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लॉकडाउन से ही बंद है दिल्ली का बूचड़खाना, सरकार से जल्द खोलने की मांग - east delhi municipal corporation

लॉकडाउन की घोषणा के बाद से ही दिल्ली के गाजीपुर स्थित बूचड़खाना बंद है. ऐसे में चोरी छुपे दुकानों पर पशु काटे जा रहे हैं. इसे देखते हुए कारवां फाउंडेशन के फाउंडर एड. रईस अहमद ने सरकार से जल्द इस बूचड़खाना को खोलने की मांग की.

ghazipur slaughterhouse is closed since lockdown so meat rate doubled
बूचड़खाना बंद होने से ज्यादा हो रही कालाबाजारी
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Published : Jul 15, 2020, 7:25 AM IST

नई दिल्ली: अनलॉक-2 में भी दिल्ली का एकमात्र गाजीपुर में बना बूचड़खाना बंद है. कोरोना महामारी में जहां लोगों का कारोबार ठप पड़ा है, वहीं राजधानी दिल्ली में भैंस और बकरे का मीट दोगुने रेट पर मिल रहा है. जनता की इस परेशानी को देखते हुए दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग सलाहकार समिति के सदस्य व कारवां फाउंडेशन के फाउंडर एड. रईस अहमद ने गाजीपुर मीट मंडी को खोले जाने की अपील की है.

बूचड़खाना बंद होने से ज्यादा हो रही कालाबाजारी

मीट के दाम में आई बढ़ोतरी


रईस अहमद ने मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि अनलॉक-2 में भी दिल्ली का एकमात्र गाजीपुर में बना बूचड़खाना लॉक है, भले ही बूचड़खाने पर ताला जड़ा हो, लेकिन मीट की दुकानों पर धड़ल्ले से निगम की नाक के नीचे पशुओं की कटाई हो रही है. मीट के दुकानदार दोगुने दाम वसूल रहे हैं. इस कोरोनाकाल में दिल्ली में भैंस का मीट 300 से 350 रुपये प्रतिकिलो बिक रहा है, जबकि आम दिनों में इसके दाम 180 रुपये थे. आम दिनों में जो बकरे का मीट 300 से 400 रुपये किलो था, वह अब 550 से 700 रुपये किलो बेचा जा रहा है.


बूचड़खाने के अलावा कहीं नहीं काट सकते पशु


दुकानों पर आराम से मीट बेच सके, इसलिए सरकारी अधिकारियों को ज्यादा पैसे खिलाने पड़ रहे हैं. इसलिए रेट बढ़ा दिए गए हैं. सवाल यह भी है कि जब बूचड़खाना बंद है तो दुकानों पर मीट कैसे बिक रहा है. निगम को अगर पता है कि मीट ज्यादा रेट पर बिक रहा है, तो वह बूखड़खाने को क्यों नहीं खोल पा रहा. बूचड़खाना बंद होने से भले ही निगम को घाटा हो रहा हो, लेकिन अधिकारियों व नेताओं की चांदी हो रही है. इस तरह मीट की कटाई से पशु की मेडिकल जांच भी नहीं हो पा रही है और इससे संक्रमण फैलने का भी खतरा बढ़ गया है.

बूचड़खाना खोलने की मांग

रईस अहमद ने दिल्ली सरकार और निगम से मांग की है कि बूचड़खाने को तुरंत खोला जाए ताकि जनता की मेहनत की गाढ़ी कमाई यूं बर्बाद न हो और आवाम को सही कीमत पर मीट मुहैया हो सके और सरकार को जो अर्थिक नुकसान हो रहा है, उसे भी रोका जा सके.

हैरत की बात तो यह है कि दिल्ली का एकमात्र स्लाटर हाउस प्रशासन की लापरवाही की वजह से बंद पड़ा है, जिसका नतीजा यह है कि अवैध कटान को बढ़ावा मिल रहा है और लोग न चाहते हुए भी बढ़े दामों पर मीट खरीदने को मजबूर हो रहे हैं. कारवां फाउंडेशन ने ईडीएमसी से स्लाटर हाउस जल्द से जल्द खोलते हुए जनता को मीट की कालाबाजारी से बचाया जाए.

नई दिल्ली: अनलॉक-2 में भी दिल्ली का एकमात्र गाजीपुर में बना बूचड़खाना बंद है. कोरोना महामारी में जहां लोगों का कारोबार ठप पड़ा है, वहीं राजधानी दिल्ली में भैंस और बकरे का मीट दोगुने रेट पर मिल रहा है. जनता की इस परेशानी को देखते हुए दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग सलाहकार समिति के सदस्य व कारवां फाउंडेशन के फाउंडर एड. रईस अहमद ने गाजीपुर मीट मंडी को खोले जाने की अपील की है.

बूचड़खाना बंद होने से ज्यादा हो रही कालाबाजारी

मीट के दाम में आई बढ़ोतरी


रईस अहमद ने मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि अनलॉक-2 में भी दिल्ली का एकमात्र गाजीपुर में बना बूचड़खाना लॉक है, भले ही बूचड़खाने पर ताला जड़ा हो, लेकिन मीट की दुकानों पर धड़ल्ले से निगम की नाक के नीचे पशुओं की कटाई हो रही है. मीट के दुकानदार दोगुने दाम वसूल रहे हैं. इस कोरोनाकाल में दिल्ली में भैंस का मीट 300 से 350 रुपये प्रतिकिलो बिक रहा है, जबकि आम दिनों में इसके दाम 180 रुपये थे. आम दिनों में जो बकरे का मीट 300 से 400 रुपये किलो था, वह अब 550 से 700 रुपये किलो बेचा जा रहा है.


बूचड़खाने के अलावा कहीं नहीं काट सकते पशु


दुकानों पर आराम से मीट बेच सके, इसलिए सरकारी अधिकारियों को ज्यादा पैसे खिलाने पड़ रहे हैं. इसलिए रेट बढ़ा दिए गए हैं. सवाल यह भी है कि जब बूचड़खाना बंद है तो दुकानों पर मीट कैसे बिक रहा है. निगम को अगर पता है कि मीट ज्यादा रेट पर बिक रहा है, तो वह बूखड़खाने को क्यों नहीं खोल पा रहा. बूचड़खाना बंद होने से भले ही निगम को घाटा हो रहा हो, लेकिन अधिकारियों व नेताओं की चांदी हो रही है. इस तरह मीट की कटाई से पशु की मेडिकल जांच भी नहीं हो पा रही है और इससे संक्रमण फैलने का भी खतरा बढ़ गया है.

बूचड़खाना खोलने की मांग

रईस अहमद ने दिल्ली सरकार और निगम से मांग की है कि बूचड़खाने को तुरंत खोला जाए ताकि जनता की मेहनत की गाढ़ी कमाई यूं बर्बाद न हो और आवाम को सही कीमत पर मीट मुहैया हो सके और सरकार को जो अर्थिक नुकसान हो रहा है, उसे भी रोका जा सके.

हैरत की बात तो यह है कि दिल्ली का एकमात्र स्लाटर हाउस प्रशासन की लापरवाही की वजह से बंद पड़ा है, जिसका नतीजा यह है कि अवैध कटान को बढ़ावा मिल रहा है और लोग न चाहते हुए भी बढ़े दामों पर मीट खरीदने को मजबूर हो रहे हैं. कारवां फाउंडेशन ने ईडीएमसी से स्लाटर हाउस जल्द से जल्द खोलते हुए जनता को मीट की कालाबाजारी से बचाया जाए.

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