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दिल्ली के मंडी हाउस स्थित कमानी सभागार में 'हां मैं सावरकर हूं' नाटक का मंचन - सावरकर ने मित्र मेला नाम से संगठन बनाया

Savarkar drama staged:विनायक दामोदर सावरकर के जीवन पर अधारित हाँ में सावरकर हूँ" नाम के नाटक का मंचन दिल्ली के मंडी हाउस स्थित कमानी सभागार में किया गया. नाटक में करीब 25 किरदारों ने निभाई अहम भूमिका.

Savarkar drama staged
हां मैं सावरकर हूं नाटक का मंचन
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 18, 2023, 5:45 PM IST

हां मैं सावरकर हूं नाटक का मंचन

नई दिल्ली: वीर सावरकर के जीवन पर आधरित "स्वतंत्र वीर सावरकर, हाँ में सावरकर हूँ" नाम के नाटक का मंचन दिल्ली के मंडी हाउस स्थित कमानी सभागार में किया गया. इस नाटक का लेखन और निर्देशन ऋषि साहनी द्वारा किया गया है. लगभग 3 घंटे के इस नाटक ने दर्शकों को बांधे रखा. वीर सावरकर ने 'मित्र मेला' के नाम से एक संगठन की स्थापना की. जिसने लोगों को भारत की 'पूर्ण राजनीतिक स्वतंत्रता' के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया.

ये भी पढ़ें: नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के छात्रों ने 'पार्टी' नामक नाटक का किया मंचन

वीर सावरकर का जन्म एक ब्राह्मण हिंदू परिवार में हुआ था .विनायक दामोदर सावरकर एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, वकील, समाज सुधारक और हिंदुत्व के दर्शन के सूत्रधार थे. उनके पिता दामोदर पंत सावरकर और माता यशोदा सावरकर थे. सावरकर ने बेहद कम उम्र में ही अपनी मां को खो दिया था.उनके भाई-बहन गणेश, मैनाबाई और नारायण थे. वो अपनी बहादुरी के लिए जाने जाते थे और यही कारण था कि उन्हें 'वीर' कहकर बुलाया जाने लगा . सावरकर अपने बड़े भाई गणेश से बेहद प्रभावित थे, जिन्होंने उनके जीवन में प्रभावशाली भूमिका निभाई थी. इस नाटक में वीर सावरकर के जीवन को चार भागों में बांट कर प्रस्तुत किया गया है .

ऋषि ने बताया कि नाटक में लगभग 22 से 25 किरदारों ने भाग लिया. जिन्होंने नाटक में वीर क्रांतिकारियों की भूमिका निभाई है . उन्होंने बताया कि नाटक की प्रैक्टिस के द्वारा भी सभी कलाकारों को उनके किरदार के नाम से ही पुकारा जाता रहा है . ये उन कलाकारों की मेहनत है जो मंच पर दिखी है."स्वतंत्र वीर सावरकर, हाँ में सावरकर हूँ" की पहली प्रस्तुति है और इसके निर्देशक ने कामना की है कि वे इस तरह के नाटकों का मंचन बार बार करते रहेंगे

ये भी पढ़ें: 'सारे जहां से अच्छा' म्यूजिकल डांस ड्रामाः पद्मश्री रंजना गौहर ने कबीर दास के जीवन को दर्शया, आज भी तीन प्रस्तुतियां


हां मैं सावरकर हूं नाटक का मंचन

नई दिल्ली: वीर सावरकर के जीवन पर आधरित "स्वतंत्र वीर सावरकर, हाँ में सावरकर हूँ" नाम के नाटक का मंचन दिल्ली के मंडी हाउस स्थित कमानी सभागार में किया गया. इस नाटक का लेखन और निर्देशन ऋषि साहनी द्वारा किया गया है. लगभग 3 घंटे के इस नाटक ने दर्शकों को बांधे रखा. वीर सावरकर ने 'मित्र मेला' के नाम से एक संगठन की स्थापना की. जिसने लोगों को भारत की 'पूर्ण राजनीतिक स्वतंत्रता' के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया.

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वीर सावरकर का जन्म एक ब्राह्मण हिंदू परिवार में हुआ था .विनायक दामोदर सावरकर एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, वकील, समाज सुधारक और हिंदुत्व के दर्शन के सूत्रधार थे. उनके पिता दामोदर पंत सावरकर और माता यशोदा सावरकर थे. सावरकर ने बेहद कम उम्र में ही अपनी मां को खो दिया था.उनके भाई-बहन गणेश, मैनाबाई और नारायण थे. वो अपनी बहादुरी के लिए जाने जाते थे और यही कारण था कि उन्हें 'वीर' कहकर बुलाया जाने लगा . सावरकर अपने बड़े भाई गणेश से बेहद प्रभावित थे, जिन्होंने उनके जीवन में प्रभावशाली भूमिका निभाई थी. इस नाटक में वीर सावरकर के जीवन को चार भागों में बांट कर प्रस्तुत किया गया है .

ऋषि ने बताया कि नाटक में लगभग 22 से 25 किरदारों ने भाग लिया. जिन्होंने नाटक में वीर क्रांतिकारियों की भूमिका निभाई है . उन्होंने बताया कि नाटक की प्रैक्टिस के द्वारा भी सभी कलाकारों को उनके किरदार के नाम से ही पुकारा जाता रहा है . ये उन कलाकारों की मेहनत है जो मंच पर दिखी है."स्वतंत्र वीर सावरकर, हाँ में सावरकर हूँ" की पहली प्रस्तुति है और इसके निर्देशक ने कामना की है कि वे इस तरह के नाटकों का मंचन बार बार करते रहेंगे

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