ETV Bharat / state

26 माह का गर्भ हटाने की युवती की अर्जी पर हाई कोर्ट ने एम्स से तलब किया स्टेटस रिपोर्ट - Delhi High Court

Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने एक युवती के 26 हफ्ते के भ्रूण हटाने की अर्जी पर सुनवाई करते हुए एम्स को मेडिकल बोर्ड गठित कर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 23, 2023, 8:29 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने 20 वर्षीया युवती के 26 हफ्ते के भ्रूण हटाने की अर्जी पर सुनवाई करते हुए एम्स को मेडिकल बोर्ड गठित कर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को करने का आदेश दिया है.

सुनवाई के दौरान महिला की ओर से पेश वकील अमित मिश्रा ने कहा कि वह सहमति के आधार पर बने यौन संबंध के बाद गर्भवती हो गई. उसे हाल में ही अपने गर्भवती होने का तब पता चला जब उसे कुछ समस्या शुरू हुई और उसने डॉक्टर से सलाह ली. डॉक्टर ने 16 नवंबर को जब उसका परीक्षण किया तब उसे अपने गर्भवती होने का पता चला.

ये भी पढ़ें: यमन में भारत की नर्स को मिली मौत की सजा, दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र को दिए निर्देश

महिला ने कहा कि अभी वह अपनी पढ़ाई आगे जारी रखना चाहती है और इस स्थिति में नहीं है कि बच्चे का भार वहन कर सके. याचिका में कहा गया है कि डॉक्टर ने उसका गर्भ हटाने से इनकार कर दिया क्योंकि उसका गर्भ 24 हफ्ते की सीमा से ज्यादा का है. बता दें कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) कानून में हुए संशोधन के बाद 24 माह तक के भ्रूण को भी कुछ विशेष परिस्थितियों में हटाने की इजाजत दी जा सकती है.

पहले एमटीपी एक्ट की धारा 3(2) के तहत 20 हफ्ते से ज्यादा के भ्रूण को हटाने की अनुमति नहीं थी. बाद में इसमें संशोधन कर विशेष परिस्थितियों में 24 हफ्ते तक के भ्रूण को हटाने की अनुमति दी गई. अगर 24 हफ्ते से अधिक का भ्रूण गर्भवती महिला के स्वास्थ्य या उसके मानसिक स्थिति पर बुरा असर डालता है तो उसे हटाने की अनुमति दी जा सकती है.

ये भी पढ़ें: यौन उत्पीड़न से संबंधित घटनाओं के मामले में बाल कल्याण समिति से संवेदनशीलता दिखाने की अपेक्षा की जाती है : दिल्ली हाई कोर्ट

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने 20 वर्षीया युवती के 26 हफ्ते के भ्रूण हटाने की अर्जी पर सुनवाई करते हुए एम्स को मेडिकल बोर्ड गठित कर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को करने का आदेश दिया है.

सुनवाई के दौरान महिला की ओर से पेश वकील अमित मिश्रा ने कहा कि वह सहमति के आधार पर बने यौन संबंध के बाद गर्भवती हो गई. उसे हाल में ही अपने गर्भवती होने का तब पता चला जब उसे कुछ समस्या शुरू हुई और उसने डॉक्टर से सलाह ली. डॉक्टर ने 16 नवंबर को जब उसका परीक्षण किया तब उसे अपने गर्भवती होने का पता चला.

ये भी पढ़ें: यमन में भारत की नर्स को मिली मौत की सजा, दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र को दिए निर्देश

महिला ने कहा कि अभी वह अपनी पढ़ाई आगे जारी रखना चाहती है और इस स्थिति में नहीं है कि बच्चे का भार वहन कर सके. याचिका में कहा गया है कि डॉक्टर ने उसका गर्भ हटाने से इनकार कर दिया क्योंकि उसका गर्भ 24 हफ्ते की सीमा से ज्यादा का है. बता दें कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) कानून में हुए संशोधन के बाद 24 माह तक के भ्रूण को भी कुछ विशेष परिस्थितियों में हटाने की इजाजत दी जा सकती है.

पहले एमटीपी एक्ट की धारा 3(2) के तहत 20 हफ्ते से ज्यादा के भ्रूण को हटाने की अनुमति नहीं थी. बाद में इसमें संशोधन कर विशेष परिस्थितियों में 24 हफ्ते तक के भ्रूण को हटाने की अनुमति दी गई. अगर 24 हफ्ते से अधिक का भ्रूण गर्भवती महिला के स्वास्थ्य या उसके मानसिक स्थिति पर बुरा असर डालता है तो उसे हटाने की अनुमति दी जा सकती है.

ये भी पढ़ें: यौन उत्पीड़न से संबंधित घटनाओं के मामले में बाल कल्याण समिति से संवेदनशीलता दिखाने की अपेक्षा की जाती है : दिल्ली हाई कोर्ट

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.