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Whatsapp मामला: याचिका की सुनवाई से जस्टिस प्रतिभा सिंह ने खुद को किया अलग

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Published : Jan 15, 2021, 6:14 PM IST

व्हाट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई से जज प्रतिभा सिंह ने खुद को अलग कर लिया है. उन्होंने इस मामले को लेकर कोर्ट को भेजे गए ई-मेल पर आपत्ति जताते हुए ये फैसला लिया है.

HC judge pratibha singh
जस्टिस प्रतिभा सिंह

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट की जज जस्टिस प्रतिभा सिंह ने व्हाट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. उन्होंने इस मामले को लेकर कोर्ट को भेजे गए ई-मेल पर आपत्ति जताते हुए अपने आप को सुनवाई से अलग कर लिया. कोर्ट ने इस मामले पर 18 जनवरी को जनहित याचिका के रूप में सुनवाई करने का आदेश दिया.

व्हाटसऐप ने कोर्ट को ई-मेल किया था

ये मामला किस बेंच के पास लिस्ट किया जाएगा. इस पर फैसला करने के लिए चीफ जस्टिस के पास भेजा गया. दरअसल ई-मेल व्हाट्सऐप की ओर से कोर्ट को भेजा गया था. इस ई-मेल में कहा गया था कि जस्टिस प्रतिभा सिंह इससे जुड़े मामले में बतौर वकील पहले पेश हो चुकी हैं. हालांकि व्हाटसऐप ने इस ई-मेल को वापस ले लिया है. सुनवाई के दौरान एएसजी चेतन शर्मा ने जस्टिस प्रतिभा सिंह से इस सुनवाई से अलग नहीं होने की अपील की, लेकिन जस्टिस प्रतिभा सिंह नहीं मानी.

सभी ऑनलाइन गतिविधियों पर निगरानी रखी जाएगी

याचिका वकील चैतन्य रोहिल्ला ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि व्हाट्स ऐप की नई प्राईवेसी पॉलिसी से लोगों की निजता के अधिकार का उल्लंघन हो रहा है और देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है. याचिका में कहा गया है कि व्हाट्सऐप की नई प्राईवेसी पॉलिसी किसी युजर की सभी आनलाइन गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए तैयार किया गया है. याचिका में कहा गया है कि डाटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी के अभाव में यूजर्स को कंपनी के रहमोकरम पर भी निर्भर रहना होगा. याचिका में व्हाटसऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी को अपडेट करने से तत्काल रोकने की मांग की गई है.

केंद्र अपने अधिकारों का करे उपयोग

याचिका में मांग की गई है कि व्हाट्सऐप की प्राइवेसी पॉलिसी को मौलिक अधिकारों के मुताबिक तय करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएं. केंद्र सरकार इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट की धारा 79(2)(सी) और धारा 87(2)(जेडजी) के तहत मिले अधिकारों का उपयोग करते हुए ये सुनिश्चित करे कि व्हाट्सऐप किसी भी यूजर का डाटा किसी भी तीसरे पक्ष या फेसबुक को किसी उपयोग के लिए शेयर नहीं करे.


फेसबुक से डाटा शेयर करेगा व्हाटस ऐप

व्हाटसऐप की प्राइवेसी पॉलिसी के मुताबिक वो यूजर का डाटा किसी तीसरे पक्ष को शेयर नहीं करने के अधिकार को छीनता है. अगर व्हाटसऐप यूजर्स का डाटा फेसबुक को शेयर करती है इसका मतलब है कि वो हर सेकेंड यूजर का डाटा संग्रह करेगा और एक तरह से वो फेसबुक और उसकी कंपनियों की निगरानी में रहेगा. ऐसा करना गैरकानूनी है. व्हाटसऐप के यूजर एक-दूसरे को संदेश देने के लिए उसका उपयोग करते हैं, लेकिन अगर उन सूचनाओं का उपयोग किसी पक्ष से करना गैरकानूनी है.

ये भी पढ़ें:-दिल्ली हाईकोर्ट में व्हाट्सऐप की नई प्राईवेसी पॉलिसी के खिलाफ याचिका दायर

4 जनवरी को नई प्राइवेसी पॉलिसी अपडेट की गई

बता दें कि पिछले 4 जनवरी को व्हाट्स ऐप ने अपनी प्राइवेसी पॉलिसी को अपडेट करते हुए अपने यूजर्स को इसे स्वीकार करना को कहा है. व्हाट्सऐप ने कहा है कि अगर यूजर अपनी प्राइवेसी पॉलिसी को स्वीकार नहीं करता है, तो 8 फरवरी के बाद उसकी सेवाएं बंद कर दी जाएंगी. व्हाटसऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी युरोप में लागू नहीं की गई है. यूरोप में डाटा प्रोटेक्शन का कानून है.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट की जज जस्टिस प्रतिभा सिंह ने व्हाट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. उन्होंने इस मामले को लेकर कोर्ट को भेजे गए ई-मेल पर आपत्ति जताते हुए अपने आप को सुनवाई से अलग कर लिया. कोर्ट ने इस मामले पर 18 जनवरी को जनहित याचिका के रूप में सुनवाई करने का आदेश दिया.

व्हाटसऐप ने कोर्ट को ई-मेल किया था

ये मामला किस बेंच के पास लिस्ट किया जाएगा. इस पर फैसला करने के लिए चीफ जस्टिस के पास भेजा गया. दरअसल ई-मेल व्हाट्सऐप की ओर से कोर्ट को भेजा गया था. इस ई-मेल में कहा गया था कि जस्टिस प्रतिभा सिंह इससे जुड़े मामले में बतौर वकील पहले पेश हो चुकी हैं. हालांकि व्हाटसऐप ने इस ई-मेल को वापस ले लिया है. सुनवाई के दौरान एएसजी चेतन शर्मा ने जस्टिस प्रतिभा सिंह से इस सुनवाई से अलग नहीं होने की अपील की, लेकिन जस्टिस प्रतिभा सिंह नहीं मानी.

सभी ऑनलाइन गतिविधियों पर निगरानी रखी जाएगी

याचिका वकील चैतन्य रोहिल्ला ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि व्हाट्स ऐप की नई प्राईवेसी पॉलिसी से लोगों की निजता के अधिकार का उल्लंघन हो रहा है और देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है. याचिका में कहा गया है कि व्हाट्सऐप की नई प्राईवेसी पॉलिसी किसी युजर की सभी आनलाइन गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए तैयार किया गया है. याचिका में कहा गया है कि डाटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी के अभाव में यूजर्स को कंपनी के रहमोकरम पर भी निर्भर रहना होगा. याचिका में व्हाटसऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी को अपडेट करने से तत्काल रोकने की मांग की गई है.

केंद्र अपने अधिकारों का करे उपयोग

याचिका में मांग की गई है कि व्हाट्सऐप की प्राइवेसी पॉलिसी को मौलिक अधिकारों के मुताबिक तय करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएं. केंद्र सरकार इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट की धारा 79(2)(सी) और धारा 87(2)(जेडजी) के तहत मिले अधिकारों का उपयोग करते हुए ये सुनिश्चित करे कि व्हाट्सऐप किसी भी यूजर का डाटा किसी भी तीसरे पक्ष या फेसबुक को किसी उपयोग के लिए शेयर नहीं करे.


फेसबुक से डाटा शेयर करेगा व्हाटस ऐप

व्हाटसऐप की प्राइवेसी पॉलिसी के मुताबिक वो यूजर का डाटा किसी तीसरे पक्ष को शेयर नहीं करने के अधिकार को छीनता है. अगर व्हाटसऐप यूजर्स का डाटा फेसबुक को शेयर करती है इसका मतलब है कि वो हर सेकेंड यूजर का डाटा संग्रह करेगा और एक तरह से वो फेसबुक और उसकी कंपनियों की निगरानी में रहेगा. ऐसा करना गैरकानूनी है. व्हाटसऐप के यूजर एक-दूसरे को संदेश देने के लिए उसका उपयोग करते हैं, लेकिन अगर उन सूचनाओं का उपयोग किसी पक्ष से करना गैरकानूनी है.

ये भी पढ़ें:-दिल्ली हाईकोर्ट में व्हाट्सऐप की नई प्राईवेसी पॉलिसी के खिलाफ याचिका दायर

4 जनवरी को नई प्राइवेसी पॉलिसी अपडेट की गई

बता दें कि पिछले 4 जनवरी को व्हाट्स ऐप ने अपनी प्राइवेसी पॉलिसी को अपडेट करते हुए अपने यूजर्स को इसे स्वीकार करना को कहा है. व्हाट्सऐप ने कहा है कि अगर यूजर अपनी प्राइवेसी पॉलिसी को स्वीकार नहीं करता है, तो 8 फरवरी के बाद उसकी सेवाएं बंद कर दी जाएंगी. व्हाटसऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी युरोप में लागू नहीं की गई है. यूरोप में डाटा प्रोटेक्शन का कानून है.

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