नई दिल्ली: दिल्ली सिर्फ देश की राजधानी नहीं, विविधता वाले भारत की एक सांस्कृतिक धरोहर भी है और इसमें दिल्ली के एक बड़े हिस्से का सबसे ज्यादा योगदान है, जिसे पुरानी दिल्ली कहा जाता है. पुरानी दिल्ली का ही एक हिस्सा है चांदनी चौक. चांदनी चौक के एक मुहाने पर है लाल किला और दूसरे पर फतेहपुरी मस्जिद और इसी बीच ऐतिहासिक शीशगंज गुरुद्वारा भी है.
चांदनी चौक की इस मुख्य सड़क पर स्थित है, हिंदुओं की धार्मिक मान्यता का एक महत्वपूर्ण मंदिर गौरी शंकर मंदिर और जैन धर्मावलंबियों का दिगंबर जैन मंदिर. इन सब के इर्द-गिर्द विकसित है बाजार, जो न सिर्फ दिल्ली वालों बल्कि देश भर के लोगों को अपनी विविधता के कारण आकर्षित करता है. करीब 2 साल पहले तक इस बाजार की एक पहचान यहां की बेतरतीब भीड़ से भी जुड़ती थी.
इस बाजार की अव्यवस्था कहीं ना कहीं दिल्ली की विरासत वाली पहचान की नाम पर एक धब्बे की तरह थी और इसे कोर्ट ने भी रेखांकित किया. नतीजतन, 2004 में चांदनी चौक के पुनर्विकास की योजना बनी लेकिन योजना को कागज पर ही उतरने में 4 साल लग गए. 2008 में दिल्ली की तत्कालीन शीला दीक्षित सरकार ने यह SRDC शाहजहानाबाद पुनर्विकास निगम की स्थापना की स्थापना की.
हालांकि शाहजहानाबाद पुनर्विकास निगम की स्थापना के 10 साल बाद भी इसका काम शुरू नहीं हो सका. 2018 में दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने इस दिशा में पहल की और इसके लिए काम शुरू हुआ. अब यह काम पूरा होने को है और चांदनी चौक की दशा और सूरत दोनों बदल चुकी है. कभी बरसात के दिनों में कीचड़ में सनी रहने वाली सड़क पर अब करीने से रखे गए गमलों में फूल खिल रहे हैं.
चांदनी चौक की जिस मुख्य सड़क पर कभी लाल किला से फतेहपुरी मस्जिद के करीब 1.3 किलोमीटर के सफर में ही घंटे लग जाते थे, वह सफर अब कुछ मिनट में ही तय किया जा सकता है. इसका मुख्य कारण यह है कि पूरी सड़क को नॉन मोटर व्हीकल जोन में बदल दिया गया है. यानी यहां बाइक या ऑटो रिक्शा का संचालन भी प्रतिबंधित है. इसके लिए 20 हजार रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
1.3 किलोमीटर लंबी इस पूरी सड़क पर अब लाल बलुआ पत्थर के कुर्सी नुमा स्तंभ बने हैं, जहां पर लोग घूमते फिरते आराम करते देखे जा सकते हैं. इस सड़क पर लाल बलुआ पत्थर के ही करीब 200 प्लांटर्स भी बनाए गए हैं, इनमें मॉलसरी सहित कई पौधे लगे हैं. आपको बता दें कि दिल्ली सरकार की पीडब्ल्यूडी की तरफ से यय पूरा काम कराया गया है. हालांकि पुनर्विकास के इस कार्य में अन्य कई एजेंसियां भी लगीं हैं.
पीडब्ल्यूडी के अलावा इस काम में दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन, आरकोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, दिल्ली जल बोर्ड, दिल्ली ट्रैफिक पुलिस भी इस पुनर्विकास में शामिल है. दिल्ली जल बोर्ड की तरफ से यहां सीवर व पानी की पाइप लाइन को ठीक किया गया है. यहां के तारों को अंडरग्राउंड करने का काम किया गया है. हालांकि इसका कुछ काम अभी चल रहा है. सौंदर्यीकरण योजना के तहत एक मल्टीलेवल पार्किंग भी तैयार की जा रही है.
करीब ढाई हजार कारों की पार्किंग की क्षमता वाली यह मल्टीलेवल पार्किंग गांधी मैदान में मार्च 2020 तक तैयार कर दी जानी थी, लेकिन कोरोना के कारण इसके काम में देरी हुई है. आपको बता दें कि चांदनी चौक पुनर्विकास योजना की पूरी लागत करीब 90 करोड़ है. फरवरी महीने में ही इसे उद्घाटित किया जाना था, लेकिन कोरोना के कारण काम समय पर पूरा नहीं हो सका. लेकिन अब यह काम करीब करीब पूरा हो चुका है.
इसी महीने आगामी दिनों में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इसका उद्घाटन करेंगे. गौर करने वाली बात यह भी है कि लाल किला के सामने से लोग चांदनी चौक के सौन्दर्यीकृत रूप का अच्छे तरीके से लाभ उठा पाएं, इसके लिए यहां की लाल बत्ती को भी पैदल चलने वाले लोगों के हिसाब से व्यवस्थित किया जा रहा है. जब लोग सड़क पार करेंगे, तो लालबत्ती खुद से लाल हो जाएगी.
चांदनी चौक का यह बदला स्वरूप आम लोगों को भी खूब भा रहा है. यहां घूमने आए दिनेश कुमार ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि रिनोवेशन का काम बहुत अच्छा हुआ है, पैदल चलने वाले लोगों के लिए यह सुविधाजनक है, यहां साफ-सफाई का भी ध्यान रखा जा रहा है. वहीं युवा इगरार और ईशान खान का कहना था कि पहले यहां काफी भीड़ होती थी, लेकिन अब यहां पेड़ पौधे लगाए गए हैं, बैठने की अच्छी व्यवस्था है.
स्थानीय दुकानदारों ने यहां के बदलाव को तो सराहा, सड़क के सौंदर्यीकरण को लेकर तो खुशी जाहिर की, लेकिन इस सड़क पर गाड़ियों के प्रतिबंध को लेकर उनकी नाराजगी दिखी. चांदनी चौक सड़क के किनारे दुकान चलाने वाले मोहम्मद जसीन का कहना था कि सड़क तो अच्छी बनी है, पैदल चलने वालों की दिक्कत भी कम हो गईं, लेकिन यहां गाड़ियां बंद होने से कारोबार को नुकसान हो रहा है.
मोहम्मद जसीन का कहना था कि जो लोग अपनी गाड़ियों से खरीदारी करने आते थे, वे नहीं आ रहे हैं. पार्किंग की भी आस पास कोई सुविधा नहीं है. एक और दुकानदार बृजेश गोयल का भी यही कहना था. बृजेश गोयल ने कहा कि बाहर से यहां आने वाले टूरिस्ट अपने वाहन से ही आते हैं, लेकिन वाहनों की एंट्री बंद कर देना हमारे लिए नुकसानदेह हुआ है.
हालांकि यह बदलाव रिक्शा वालों को पसंद आ रहा है. यहां दशकों से रिक्शा चला रहे विनोद कुमार ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि अगर मोटर और ऑटो रिक्शा चलते रहे, तो हमारी कमाई बंद हो जाएगी. उन्होंने कहा कि इन्हें पूरी तरह से बंद ही कर देना चाहिए. विनोद कुमार ने यहां के सौंदर्यीकरण को सराहा और कहा कि यहां सीसीटीवी कैमरे भी लग रहे हैं, इससे सुरक्षा के हिसाब से भी स्थिति अच्छी हो जाएगी.