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पराली जलाने से मिलेगा छुटकारा! देश को इस नई तकनीक से अवगत कराएंगे गोपाल राय

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने एक तकनीक विकसित की है. इस तकनीक का इस्तेमाल करके पराली को आसानी से खाद में बदला जा सकता है. उम्मीद है कि अब पराली दिल्ली में प्रदूषण का कारण नहीं बनेगी. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने इस तकनीक का मुआयना किया.

new technique of subtle decomposition
पराली डिकम्पोज करने की नई तकनीक
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Published : Sep 16, 2020, 5:03 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली में प्रदूषण एक बहुत बड़ी समस्या है. इसका एक महत्वपूर्ण कारण है, किसानों द्वारा पराली जलाना. अगले महीने से पड़ोसी राज्य हरियाणा और पंजाब के किसान पराली जलाना शुरू कर देंगे. पराली जलाने की बजाए इसका सदुपयोग करने को लेकर दिल्ली के पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने नई तकनीक तैयार की है. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने इस तकनीक का मुआयना किया.

पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने इस तकनीक का मुआयना किया

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने ऐसे कैप्सूल और लिक्विड तैयार किए हैं, जिन्हें पराली की मात्रा के हिसाब से पानी में मिलाकर पराली पर छिड़काव करने से पराली डिकम्पोज हो जाएगी. यहां के अधिकारियों ने पर्यावरण मंत्री गोपाल राय को इन सबसे अवगत कराया.

गोपाल राय ने पराली के ऊपर किए गए इस छिड़काव को भी देखा. साथ ही पराली के डिकम्पोज होने के बाद, उससे अवांछित पदार्थों को निकालने की मशीनी प्रक्रिया से भी रूबरू हुए.

new technique of subtle decomposition
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने इस तकनीक का मुआयना किया

किसानों से की मुलाकात

इस दौरान कुछ स्थानीय किसान भी आए थे, जिनसे बातचीत में गोपाल राय ने उन्हें इस तकनीक के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित किया. गोपाल राय ने बताया कि यहां वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसके जरिए डिकम्पोजर के माध्यम से खेतों में ही किसान अपनी पराली को खाद में बदल सकेंगे. उन्होंने बताया कि दिल्ली में किसानों को इस तकनीक से जोड़ने के लिए सरकार पहल कर रही है और सरकार ही इसका पूरा खर्च भी उठाएगी.

गोपाल राय ने कहा-

इस तकनीक की सफलता के बाद हम पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकार से भी सम्पर्क करेंगे. इससे वहां के किसान भी इस तकनीक के जरिए पराली से जुड़ी समस्या का निदान कर सकेंगे और पराली जलाने से पैदा हुआ धुआं, उन राज्यों और दिल्ली वालों की सांस के लिए समस्या नहीं बनेगा. पिछले साल नवंबर में दिल्ली में जितना प्रदूषण हुआ, उसका 44 फीसदी कारक पराली का धुआं था.

'पंजाब में जली थी 9 टन पराली'

पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि पंजाब में 20 मिलियन टन पराली पैदा होती है. इसमें से पिछले साल 9 टन पराली जलाई गई थी. वहीं, हरियाणा में 7 मिलियन टन पराली पैदा होती है. इसमें से 1.23 मिलियन टन पराली जलाई गई थी.

इसकी वजह से दिल्ली वालों को भयंकर प्रदूषण का सामना करना पड़ा था. गोपाल राय ने कहा कि वर्तमान समय में पराली हटाने की मशीनों की खरीद के लिए सब्सिडी दी जा रही है, उतने ही पैसे में पूरी पराली को डिकम्पोज किया का सकेगा.

दिल्ली सरकार उठाएगी खर्च

गोपाल राय ने इसे लेकर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से मुलाकात की बात भी कही. उन्होंने कहा कि हम पराली को लेकर राज्य सरकारों और केंद्र सरकार से भी बातचीत करेंगे. सबसे पहले, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ चर्चा करके इस तकनीक को लेकर पूरी कार्य योजना बनाएंगे. उन्होंने दिल्ली के किसानों को आश्वस्त किया कि उनके लिए इस तकनीक से जुड़ा पूरा खर्च दिल्ली सरकार वहन करेगी.

नई दिल्ली: दिल्ली में प्रदूषण एक बहुत बड़ी समस्या है. इसका एक महत्वपूर्ण कारण है, किसानों द्वारा पराली जलाना. अगले महीने से पड़ोसी राज्य हरियाणा और पंजाब के किसान पराली जलाना शुरू कर देंगे. पराली जलाने की बजाए इसका सदुपयोग करने को लेकर दिल्ली के पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने नई तकनीक तैयार की है. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने इस तकनीक का मुआयना किया.

पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने इस तकनीक का मुआयना किया

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने ऐसे कैप्सूल और लिक्विड तैयार किए हैं, जिन्हें पराली की मात्रा के हिसाब से पानी में मिलाकर पराली पर छिड़काव करने से पराली डिकम्पोज हो जाएगी. यहां के अधिकारियों ने पर्यावरण मंत्री गोपाल राय को इन सबसे अवगत कराया.

गोपाल राय ने पराली के ऊपर किए गए इस छिड़काव को भी देखा. साथ ही पराली के डिकम्पोज होने के बाद, उससे अवांछित पदार्थों को निकालने की मशीनी प्रक्रिया से भी रूबरू हुए.

new technique of subtle decomposition
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने इस तकनीक का मुआयना किया

किसानों से की मुलाकात

इस दौरान कुछ स्थानीय किसान भी आए थे, जिनसे बातचीत में गोपाल राय ने उन्हें इस तकनीक के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित किया. गोपाल राय ने बताया कि यहां वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसके जरिए डिकम्पोजर के माध्यम से खेतों में ही किसान अपनी पराली को खाद में बदल सकेंगे. उन्होंने बताया कि दिल्ली में किसानों को इस तकनीक से जोड़ने के लिए सरकार पहल कर रही है और सरकार ही इसका पूरा खर्च भी उठाएगी.

गोपाल राय ने कहा-

इस तकनीक की सफलता के बाद हम पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकार से भी सम्पर्क करेंगे. इससे वहां के किसान भी इस तकनीक के जरिए पराली से जुड़ी समस्या का निदान कर सकेंगे और पराली जलाने से पैदा हुआ धुआं, उन राज्यों और दिल्ली वालों की सांस के लिए समस्या नहीं बनेगा. पिछले साल नवंबर में दिल्ली में जितना प्रदूषण हुआ, उसका 44 फीसदी कारक पराली का धुआं था.

'पंजाब में जली थी 9 टन पराली'

पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि पंजाब में 20 मिलियन टन पराली पैदा होती है. इसमें से पिछले साल 9 टन पराली जलाई गई थी. वहीं, हरियाणा में 7 मिलियन टन पराली पैदा होती है. इसमें से 1.23 मिलियन टन पराली जलाई गई थी.

इसकी वजह से दिल्ली वालों को भयंकर प्रदूषण का सामना करना पड़ा था. गोपाल राय ने कहा कि वर्तमान समय में पराली हटाने की मशीनों की खरीद के लिए सब्सिडी दी जा रही है, उतने ही पैसे में पूरी पराली को डिकम्पोज किया का सकेगा.

दिल्ली सरकार उठाएगी खर्च

गोपाल राय ने इसे लेकर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से मुलाकात की बात भी कही. उन्होंने कहा कि हम पराली को लेकर राज्य सरकारों और केंद्र सरकार से भी बातचीत करेंगे. सबसे पहले, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ चर्चा करके इस तकनीक को लेकर पूरी कार्य योजना बनाएंगे. उन्होंने दिल्ली के किसानों को आश्वस्त किया कि उनके लिए इस तकनीक से जुड़ा पूरा खर्च दिल्ली सरकार वहन करेगी.

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