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'10 मई तक के एक्सटेंशन का लॉलीपॉप नहीं बल्कि 58 साल की पॉलिसी चाहिए'

दिल्ली में अतिथि शिक्षक अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतर आए हैं. उनकी मांग है कि उन्हें 10 मई तक के एक्सटेंशन का लॉलीपॉप नहीं बल्कि 58 साल की पॉलिसी चाहिए.

4 मार्च को होगी सुनवाई
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Published : Mar 2, 2019, 4:46 PM IST

नई दिल्ली: 2 दिन से अतिथि शिक्षक मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. शनिवार को सभी अतिथि शिक्षकों ने एकजुट होकर शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के आवास का घेराव किया. वहीं मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर शिक्षकों को यह आश्वासन दिया कि असेंबली में अतिथि शिक्षकों को परमानेंट करने का बिल पास कर दिया गया है. एलजी से अपील की गई है कि वह अतिथि शिक्षकों को परमानेंट करने की मंजूरी दे, क्योंकि इन शिक्षकों की सरकारी स्कूलों में बहुत ही ज्यादा आवश्यकता है.

4 मार्च को होगी सुनवाई

AAP के बागी नेता और विधायक का ट्वीट
मनीष सिसोदिया के ट्वीट का जवाब देते हुए आप के बागी नेता और विधायक कपिल मिश्रा ने कहा कि 'आप फिर झूठ बोल रहे हैं मनीष जी. आज दिल्ली के 25 हजार गेस्ट टीचर सड़कों पर हैं .इनकी नौकरी खतरे में है. इनका कॉन्ट्रैक्ट बढ़ाना था. आपने कोई पॉलिसी भी नहीं बनाई. अभी देर नहीं हुई है. पॉलिसी बनाकर इन सब को वापस ज्वाइन करवाइए.'

4 मार्च को होगी सुनवाई
आपको बता दें कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में लगभग 25,000 अतिथि शिक्षक कार्यरत हैं. जिनके कॉन्ट्रैक्ट की अवधि 28 फरवरी 2019 तक सुनिश्चित की गई थी. वहीं हर साल कार्यकाल की अवधि पूरी होने के बाद रिन्यूएबल का ऑर्डर आ जाता था, लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. यह केस कोर्ट में पहुंच चुका है जिसकी सुनवाई के लिए 4 मार्च की तारीख तय की गई है. अतिथि शिक्षकों का कहना है कि अनुबंधन से राजनीति करने के बजाय उन्हें स्थाई करने की बात पर विचार करना चाहिए. अगर स्थाई भी ना कर सके तो कम से कम 58 साल की पॉलिसी ही बना कर दे दी जाए.

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'डेली वेज पर काम करते हैं'
प्रदर्शन कर रहे एक अतिथि शिक्षक ने कहा कि हम सभी अतिथि शिक्षक डेली वेज पर काम करते हैं, जितने दिन स्कूल जाते हैं उतने दिन की ही तनख्वाह मिलती है. यहां तक कि त्योहारों और रविवार की छुट्टी के लिए भी कोई पैसे नहीं दिए जाते हैं. वहीं दूसरे गेस्ट टीचर्स का कहना है कि यह आक्रोश 1 दिन का नहीं बल्कि जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होंगी तब तक चलता रहेगा.

नई दिल्ली: 2 दिन से अतिथि शिक्षक मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. शनिवार को सभी अतिथि शिक्षकों ने एकजुट होकर शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के आवास का घेराव किया. वहीं मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर शिक्षकों को यह आश्वासन दिया कि असेंबली में अतिथि शिक्षकों को परमानेंट करने का बिल पास कर दिया गया है. एलजी से अपील की गई है कि वह अतिथि शिक्षकों को परमानेंट करने की मंजूरी दे, क्योंकि इन शिक्षकों की सरकारी स्कूलों में बहुत ही ज्यादा आवश्यकता है.

4 मार्च को होगी सुनवाई

AAP के बागी नेता और विधायक का ट्वीट
मनीष सिसोदिया के ट्वीट का जवाब देते हुए आप के बागी नेता और विधायक कपिल मिश्रा ने कहा कि 'आप फिर झूठ बोल रहे हैं मनीष जी. आज दिल्ली के 25 हजार गेस्ट टीचर सड़कों पर हैं .इनकी नौकरी खतरे में है. इनका कॉन्ट्रैक्ट बढ़ाना था. आपने कोई पॉलिसी भी नहीं बनाई. अभी देर नहीं हुई है. पॉलिसी बनाकर इन सब को वापस ज्वाइन करवाइए.'

4 मार्च को होगी सुनवाई
आपको बता दें कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में लगभग 25,000 अतिथि शिक्षक कार्यरत हैं. जिनके कॉन्ट्रैक्ट की अवधि 28 फरवरी 2019 तक सुनिश्चित की गई थी. वहीं हर साल कार्यकाल की अवधि पूरी होने के बाद रिन्यूएबल का ऑर्डर आ जाता था, लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. यह केस कोर्ट में पहुंच चुका है जिसकी सुनवाई के लिए 4 मार्च की तारीख तय की गई है. अतिथि शिक्षकों का कहना है कि अनुबंधन से राजनीति करने के बजाय उन्हें स्थाई करने की बात पर विचार करना चाहिए. अगर स्थाई भी ना कर सके तो कम से कम 58 साल की पॉलिसी ही बना कर दे दी जाए.

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'डेली वेज पर काम करते हैं'
प्रदर्शन कर रहे एक अतिथि शिक्षक ने कहा कि हम सभी अतिथि शिक्षक डेली वेज पर काम करते हैं, जितने दिन स्कूल जाते हैं उतने दिन की ही तनख्वाह मिलती है. यहां तक कि त्योहारों और रविवार की छुट्टी के लिए भी कोई पैसे नहीं दिए जाते हैं. वहीं दूसरे गेस्ट टीचर्स का कहना है कि यह आक्रोश 1 दिन का नहीं बल्कि जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होंगी तब तक चलता रहेगा.

Intro:दिल्ली सरकार जिन शिक्षकों के बल पर पूरे विश्व में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने की डींगे मार रही है, वही शिक्षक 2 दिन से अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतर आए हैं. अतिथि शिक्षकों की मांग है कि उन्हें 10 मई तक के एक्सटेंशन का लॉलीपॉप नहीं बल्कि 58 साल की पॉलिसी चाहिए. इसी मांग को लेकर सभी अतिथि शिक्षकों ने एकजुट होकर शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के आवास का घेराव किया है. शिक्षकों का प्रयास रंग लाता दिखाई दे रहा है. मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर के सभी शिक्षकों को यह आश्वासन दिया है कि असेंबली में अतिथि शिक्षकों को परमानेंट करने का बिल पास कर दिया गया है. साथ ही एलजी से अपील की गई है कि वह अतिथि शिक्षकों को परमानेंट करने की मंजूरी दे दे क्योंकि इन शिक्षकों की सरकारी स्कूलों में बहुत ही ज्यादा आवश्यकता है. वहीं मनीष सिसोदिया के ट्वीट का जवाब देते हुए आप के बागी नेता और विधायक कपिल मिश्रा ने कहा कि 'आप फिर झूठ बोल रहे हैं मनीष जी. आज दिल्ली के 25 हजार गेस्ट टीचर सड़कों पर हैं .इनकी नौकरी खतरे में है. इनका कॉन्ट्रैक्ट बढ़ाना था. आपने कोई पॉलिसी भी नहीं बनाई. अभी देर नहीं हुई है. पॉलिसी बनाकर इन सब को वापस ज्वाइन करवाइए.'


Body:बता दें कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में लगभग 25,000 अतिथि शिक्षक कार्यरत है. जिनके कॉन्ट्रैक्ट की अवधि 28 फरवरी 2019 तक सुनिश्चित की गई थी. वहीं हर साल कार्यकाल की अवधि पूरी होने के बाद रिन्यूएबल का आर्डर आ जाता था परंतु इस बार ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. यह केस कोर्ट में पहुंच चुका है जिसकी सुनवाई के लिए 4 मार्च की तारीख तय की गई है. इसको लेकर सभी अतिथि शिक्षकों में रोष का माहौल है. उनका कहना है कि अतिथि शिक्षकों के अनुबंधन से राजनीति करने के बजाय उन्हें स्थाई करने की बात पर विचार करना चाहिए. यदि स्थाई भी ना कर सके तो कम से कम 58 साल की पॉलिसी ही बना कर दे दी जाए. इसको लेकर लगातार दूसरे दिन अतिथि शिक्षकों ने भारी संख्या में मनीष सिसोदिया के आवास का घेराव किया है. उनकी मांग है कि अब 4 और 6 महीने का एक्सटेंशन नहीं बल्कि 58 साल की पॉलिसी चाहिए .

वहीं डीएसएसबी द्वारा अतिथि शिक्षकों के आंकड़े कोर्ट में दिए जाने को लेकर अतिथि शिक्षकों का कहना है कि घर और स्कूल की सभी जिम्मेदारियां निभाते हुए भी शिक्षकों ने परीक्षा की तैयारी की. साथ ही शिक्षा निदेशालय ने सख्त निर्देश दिए थे कि कोई भी अतिथि शिक्षक छुट्टी पर नहीं जाएगा यदि कोई ऐसा करता है तो उसका अनुबंध रद्द कर दिया जाएगा. ऐसे में परीक्षा के सिलेबस की तैयारी करना बहुत ही मुश्किल काम था फिर भी शिक्षकों ने कोशिश की और इम्तिहान दिया. इसके अलावा जो अतिथि शिक्षक नहीं है उन परीक्षार्थियों की संख्या 10000 से अधिक थी जिसमें केवल 1% परीक्षार्थी ही पास हुए हैं जिससे पता चलता है कि गेस्ट टीचरों ने फिर भी काफी अच्छा रिजल्ट दिया है इसके बाबत भी सरकार उनके लिए कुछ भी करने को तैयार नहीं है.


Conclusion:वहीं प्रदर्शन करें एक अतिथि शिक्षक ने कहा कि हम सभी अतिथि शिक्षक डेली वेज पर काम करते हैं जितने दिन स्कूल जाते हैं उतने दिन की ही तनख्वाह मिलती है यहां तक कि त्योहारों और रविवार की छुट्टी के लिए भी कोई पैसे नहीं दिए जाते वहीं दूसरे गेस्ट टीचर्स का कहना है कि यह आक्रोश 1 दिन का नहीं बल्कि जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होंगी तब तक चलता रहेगा.
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