नई दिल्ली: रविवार 30 जुलाई को सावन के अधिकमास का पहला और सावन का दूसरा प्रदोष व्रत है. इस साल सावन का महीना बहुत खास है, क्योंकि अधिक मास की वजह से सावन इस बार दो महीने का है. अधिक मास होने की वजह से इस माह में पड़ने वाले कुछ व्रत और त्योहारों की संख्या भी बढ़ गई है. जहां सामान्य सावन में दो बार ही प्रदोष व्रत किया जाता हैं, वहीं इस बार दो की बजाय चार प्रदोष व्रत हैं. इस दिन भगवान भोले नाथ अपने भक्तों से मिलने के लिए स्वर्गलोक से पृथ्वीलोक आते हैं.
साल भर में 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं, लेकिन सावन मास में आने वाले प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है. जो प्रदोष तिथि रविवार के दिन पड़ती है, उसको रवि प्रदोष या भानु प्रदोष के नाम से जाना जाता है. इस दिन व्रत रखने और प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और शिव परिवार का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
रवि प्रदोष व्रत का समय और तिथि
- सावन अधिकमास प्रदोष व्रत - 30 जुलाई 2023 दिन रविवार
- त्रयोदशी तिथि का आरंभ - 30 जुलाई, सुबह 10 बजकर 34 मिनट से
- त्रयोदशी तिथि का समापन - 31 जुलाई, सुबह 7 बजकर 26 मिनट तक
- शिव पूजा मुहूर्त - रात 7 बजकर 14 मिनट से 9 बजकर 19 मिनट तक
- पूजा के लिए 2 घंटे 6 मिनट का समय मिलेगा.
सावन प्रदोष व्रत 2023 पूजा विधि
पंडित जितेंद्र शर्मा ने 'ETV भारत' को बताया कि सावन अधिक मास के प्रदोष व्रत वाले दिन प्रातः काल जल्दी उठें और स्नान आदि करके पूजा के लिए साफ वस्त्र पहन लें. पूजा घर में दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प लें. फिर पूरे दिन व्रत रखते हुए प्रदोष काल में भगवान भोलेनाथ की पूजा और उपासना करें. शाम के समय प्रदोष काल में पूजा के दौरान दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल मिलाकर पंचामृत से शिवलिंग का जलाभिषेक करें.
भांग, धतूरा, बेलपत्र फूल और नैवेद्य शिवलिंग पर अर्पित करें. इसके बाद भगवान शिव की प्रतिमा के पास धूप-दीप जला कर प्रदोष व्रत की कथा सुनें. भगवान शिव की आरती करके पूजा समाप्त करें और भगवान से क्षमा याचना कर पूजा संपन्न करें.
ये भी पढ़ें: Shukra Pradosh Vrat 2023: आज है सावन का पहला प्रदोष व्रत, जानें महत्व, पूजा विधि और मुहूर्त