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ग्रीनपीस रिपोर्ट: वायु प्रदूषण को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन बेहतर विकल्प - ग्रीनपीस दिल्ली प्रदूषण रिपोर्ट

देश की राजधानी प्रदूषित है और तमाम प्रयासों के बाद भी प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है. हालात इतनी खराब हैं कि पिछले साल यानी 2020 में ही दिल्ली में 54 हजार मौतें हो गईं. इन मौतों की वजह दिल्ली की प्रदूषित हवा रही.

GREENPEACE REPORT SAYS DELHI IS THIRD LARGEST POLLUTED CITY IN WORLD
वायु प्रदूषण
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Published : Feb 23, 2021, 8:33 AM IST

नई दिल्ली: पर्यावरण के लिए काम करने वाली संस्था ग्रीनपीस के हाल ही में आए आंकड़े परेशान करने वाले हैं. जिसमें कहा गया है कि साल 2020 में वायु प्रदूषण के कारण केवल राजधानी दिल्ली में 54000 लोगों की मौत हो गई है. चिंता की बात इसलिए भी है क्योंकि साल 2020 में मार्च महीने से ही लॉकडाउन लगा दिया गया था और तब एयर क्वालिटी इंडेक्स में बड़ा सुधार देखने को मिला था. जिसमें AQI 50 तक दर्ज हुआ था. बावजूद ये आंकड़े बेहद चिंताजनक है.

वायु प्रदूषण को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन बेहतर विकल्प

पीएम 2.5 का स्तर बेहद चिंताजनक

वायु प्रदूषण को लेकर ग्रीनपीस के जारी किए गए आंकड़ों को लेकर पर्यावरणविद और सोशल वर्कर्स का क्या कहना है? इसके साथ ही क्या दिल्ली सरकार के जरिए प्रदूषण को लेकर उठाए गए कदम पर्याप्त है? इसको लेकर ईटीवी भारत को सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट में एयर पॉल्युशन यूनिट के प्रोग्राम मैनेजर विवेक चट्टोपाध्यायने बताया दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है. इसमें पीएम 2.5 का स्तर चिंताजनक है, क्योंकि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है. ना केवल मौजूदा समय में बल्कि इसके कारण हम कई लंबी बीमारियों से भी ग्रस्त हो सकते हैं.



पब्लिक ट्रांसपोर्ट को किया जाए बेहतर

विवेक चट्टोपाध्याय ने बताया पीएम 2.5 का स्तर बढ़ाने में ट्रांसपोर्ट सेक्टर, छोटी-बड़ी सभी फैक्ट्रियों, कूड़ा जलाना यह अहम भूमिका अदा करते हैं. उन्होंने कहा कि प्राइवेट वाहनों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. हमारे बीच पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कमी है. वहीं फ्यूल इंधन का तेजी से इस्तेमाल हो रहा है. लेकिन अगर पब्लिक ट्रांसपोर्ट बेहतर हो और फ्यूल का इस्तेमाल कम किया जाए, तो वायु प्रदूषण पर कुछ हद तक रोक लगाई जा सकती है.

इसके साथ ही अगर लोग इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर अपना रुख करेंगे, तो यह भी एक बेहतर कदम है. साथ ही उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा स्विच इंडिया जो अभियान चलाया गया है उसमें जनभागीदारी की आवश्यकता है तभी वह अभियान सफल हो सकता है इसके साथ ही एनसीआर में इंडस्ट्रियल सेक्टर पर भी कुछ नियंत्रण किया जाना चाहिए.

इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी दे सरकार

इसके साथ ही वायु प्रदूषण के चलते लोगों के स्वास्थ्य को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव डॉ. जयेश लेले ने बताया वायु प्रदूषण को कम करने के लिए डीजल-पेट्रोल और अलग-अलग गैसों का इस्तेमाल कम करना होगा. इसके लिए इलेक्ट्रिक वाहन अच्छा विकल्प है, लेकिन लोग तभी इनमें रुचि दिखाएंगे जब सरकार इन पर सब्सिडी देगी.


ये भी पढ़ें:-ग्रीनपीस रिपोर्ट: 2020 में दिल्ली की प्रदूषित हवा ने ली 54 हजार जानें


बुजुर्गों और मरीजों के लिए वायु प्रदूषण बेहद खतरनाक

डॉक्टर लेले ने कहा वायु प्रदूषण बुजुर्गों, अस्थमा, फेफड़ों और सांस से जुड़ी बीमारियों के मरीजों के लिए बेहद घातक हैं. ऐसे लोगों को गंभीर प्रदूषण में सांस लेने में बेहद दिक्कत होती है, वहीं फेफड़े खराब हो जाते हैं. इसके लिए बहुत सावधानी बरतने की आवश्यकता है.

इसके अलावा एनवायरनमेंट एक्टिविस्ट संजीव लाकड़ा ने बताया कि राजधानी में लगातार बढ़ते प्रदूषण के लिए कहीं ना कहीं दिल्ली खुद जिम्मेदार है. क्योंकि लगातार राष्ट्रीय राजधानी में उद्योग धंधों में बढ़ोतरी हो रही है. बड़े-बड़े रेलवे स्टेशन बस अड्डे यहां पर है. रोजाना लाखों करोड़ों लोग दिल्ली की सड़कों पर अपने वाहन लेकर निकलते हैं और उन्हीं वाहनों से जहरीली जैसे वायु प्रदूषण को बढ़ाती है.

ये भी पढ़ें:-कोहरे ने दौड़ती गाड़ियों की रफ्तार पर लगाई ब्रेक



दिल्ली सरकार के वायु प्रदूषण को लेकर सभी दावे फेल

पर्यावरण एक्टिविस्ट ने कहा कि कहीं ना कहीं दिल्ली सरकार और अन्य सिविक एजेंसियों वायु प्रदूषण को लेकर फेलियर साबित हुई है. इसलिए राजधानी दिल्ली में लगातार प्रदूषण बढ़ रहा है. दिल्ली सरकार भले ही तमाम दावे करें और अलग-अलग योजनाएं लेकर आए, लेकिन प्रदूषण अभी भी उसी स्तर पर राजधानी में बना हुआ है.

नई दिल्ली: पर्यावरण के लिए काम करने वाली संस्था ग्रीनपीस के हाल ही में आए आंकड़े परेशान करने वाले हैं. जिसमें कहा गया है कि साल 2020 में वायु प्रदूषण के कारण केवल राजधानी दिल्ली में 54000 लोगों की मौत हो गई है. चिंता की बात इसलिए भी है क्योंकि साल 2020 में मार्च महीने से ही लॉकडाउन लगा दिया गया था और तब एयर क्वालिटी इंडेक्स में बड़ा सुधार देखने को मिला था. जिसमें AQI 50 तक दर्ज हुआ था. बावजूद ये आंकड़े बेहद चिंताजनक है.

वायु प्रदूषण को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन बेहतर विकल्प

पीएम 2.5 का स्तर बेहद चिंताजनक

वायु प्रदूषण को लेकर ग्रीनपीस के जारी किए गए आंकड़ों को लेकर पर्यावरणविद और सोशल वर्कर्स का क्या कहना है? इसके साथ ही क्या दिल्ली सरकार के जरिए प्रदूषण को लेकर उठाए गए कदम पर्याप्त है? इसको लेकर ईटीवी भारत को सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट में एयर पॉल्युशन यूनिट के प्रोग्राम मैनेजर विवेक चट्टोपाध्यायने बताया दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है. इसमें पीएम 2.5 का स्तर चिंताजनक है, क्योंकि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है. ना केवल मौजूदा समय में बल्कि इसके कारण हम कई लंबी बीमारियों से भी ग्रस्त हो सकते हैं.



पब्लिक ट्रांसपोर्ट को किया जाए बेहतर

विवेक चट्टोपाध्याय ने बताया पीएम 2.5 का स्तर बढ़ाने में ट्रांसपोर्ट सेक्टर, छोटी-बड़ी सभी फैक्ट्रियों, कूड़ा जलाना यह अहम भूमिका अदा करते हैं. उन्होंने कहा कि प्राइवेट वाहनों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. हमारे बीच पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कमी है. वहीं फ्यूल इंधन का तेजी से इस्तेमाल हो रहा है. लेकिन अगर पब्लिक ट्रांसपोर्ट बेहतर हो और फ्यूल का इस्तेमाल कम किया जाए, तो वायु प्रदूषण पर कुछ हद तक रोक लगाई जा सकती है.

इसके साथ ही अगर लोग इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर अपना रुख करेंगे, तो यह भी एक बेहतर कदम है. साथ ही उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा स्विच इंडिया जो अभियान चलाया गया है उसमें जनभागीदारी की आवश्यकता है तभी वह अभियान सफल हो सकता है इसके साथ ही एनसीआर में इंडस्ट्रियल सेक्टर पर भी कुछ नियंत्रण किया जाना चाहिए.

इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी दे सरकार

इसके साथ ही वायु प्रदूषण के चलते लोगों के स्वास्थ्य को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव डॉ. जयेश लेले ने बताया वायु प्रदूषण को कम करने के लिए डीजल-पेट्रोल और अलग-अलग गैसों का इस्तेमाल कम करना होगा. इसके लिए इलेक्ट्रिक वाहन अच्छा विकल्प है, लेकिन लोग तभी इनमें रुचि दिखाएंगे जब सरकार इन पर सब्सिडी देगी.


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बुजुर्गों और मरीजों के लिए वायु प्रदूषण बेहद खतरनाक

डॉक्टर लेले ने कहा वायु प्रदूषण बुजुर्गों, अस्थमा, फेफड़ों और सांस से जुड़ी बीमारियों के मरीजों के लिए बेहद घातक हैं. ऐसे लोगों को गंभीर प्रदूषण में सांस लेने में बेहद दिक्कत होती है, वहीं फेफड़े खराब हो जाते हैं. इसके लिए बहुत सावधानी बरतने की आवश्यकता है.

इसके अलावा एनवायरनमेंट एक्टिविस्ट संजीव लाकड़ा ने बताया कि राजधानी में लगातार बढ़ते प्रदूषण के लिए कहीं ना कहीं दिल्ली खुद जिम्मेदार है. क्योंकि लगातार राष्ट्रीय राजधानी में उद्योग धंधों में बढ़ोतरी हो रही है. बड़े-बड़े रेलवे स्टेशन बस अड्डे यहां पर है. रोजाना लाखों करोड़ों लोग दिल्ली की सड़कों पर अपने वाहन लेकर निकलते हैं और उन्हीं वाहनों से जहरीली जैसे वायु प्रदूषण को बढ़ाती है.

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दिल्ली सरकार के वायु प्रदूषण को लेकर सभी दावे फेल

पर्यावरण एक्टिविस्ट ने कहा कि कहीं ना कहीं दिल्ली सरकार और अन्य सिविक एजेंसियों वायु प्रदूषण को लेकर फेलियर साबित हुई है. इसलिए राजधानी दिल्ली में लगातार प्रदूषण बढ़ रहा है. दिल्ली सरकार भले ही तमाम दावे करें और अलग-अलग योजनाएं लेकर आए, लेकिन प्रदूषण अभी भी उसी स्तर पर राजधानी में बना हुआ है.

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