नई दिल्ली: भारतीय परंपरा का निर्वाह करने लिए देशभर में सन्यासियों के 7 अखाड़े हैं. इनमें से एक आनंद अखाड़ा भी है. इस अखाड़े के प्रमुख आनंदपीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर बालकानंद गिरी महाराज को अयोध्या में भव्य राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है. वह अपने गुरुजनों के साथ कार सेवा में भी शामिल रह चुके हैं. उनका कहना है कि यह राम मंदिर संघर्ष, यातना और हमारे पूर्वजों के 500 सालों के परिश्रम का फल है.
बालकानंद गिरी ने कहा कि वे कार सेवा में अपने गुरु परमानंद स्वामी व गुरु बहन रीतांबरा के साथ शामिल रहे हैं. कार सेवा में बहुत परिश्रम किया. यातनाएं सहीं. जगह जगह जाकर एक एक दिन में 50-50 सभाएं हमने की है. हमारे गुरुजी की उम्र करीब 100 साल हो गई है. मुझे बहुत खुशी है कि हमारा व हमारे गुरु जी का जो संकल्प था वह आज पूरा होने जा रहा है. राम मंदिर बन रहा है हमारी मेहनत का सबसे बड़ा उपहार यही है.
उन्होंने कहा कि मेरी लोगों से अपील है कि जिस तरह प्रभु श्रीराम ने हमेशा आर्थिक रूप से कमजोर व वंचित लोगों का साथ दिया और बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए उन्होंने वंचितों को साथ लेकर युद्ध लड़ा उसी प्रकार हर मनुष्य को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की मदद करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अयोध्या के बाद अब सीतामढ़ी में माता सीता का मंदिर बनेगा. जिसमें 251 फीट की प्रतिमा लगेगी. जिसके लिए कमेटी बन गई है. जिस प्रकार प्रभु श्रीराम के मंदिर के लिए लोगों ने बढ़चढ़ खुद ही दान दिया था. माता सीता तो साक्षात मां लक्ष्मी का रुप हैं. उनके लिए तो लक्ष्मी की कमी होनी नहीं है. लोग थोड़ी थोड़ी मदद करेंगे तो भी हम जिस प्रकार से चाहेंगे उस प्रकार से मंदिर बना सकेंगे.
बालकानंद ने कहा सभी 13 अखाड़े के आचार्य और अखिल भारतीय अखड़े के प्रमुख भी राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में जा रहे हैं. जिन लोगों के पास निमंत्रण नहीं हैं किसी कारणवस उन्हें भी 22 तारीख के बाद अयोध्या जाना चाहिए. क्योंकि भगवान श्रीराम के कार्य में निमंत्रण की आवश्यकता नहीं है. यदि भगवान तुम्हारे अपने हैं और हृदय में हैं. तो निमंत्रण की आवश्यकता नहीं है. हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई राम सभी के हैं.