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International women's day 2023: मेहनत और लगन ने डॉ. सपना यादव को दिलाया स्टेट टीचर एजुकेटर्स अवॉर्ड 2022 - स्टेट टीचर एजुकेटर्स अवॉर्ड 2022

दिल्ली सरकार के स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एससीईआरटी) की सीनियर लेक्चरर डॉ. सपना यादव को स्टेट टीचर एजुकेटर्स अवार्ड 2022 दिया गया है. वह दिल्ली सरकार के एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट करिकुलम (ईएमसी) की प्रोजेक्ट डायरेक्टर और एससीईआरटी की इंफॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी (आईसीटी) की विभागाध्यक्ष भी हैं. शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य के लिए उन्हें कई और अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया है. 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है इस मौके पर ईटीवी भारत ने उनकी उपलब्धियों को लेकर बातचीत की.

International womens day 2023
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Published : Mar 4, 2023, 1:08 PM IST

डॉ. सपना यादव, अवॉर्ड अचीवर

नई दिल्ली: पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों में अगर शुरू से ही उद्यमशीलता विकसित की जाए और उन्हें शुरू से ही इसका प्रशिक्षण दिया जाए, तो पढ़ाई पूरी करने के बाद बच्चों को नौकरी के लिए भटकना नहीं पड़ेगा. इसी सोच के साथ दिल्ली सरकार ने साल 2016 में सरकारी स्कूलों में एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट करिकुलम (ईएमसी) की शुरुआत की थी. दिल्ली सरकार के स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एससीईआरटी) की सीनियर लेक्चरर डॉ. सपना यादव को ईएमसी का प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनाया गया था. डॉ. सपना यादव ने बताया कि जब उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई थी तो सबसे बड़ी चुनौती थी स्कूल के बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ उद्यमशीलता का माइंडसेट विकसित करने के लिए तैयार करना. उनमें ऐसी लगन पैदा करना कि वे पूरी रूचि के साथ कार्यक्रम से जुड़ सकें.

बच्चों और शिक्षकों से ज्यादा खुद को इंवॉल्व किया: डॉ. सपना यादव ने बताया कि "स्कूली शिक्षा में यह बिल्कुल नया कॉन्सेप्ट था, इसलिए इसकी भावना बच्चों को समझा पाना कठिन था. इसके लिए पहले शिक्षकों को तैयार किया गया और फिर ईएमसी की पूरी रूपरेखा तैयार की गई. इसके तहत 9वीं कक्षा से लेकर 12वीं तक के छात्र-छात्राओं को शामिल किया गया. बच्चों से नए-नए बिजनेस आइडियाज मांगे गए. शिक्षकों ने क्लास में उन्हें अपने आइडिया सबके सामने साझा करने का मौका दिया फिर उन आइडिया को आगे कैसे ले जाएंगे, इस पर मैंने और बच्चों ने खुद विमर्श किया. दूसरे चरण के तहत बच्चों को अपने-अपने क्षेत्र के सफल स्टार्टअप चलाने वाले लोगों से मिलाया गया. बच्चों ने उनके इंटरव्यू किए उनकी पूरी कहानी सुनी. सफल व्यक्तियों की कहानी सुनकर और उनके करियर में आए उतार-चढ़ाव को देखकर बच्चों को भी यह समझ आया कि कभी-कभी हमें असफलता से भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है. बच्चों के मन से असफलता का डर दूर कर उनसे निपटने का तरीका भी सीखा."

कोरोना के दौरान आई चुनौती में तकनीक बनी सहारा: डॉ. सपना ने बताया कि "कोरोना महामारी के दौरान ईएमसी कार्यक्रम में बाधा आई तो ऐसा लगा कि कार्यक्रम आगे नहीं चल पाएगा, लेकिन उस दौरान तकनीक ने हमें पूरा सहारा दिया. ईएमसी कार्यक्रम ऑनलाइन चलाया गया, जिसे डिजिटल ईएमसी नाम दिया गया. इस पहल के कारण ही कोरोना के दौरान भी बच्चों ने इस कार्यक्रम के तहत सीखना जारी रखा."

हर बच्चे में होता है कुछ खास हुनर, बस पहचानने की जरूरत: डॉ. सपना यादव ने बताया कि "हर बच्चे में कोई न कोई विशेषता जरूर होती है. अभिभावकों और शिक्षकों को उसकी पहचान करने की जरूरत होती है. ईएमसी कार्यक्रम के तहत बिजनेस ब्लास्टर्स के लिए 100 बच्चों का चुनाव करने के दौरान हजारों बच्चों को प्रतिभा देखने परखने का मौका मिला. इस दौरान देखा गया कि बच्चों में प्रतियोगिता की भावना तो है ही, टीम बनाकर काम करने का हुनर भी उन्हें खूब आता है. हमारे शिक्षकों ने बच्चों से बातचीत की, उनके आइडिया सुने और उन्हें लागू करवाकर उनके उद्यमशीलता के गुण को और पुख्ता किया.

ये भी पढ़ें: International Women's Day 2023 : ये हैं देश की राजनीति में सर्वाधिक सफल महिलाएं, हमेशा किया जाएगा याद

डॉ. सपना यादव, अवॉर्ड अचीवर

नई दिल्ली: पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों में अगर शुरू से ही उद्यमशीलता विकसित की जाए और उन्हें शुरू से ही इसका प्रशिक्षण दिया जाए, तो पढ़ाई पूरी करने के बाद बच्चों को नौकरी के लिए भटकना नहीं पड़ेगा. इसी सोच के साथ दिल्ली सरकार ने साल 2016 में सरकारी स्कूलों में एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट करिकुलम (ईएमसी) की शुरुआत की थी. दिल्ली सरकार के स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एससीईआरटी) की सीनियर लेक्चरर डॉ. सपना यादव को ईएमसी का प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनाया गया था. डॉ. सपना यादव ने बताया कि जब उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई थी तो सबसे बड़ी चुनौती थी स्कूल के बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ उद्यमशीलता का माइंडसेट विकसित करने के लिए तैयार करना. उनमें ऐसी लगन पैदा करना कि वे पूरी रूचि के साथ कार्यक्रम से जुड़ सकें.

बच्चों और शिक्षकों से ज्यादा खुद को इंवॉल्व किया: डॉ. सपना यादव ने बताया कि "स्कूली शिक्षा में यह बिल्कुल नया कॉन्सेप्ट था, इसलिए इसकी भावना बच्चों को समझा पाना कठिन था. इसके लिए पहले शिक्षकों को तैयार किया गया और फिर ईएमसी की पूरी रूपरेखा तैयार की गई. इसके तहत 9वीं कक्षा से लेकर 12वीं तक के छात्र-छात्राओं को शामिल किया गया. बच्चों से नए-नए बिजनेस आइडियाज मांगे गए. शिक्षकों ने क्लास में उन्हें अपने आइडिया सबके सामने साझा करने का मौका दिया फिर उन आइडिया को आगे कैसे ले जाएंगे, इस पर मैंने और बच्चों ने खुद विमर्श किया. दूसरे चरण के तहत बच्चों को अपने-अपने क्षेत्र के सफल स्टार्टअप चलाने वाले लोगों से मिलाया गया. बच्चों ने उनके इंटरव्यू किए उनकी पूरी कहानी सुनी. सफल व्यक्तियों की कहानी सुनकर और उनके करियर में आए उतार-चढ़ाव को देखकर बच्चों को भी यह समझ आया कि कभी-कभी हमें असफलता से भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है. बच्चों के मन से असफलता का डर दूर कर उनसे निपटने का तरीका भी सीखा."

कोरोना के दौरान आई चुनौती में तकनीक बनी सहारा: डॉ. सपना ने बताया कि "कोरोना महामारी के दौरान ईएमसी कार्यक्रम में बाधा आई तो ऐसा लगा कि कार्यक्रम आगे नहीं चल पाएगा, लेकिन उस दौरान तकनीक ने हमें पूरा सहारा दिया. ईएमसी कार्यक्रम ऑनलाइन चलाया गया, जिसे डिजिटल ईएमसी नाम दिया गया. इस पहल के कारण ही कोरोना के दौरान भी बच्चों ने इस कार्यक्रम के तहत सीखना जारी रखा."

हर बच्चे में होता है कुछ खास हुनर, बस पहचानने की जरूरत: डॉ. सपना यादव ने बताया कि "हर बच्चे में कोई न कोई विशेषता जरूर होती है. अभिभावकों और शिक्षकों को उसकी पहचान करने की जरूरत होती है. ईएमसी कार्यक्रम के तहत बिजनेस ब्लास्टर्स के लिए 100 बच्चों का चुनाव करने के दौरान हजारों बच्चों को प्रतिभा देखने परखने का मौका मिला. इस दौरान देखा गया कि बच्चों में प्रतियोगिता की भावना तो है ही, टीम बनाकर काम करने का हुनर भी उन्हें खूब आता है. हमारे शिक्षकों ने बच्चों से बातचीत की, उनके आइडिया सुने और उन्हें लागू करवाकर उनके उद्यमशीलता के गुण को और पुख्ता किया.

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