नई दिल्ली: सरकारी स्कूलों में अतिथि शिक्षक के रूप में काम कर रहे शिक्षकों का प्रदर्शन 28 फरवरी को कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के बाद से लगातार शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के घर पर जारी है. प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों का रोज़ाना नए-नए तरीके से विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है.
बता दें कि प्रदर्शन कर रहे शिक्षक 58 साल की पॉलिसी की मांग कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी शिक्षकों का कहना है कि अब 58 साल की पॉलिसी से काम कुछ मंजूर नहीं है. बता दें कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बतौर अतिथि शिक्षक काम कर रहे शिक्षकों का 1 मार्च से शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के घर पर 58 साल की पॉलिसी की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं प्रदर्शन कर रहे गेस्ट टीचरों ने मंगलवार को बाल मुंडवा कर प्रदर्शन किया. जिसमें सौ से अधिक अथिति शिक्षकों ने मंगलवार को अपने बाल मुंडवाए.
वहीं बाल मुंडवा रहे शिक्षक ने कहा कि सरकार से एक-एक बाल का बदला लिया जाएगा. अगर सरकार हमारी मांग नहीं मानती है. उसे इसका आने वाले चुनाव में भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. साथ ही शिक्षक ने कहा कि हम यहां पांच दिन से प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन हमारे शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को अथिति शिक्षकों का दर्द दिखाई नहीं दे रहा है.
शिक्षकों का परिवार भी सड़कों पर आ गए
वहीं प्रदर्शन कर रहे अतिथि शिक्षक शोहेब राणा ने कहा कि पिछले पांच दिन 25 हजार शिक्षक भूखे प्यासे एक ही मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन सरकार के कानों में जू तक नहीं रेंग रही हैं. उन्होंने कहा कि यह केवल 25,000 अथिति शिक्षक के बेरोजगार होने की बात नहीं हैं बल्कि सरकार की गलत नीति की वजह से आज शिक्षकों का परिवार भी सड़कों पर आ गए हैं. उन्होंने कहा कि कई अतिथि शिक्षक ऐसे हैं. जिनकी अब उम्र भी निकल गई है. वह सरकार की गलत नीतियों के चलते अब सड़कों पर आ गए हैं. राणा ने कहा कि सरकार को 25,000 अतिथि शिक्षक ही नहीं बल्कि उनके परिवार के बारे में भी सोचना चाहिए. जो कि कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने की वजह से प्रभावित हो रहे हैं. साथ ही कहा कि यह प्रदर्शन तब तक जारी रहेगा जब तक दिल्ली सरकार अतिथि शिक्षकों के लिए 58 साल की पॉलिसी पास नहीं कर देती है.
हमारा प्रदर्शन चलता रहेगा
वहीं प्रदर्शन कर रहे अतिथि शिक्षक इमरान ने बताया कि हम सभी अतिथि शिक्षक डेली वेज पर काम करते हैं. जितने दिन स्कूल जाते हैं उतने दिन की ही तनख्वाह मिलती है. यहां तक कि त्योहारों और रविवार की छुट्टी के लिए भी कोई पैसे नहीं दिए जाते हैं. उन्होंने कहा कि यह आक्रोश 1 दिन का नहीं बल्कि जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होगी तब तक चलता रहेगा.