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G-20 Summit: पुराना किला में होंगे G-20 के कई कार्यक्रम, विदेशी मेहमानों के लिए किए जा रहे खास इंतजाम

G-20 को लेकर दिल्ली के मशहूर पुराना किला में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. इनमें विदेशी मेहमान शिरकत करने आयेंगे. इसके किए पुराना किला में सौंद्रयीकरण का काम तेजी से किया जा रहा है.

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Published : May 22, 2023, 4:57 PM IST

नई दिल्ली: मथुरा रोड स्थित पुराना किला इन दिनों चर्चा में है. इसकी दो वजह है. सबसे पहली यह कि यहां पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) महाभारत काल को खोज रहा है. दूसरी वजह है कि दिल्ली में मशहूर इस किले में जी 20 को लेकर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. यह कार्यक्रम भारत सरकार की संस्कृति मंत्रालय द्वारा किए जायेंगे. कार्यक्रम सितंबर में तय है.

वहीं दूसरी तरफ विदेशी मेहमान यहां आयेंगे. इसके किए पुराना किला में संरक्षण, सौंद्रयीकरण का काम तेजी से किया जाएगा. भारत जी-20 जैसे बड़े सम्मेलन की पहली बार अध्यक्षता कर रहा है, जिसे लेकर दिल्ली के ऐतिहासिक धरोहर को संवारने का काम तेज किया गया है. एएसआई की प्लानिंग है कि विदेशी मेहमान पुराने किले के ठीक सामने वाली झील में बोटिंग का लुत्फ भी उठा सके.

हालांकि, मौजूदा समय में बोटिंग नहीं होती है. फिलहाल, इस पर विचार किया जा रहा है. वहीं अगर संरक्षण कार्य के बारे में बात करें तो यहां किले की चारों तरफ की बाउंड्री वॉल को दुरुस्त किया जाएगा. किले के अंदर मस्जिद और बावली पर भी काम शुरू किया जाएगा. साथ ही गार्डिंग भी बेहतर की जाएगी. लाइटनिंग की व्यवस्था भी दुरुस्त की जाएगी.

G-20 Summit
किले में विशाल दीवार के साथ किले के ठीक सामने झील है, जो दुश्मनों को रोकने के लिए खुदवाई गई थी.

विदेशी मेहमान देखेंगे उत्खनन साइटस: एएसआई के एक अधिकारी के अनुसार, अब तक एएसआई ने चार बार पुराने किले के पीछे वाली छोर पर खुदाई की. इस बार यह 5वां प्रयास है. उन्होंने बताया कि जी20 समिट में आए अन्य देशों के प्रतिनिधि हमारे किए गए उत्खनन कार्य को देखेंगे. इसको आने वाले समय में आम जनता भी देख पाएंगी. पुराना किला में सबसे पहले साल 1954-55 और दूसरी बार 1969-73 को पुरातत्वविद् बीबी लाल की अगुवाई में उत्खनन कार्य किया गया था.

G-20 Summit
पुराना किला की खुदाई में अब तक राजपूत काल, सल्तनत काल, कुषाण, शुंग व मौर्यकालीन काल के अवशेष मिले हैं

महाभारत काल के अवशेष ढूंढ रहा ASI: एएसआई अधिकारी के अनुसार, एएसआई को अब तक खुदाई में राजपूत काल, सल्तनत काल, कुषाण, शुंग व मौर्यकालीन काल के अवशेष मिले हैं, लेकिन अभी तक महाभारत काल से जुड़ी चीज नहीं मिल पाई है. हालांकि, एएसआई के अधिकारी का यह कहना है कि जो अवशेष हमें मिले हैं उससे यह अनुमान लगाया जाता है कि यहां व्यापार का बड़ा केंद्र था. लोग एक जगह से दूसरी जगह आने और अपना माल खरीदने और बेचने के लिए आते रहे होंगे.

साथ ही यहां घनी आबादी भी रही होगी. 2017-18 की खुदाई में गाय या बैल व बकरी का पूरा अवशेष व घोड़े का सिर मिला था. साथ ही यमुना के नजदीक होने से जलमार्ग के रास्ते व्यापार का बेहतरीन केंद्र पुराना किला रहा होगा. एएसआई अधिकारी बताते हैं कि पुराना किला एकमात्र ऐसी जगह है जहां 2500 साल के अवशेष से यह मालूम होता है कि यहां विभिन्न काल जैसे गुप्त काल, मौर्य कालीन काल के समय की सभ्यता के लोग रहे होंगे.

इसे भी पढ़ें: World Preeclampsia Day: इन गर्भवती महिलाओं को होती है प्रीक्लेम्पसिया की बीमारी, जानें लक्षण व कारण

लाइट शो भी होगा शुरू: जी 20 सम्मेलन को देखते हुए एक बार फिर से पुराना किला में लाइट शो कार्यक्रम किए जाएंगे. इससे नए अंदाज में दर्शकों को रूबरू कराने के लिए अधिकारियों ने काम शुरू कर दिया है. इसमें पुराना किला का इतिहास सहित वीर क्रांतिकारियों के बारे में बताया जाएगा. संभावना है कि विदेशी मेहमान के आने से पहले लाइट एंड शो का काम पूरा कर लिया जाएगा.

G20 के मेहमानों के लिए पुराना किला में लाइट शो कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा
G20 के मेहमानों के लिए पुराना किला में लाइट शो कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा

क्या है पुराना किला का इतिहास: शेर शाह सूरी ने साल 1540,1545 के बीच पुराना किला का निर्माण कार्य करवाया था. किले की विशाल दीवार होने के साथ किले के ठीक सामने झील भी है. ऐसा माना जाता है कि झील इसलिए खुदवाई गई थी कि दुश्मन किले में प्रवेश न कर पाए. इसके अंदर एक मस्जिद है, जिसमें दो तलीय अष्टभुजी स्तंभ है.

हिंदू मान्यता के अनुसार, इंद्रप्रस्थ जो पांडवो की राजधानी थी यह किला उस जगह पर स्थित है. दूसरी तरफ जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ और पाकिस्तान से आए हिंदू शरणाथी यहीं सालों साल रुके थे.

इसे भी पढ़ें: Maharally against Modi: मोदी के खिलाफ गरजेंगे केजरीवाल, 11 जून को रामलीला मैदान में होगी महारैली

नई दिल्ली: मथुरा रोड स्थित पुराना किला इन दिनों चर्चा में है. इसकी दो वजह है. सबसे पहली यह कि यहां पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) महाभारत काल को खोज रहा है. दूसरी वजह है कि दिल्ली में मशहूर इस किले में जी 20 को लेकर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. यह कार्यक्रम भारत सरकार की संस्कृति मंत्रालय द्वारा किए जायेंगे. कार्यक्रम सितंबर में तय है.

वहीं दूसरी तरफ विदेशी मेहमान यहां आयेंगे. इसके किए पुराना किला में संरक्षण, सौंद्रयीकरण का काम तेजी से किया जाएगा. भारत जी-20 जैसे बड़े सम्मेलन की पहली बार अध्यक्षता कर रहा है, जिसे लेकर दिल्ली के ऐतिहासिक धरोहर को संवारने का काम तेज किया गया है. एएसआई की प्लानिंग है कि विदेशी मेहमान पुराने किले के ठीक सामने वाली झील में बोटिंग का लुत्फ भी उठा सके.

हालांकि, मौजूदा समय में बोटिंग नहीं होती है. फिलहाल, इस पर विचार किया जा रहा है. वहीं अगर संरक्षण कार्य के बारे में बात करें तो यहां किले की चारों तरफ की बाउंड्री वॉल को दुरुस्त किया जाएगा. किले के अंदर मस्जिद और बावली पर भी काम शुरू किया जाएगा. साथ ही गार्डिंग भी बेहतर की जाएगी. लाइटनिंग की व्यवस्था भी दुरुस्त की जाएगी.

G-20 Summit
किले में विशाल दीवार के साथ किले के ठीक सामने झील है, जो दुश्मनों को रोकने के लिए खुदवाई गई थी.

विदेशी मेहमान देखेंगे उत्खनन साइटस: एएसआई के एक अधिकारी के अनुसार, अब तक एएसआई ने चार बार पुराने किले के पीछे वाली छोर पर खुदाई की. इस बार यह 5वां प्रयास है. उन्होंने बताया कि जी20 समिट में आए अन्य देशों के प्रतिनिधि हमारे किए गए उत्खनन कार्य को देखेंगे. इसको आने वाले समय में आम जनता भी देख पाएंगी. पुराना किला में सबसे पहले साल 1954-55 और दूसरी बार 1969-73 को पुरातत्वविद् बीबी लाल की अगुवाई में उत्खनन कार्य किया गया था.

G-20 Summit
पुराना किला की खुदाई में अब तक राजपूत काल, सल्तनत काल, कुषाण, शुंग व मौर्यकालीन काल के अवशेष मिले हैं

महाभारत काल के अवशेष ढूंढ रहा ASI: एएसआई अधिकारी के अनुसार, एएसआई को अब तक खुदाई में राजपूत काल, सल्तनत काल, कुषाण, शुंग व मौर्यकालीन काल के अवशेष मिले हैं, लेकिन अभी तक महाभारत काल से जुड़ी चीज नहीं मिल पाई है. हालांकि, एएसआई के अधिकारी का यह कहना है कि जो अवशेष हमें मिले हैं उससे यह अनुमान लगाया जाता है कि यहां व्यापार का बड़ा केंद्र था. लोग एक जगह से दूसरी जगह आने और अपना माल खरीदने और बेचने के लिए आते रहे होंगे.

साथ ही यहां घनी आबादी भी रही होगी. 2017-18 की खुदाई में गाय या बैल व बकरी का पूरा अवशेष व घोड़े का सिर मिला था. साथ ही यमुना के नजदीक होने से जलमार्ग के रास्ते व्यापार का बेहतरीन केंद्र पुराना किला रहा होगा. एएसआई अधिकारी बताते हैं कि पुराना किला एकमात्र ऐसी जगह है जहां 2500 साल के अवशेष से यह मालूम होता है कि यहां विभिन्न काल जैसे गुप्त काल, मौर्य कालीन काल के समय की सभ्यता के लोग रहे होंगे.

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लाइट शो भी होगा शुरू: जी 20 सम्मेलन को देखते हुए एक बार फिर से पुराना किला में लाइट शो कार्यक्रम किए जाएंगे. इससे नए अंदाज में दर्शकों को रूबरू कराने के लिए अधिकारियों ने काम शुरू कर दिया है. इसमें पुराना किला का इतिहास सहित वीर क्रांतिकारियों के बारे में बताया जाएगा. संभावना है कि विदेशी मेहमान के आने से पहले लाइट एंड शो का काम पूरा कर लिया जाएगा.

G20 के मेहमानों के लिए पुराना किला में लाइट शो कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा
G20 के मेहमानों के लिए पुराना किला में लाइट शो कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा

क्या है पुराना किला का इतिहास: शेर शाह सूरी ने साल 1540,1545 के बीच पुराना किला का निर्माण कार्य करवाया था. किले की विशाल दीवार होने के साथ किले के ठीक सामने झील भी है. ऐसा माना जाता है कि झील इसलिए खुदवाई गई थी कि दुश्मन किले में प्रवेश न कर पाए. इसके अंदर एक मस्जिद है, जिसमें दो तलीय अष्टभुजी स्तंभ है.

हिंदू मान्यता के अनुसार, इंद्रप्रस्थ जो पांडवो की राजधानी थी यह किला उस जगह पर स्थित है. दूसरी तरफ जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ और पाकिस्तान से आए हिंदू शरणाथी यहीं सालों साल रुके थे.

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