पहले रिजर्व बैंक और पीएमसी बैंक को कोरोना के संकट के दौरान खाताधारकों की जरूरतों का ध्यान रखने का निर्देश दिया था. सितंबर 2019 में रिजर्व बैंक ने पीएमसी बैंक के कामकाज पर प्रतिबंध लगाते हुए बैंक से 40 हजार रुपये की निकासी की सीमा तय की थी. पीएमसी बैंक ने एचडीआईएल नामक कंपनी को अपने लोन की कुल रकम का करीब तीन चौथाई लोन दे दिया था. एचडीआईएल का ये लोन एनपीए होने की वजह से बैंक अपने खाताधारकों को पैसे देने में असमर्थ हो गया.

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