नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय को चरणबद्ध तरीके से खोला जा रहा है. वहीं केवल साइंस के छात्रों को परिसर में प्रवेश दिए जाने के फैसले पर छात्रों ने सवाल उठाए हैं. इस पूरे मामले को लेकर जेएनयू के पूर्व डीन ऑफ स्टूडेंट्स प्रो. उमेश कदम ने जेएनयू वीसी पर निशाना साधते हुए कहा कि छात्रों की सुरक्षा का दावा करते हुए अगर जेएनयू सबसे पहले बंद किया जा सकता है, तो छात्रहित को देखते हुए वह सबसे पहले खुल क्यों नहीं सकता.
सोशल साइंस के छात्रों को भी दिया जाना चाहिए प्रवेश
वहीं उन्होंने कहा कि जेएनयू तो सबसे ज्यादा सोशल साइंस के लिए जाना जाता है. ऐसे में सोशल साइंस के शोधकर्ताओं को भी विश्वविद्यालय में प्रवेश दिया जाना चाहिए. इन छात्रों को अपना शोधकार्य पूरा करने के लिए आर्काइव की मदद लेनी पड़ती है जो कि वह अभी नहीं ले पा रहे हैं. वहीं उन्होंने कहा कि अगर छात्रहित को देखते हुए एहतियातन जेएनयू सबसे पहले बंद होने वाला विश्वविद्यालय बन सकता है तो छात्रहित को ही देखते हुए सबसे पहले खुलने वाला विश्वविद्यालय क्यों नहीं बन सकता.
सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए खोला जाए परिसर
वहीं प्रो. उमेश कदम का कहना है कि कोविड - 19 को लेकर स्थिति अब सामान्य हो रही है. साथ ही छात्र अब सभी जरूरी सावधानियों को लेकर सजग हो चुके हैं. ऐसे में सामाजिक दूरी का ध्यान रखते हुए विश्वविद्यालय सभी के लिए खोला जाना चाहिए जिससे छात्रों की पढ़ाई फिजिकल मोड से हो सके. साथ ही कहा कि यदि संक्रमण को लेकर कोई आशंका हो तो छात्रों से उनकी कोविड - 19 जांच रिपोर्ट भी ली जा सकती है जिसके आधार पर उन्हें विश्वविद्यालय में प्रवेश दिया जा सकता है.
केवल एक स्ट्रीम के लिए विश्वविद्यालय खोलना गलत
वहीं केवल साइंस के छात्रों के लिए विश्वविद्यालय खोले जाने को लेकर छात्रों ने भी गलत ठहराया है. छात्रों का कहना है कि पढ़ाई हर स्ट्रीम के छात्र के लिए उतनी ही जरूरी है जितनी कि साइंस के छात्रों के लिए. साथ ही कहा कि जेएनयू तो सोशल साइंस के लिए सबसे ज्यादा जाना जाता है फिर भी सोशल साइंस के छात्रों की अनदेखी कर केवल साइंस के छात्रों के लिए विश्वविद्यालय खोलने का फैसला पूरी तरह गलत है.
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जेएनयू प्रशासन ने छात्रों के बीच किया भेदभाव
वहीं एक अन्य छात्र का कहना है कि गांव देहात में रहने की वजह से इंटरनेट कनेक्टिविटी की बहुत परेशानी है. ऐसे में वह ऑनलाइन क्लासेज भी ठीक से नहीं ले पाए हैं और अब जब परिस्थिति सामान्य होते देख कॉलेज खुलने की उम्मीद जगी तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने केवल साइंस के छात्रों के लिए विश्वविद्यालय खोलने के दिशा निर्देश जारी किए हैं.
विश्वविद्यालय का यह निर्णय अन्य सभी छात्रों के साथ नाइंसाफी है. वहीं छात्रों की भी यही मांग है कि केवल स्ट्रीम के बीच भेदभाव कर किसी एक को ही ज्यादा महत्व देने के बजाए सबको समान मौका दिया जाना चाहिए. इसलिए विश्वविद्यालय सभी के लिए खोले जाने चाहिए.