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सीमित रह जाएगी महिलाओं की उम्मीदवारी! जानें क्यों 1-1 सीट से आगे नहीं बढ़ पाती पार्टियां - bjp

पुराने चुनावों पर नजर डालें तो यह बात सामने आती है कि बड़ी-बड़ी पार्टियां भी 7 में से महज 1-1 सीट ही महिलाओं के लिए निकाल पाती हैं. 2019 चुनावों के लिए भी इस क्रम में बहुत अधिक बदलाव की उम्मीद नहीं दिख रही है.

दिल्ली में महिला उम्मीदवार!
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Published : Mar 25, 2019, 9:11 PM IST

Updated : Mar 26, 2019, 7:12 AM IST

नई दिल्ली: एक तरफ तो देशभर में महिलाओं को सशक्त बनाने और आगे बढ़ाने की बात कही जाती है वहीं दूसरी तरह चुनावों में उम्मीदवारी को लेकर अब भी राजनीतिक पार्टियां महिलाओं पर विश्वास नहीं करना चाहती. इस मामले में देश की राजधानी दिल्ली तक के हालात निराशाजनक हैं.

पुराने चुनावों पर नजर डालें तो यह बात सामने आती है कि बड़ी-बड़ी पार्टियां तक 7 में से महज 1-1 सीट ही महिलाओं के लिए निकाल पाती हैं. 2019 चुनावों के लिए भी इस क्रम में बहुत अधिक बदलाव की उम्मीद नहीं दिख रही है.

साल 2014 के चुनाव में दिल्ली की तीनों बड़ी पार्टियों ने एक-एक महिला उम्मीदवार को मैदान में उतारा था. जहां सातों सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों ने जीत का परचम लहराया था. इसी क्रम में नई दिल्ली से भाजपा की महिला उम्मीदवार मीनाक्षी लेखी को इस में जीत हासिल हुई थी. उत्तर-पश्चिमी दिल्ली से आम आदमी की सीट पर चुनाव लड़ी राखी बिड़लान और कांग्रेस की कृष्णा तीरथ को भारतीय जनता पार्टी के उदित राज ने हराया था. खास बात है कि दिल्ली में कुल 45 फीसदी महिला वोटर हैं जबकि कुछ सीटों पर इनकी संख्या 10 लाख से भी अधिक की है.

1-1 तक ही सीमित रहती है महिलाओं की उम्मीदवारी

राजनीतिक जानकारों की मानें तो जिस गणित से दिल्ली की सीटों पर उम्मीदवारों को टिकट दिया जाता है उसमें महिला वोटरों का फार्मूला अमूमन देखा ही नहीं जाता. इसीलिए यहां महिला उम्मीदवारों की संख्या 1-1 तक ही सीमित रहती है. और शायद यही कारण है कि पश्चिमी दिल्ली में सबसे अधिक महिला वोटर होने के बावजूद यहां पिछली बार भाजपा ने प्रवेश वर्मा को टिकट दिया था तो कांग्रेस के नेता महाबल मिश्रा और आम आदमी पार्टी के जरनैल सिंह यहां चुनावी मैदान में उतरे थे. इस सीट का नतीजा भी सबके सामने है.

दिल्ली में महिला उम्मीदवार!

कई नामों पर चल रही चर्चा
2019 लोकसभा चुनावों की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी में इस बार कई महिला उम्मीदवारों के नामों पर चर्चाएं चल रही हैं. इसमें सबसे आगे पश्चिमी दिल्ली सीट से दक्षिण दिल्ली नगर निगम की पूर्व मेयर और अभी के समय में नेता सदन कमलजीत सहरावत की चल रही है. उत्तर पश्चिम सीट से पूर्व सांसद अनीता आर्य का नाम भी इसी लिस्ट में है तो वहीं नई दिल्ली सीट से भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी भी दोबारा सीट पाना चाहती हैं. उधर कांग्रेस की और से सीट की दावेदारी की लिए भी महिलाओं की कमी नहीं है. इसमें शर्मिष्ठा मुखर्जी और रागिनी नायक का नाम सबसे आगे है. दोनों ही जहां लंबे समय से कांग्रेस से जुड़ी हुई है, शर्मिष्ठा मुखर्जी पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी हैं और प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष हैं तो रागिनी नायक कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं.

उत्तर पश्चिमी सीट से यहां दो बार निगम पार्षद रह चुकी दलित महिला गुड्डी देवी के नाम को लेकर भी बातचीत चल रही है.ऐसे तो महिला दावेदारों की किसी दल के पास कमी नहीं है लेकिन कहा जा रहा है कि 2019 में भी राजनीतिक दल महिला दावेदारों पर बहुत अधिक मेहरबान नहीं होंगे. आम आदमी पार्टी की लिस्ट है यह बहुत हद तक पहले ही साफ भी हो चुका है जहां पूर्वी दिल्ली से ही बस एक महिला उम्मीदवार आतिशी को चुनाव लड़ने का मौका दिया जा रहा है. हालांकि भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की लिस्ट अभी नहीं आई है लेकिन ये बात देखने वाली होगी कि इस बार दिल्ली में कितनी महिला उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरती हैं.

नई दिल्ली: एक तरफ तो देशभर में महिलाओं को सशक्त बनाने और आगे बढ़ाने की बात कही जाती है वहीं दूसरी तरह चुनावों में उम्मीदवारी को लेकर अब भी राजनीतिक पार्टियां महिलाओं पर विश्वास नहीं करना चाहती. इस मामले में देश की राजधानी दिल्ली तक के हालात निराशाजनक हैं.

पुराने चुनावों पर नजर डालें तो यह बात सामने आती है कि बड़ी-बड़ी पार्टियां तक 7 में से महज 1-1 सीट ही महिलाओं के लिए निकाल पाती हैं. 2019 चुनावों के लिए भी इस क्रम में बहुत अधिक बदलाव की उम्मीद नहीं दिख रही है.

साल 2014 के चुनाव में दिल्ली की तीनों बड़ी पार्टियों ने एक-एक महिला उम्मीदवार को मैदान में उतारा था. जहां सातों सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों ने जीत का परचम लहराया था. इसी क्रम में नई दिल्ली से भाजपा की महिला उम्मीदवार मीनाक्षी लेखी को इस में जीत हासिल हुई थी. उत्तर-पश्चिमी दिल्ली से आम आदमी की सीट पर चुनाव लड़ी राखी बिड़लान और कांग्रेस की कृष्णा तीरथ को भारतीय जनता पार्टी के उदित राज ने हराया था. खास बात है कि दिल्ली में कुल 45 फीसदी महिला वोटर हैं जबकि कुछ सीटों पर इनकी संख्या 10 लाख से भी अधिक की है.

1-1 तक ही सीमित रहती है महिलाओं की उम्मीदवारी

राजनीतिक जानकारों की मानें तो जिस गणित से दिल्ली की सीटों पर उम्मीदवारों को टिकट दिया जाता है उसमें महिला वोटरों का फार्मूला अमूमन देखा ही नहीं जाता. इसीलिए यहां महिला उम्मीदवारों की संख्या 1-1 तक ही सीमित रहती है. और शायद यही कारण है कि पश्चिमी दिल्ली में सबसे अधिक महिला वोटर होने के बावजूद यहां पिछली बार भाजपा ने प्रवेश वर्मा को टिकट दिया था तो कांग्रेस के नेता महाबल मिश्रा और आम आदमी पार्टी के जरनैल सिंह यहां चुनावी मैदान में उतरे थे. इस सीट का नतीजा भी सबके सामने है.

दिल्ली में महिला उम्मीदवार!

कई नामों पर चल रही चर्चा
2019 लोकसभा चुनावों की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी में इस बार कई महिला उम्मीदवारों के नामों पर चर्चाएं चल रही हैं. इसमें सबसे आगे पश्चिमी दिल्ली सीट से दक्षिण दिल्ली नगर निगम की पूर्व मेयर और अभी के समय में नेता सदन कमलजीत सहरावत की चल रही है. उत्तर पश्चिम सीट से पूर्व सांसद अनीता आर्य का नाम भी इसी लिस्ट में है तो वहीं नई दिल्ली सीट से भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी भी दोबारा सीट पाना चाहती हैं. उधर कांग्रेस की और से सीट की दावेदारी की लिए भी महिलाओं की कमी नहीं है. इसमें शर्मिष्ठा मुखर्जी और रागिनी नायक का नाम सबसे आगे है. दोनों ही जहां लंबे समय से कांग्रेस से जुड़ी हुई है, शर्मिष्ठा मुखर्जी पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी हैं और प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष हैं तो रागिनी नायक कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं.

उत्तर पश्चिमी सीट से यहां दो बार निगम पार्षद रह चुकी दलित महिला गुड्डी देवी के नाम को लेकर भी बातचीत चल रही है.ऐसे तो महिला दावेदारों की किसी दल के पास कमी नहीं है लेकिन कहा जा रहा है कि 2019 में भी राजनीतिक दल महिला दावेदारों पर बहुत अधिक मेहरबान नहीं होंगे. आम आदमी पार्टी की लिस्ट है यह बहुत हद तक पहले ही साफ भी हो चुका है जहां पूर्वी दिल्ली से ही बस एक महिला उम्मीदवार आतिशी को चुनाव लड़ने का मौका दिया जा रहा है. हालांकि भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की लिस्ट अभी नहीं आई है लेकिन ये बात देखने वाली होगी कि इस बार दिल्ली में कितनी महिला उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरती हैं.

Intro:नई दिल्ली: एक तरफ तो देशभर में महिलाओं को सशक्त बनाने और आगे बढ़ाने की बात कही जाती है वहीं दूसरी तरह चुनावों में उम्मीदवारी को लेकर अब भी राजनीतिक पार्टियां महिलाओं पर विश्वास नहीं करना चाहती. इस मामले में देश की राजधानी दिल्ली तक के हालात निराशाजनक हैं. पुराने चुनावों पर नजर डालें तो यह बात सामने आती है कि बड़ी-बड़ी पार्टियां तक साथ में से महज 1-1 सीट ही महिलाओं के लिए निकाल पाती हैं. 2019 चुनावों के लिए भी इस क्रम में बहुत अधिक बदलाव की उम्मीद नहीं दिख रही है.


Body:साल 2014 के चुनाव में दिल्ली की तीनों बड़ी पार्टियों ने एक-एक महिला उम्मीदवार को मैदान में उतारा था. जहां सातों सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों ने जीत का परचम लहराया था. इसी क्रम में नई दिल्ली से भाजपा की महिला उम्मीदवार मीनाक्षी लेखी को इस में जीत हासिल हुई थी. उत्तर-पश्चिमी दिल्ली से आम आदमी की सीट पर चुनाव लड़ी राखी बिड़लान और कांग्रेस की कृष्णा तीरथ को भारतीय जनता पार्टी के उदित राज ने हराया था. खास बात है कि दिल्ली में कुल 45 फीसदी महिला वोटर हैं जबकि कुछ सीटों पर इनकी संख्या 10 लाख से भी अधिक की है. 1-1 तक ही सीमित रहती है महिलाओं की उम्मीदवारी राजनीतिक जानकारों की मानें तो जिस गणित से दिल्ली की सीटों पर उम्मीदवारों को टिकट दिया जाता है उसमें महिला वोटरों का फार्मूला अमूमन देखा ही नहीं जाता. इसीलिए यहां महिला उम्मीदवारों की संख्या 1-1 तक ही सीमित रहती है. और शायद यही कारण है कि पश्चिमी दिल्ली में सबसे अधिक महिला वोटर होने के बावजूद यहां पिछली बार भाजपा ने प्रवेश वर्मा को टिकट दिया था तो कांग्रेस के नेता महाबल मिश्रा और आम आदमी पार्टी के जरनैल सिंह यहां चुनावी मैदान में उतरे थे. इस सीट का नतीजा भी सबके सामने है. भाजपा और कांग्रेस में कई नामों पर चर्चा 2019 लोकसभा चुनावों की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी में इस बार कई महिला उम्मीदवारों के नामों पर चर्चाएं चल रही हैं. इसमें सबसे आगे पश्चिमी दिल्ली सीट से दक्षिण दिल्ली नगर निगम की पूर्व मेयर और अभी के समय में नेता सदन कमलजीत सहरावत की चल रही है. उत्तर पश्चिम सीट से पूर्व सांसद अनीता आर्य का नाम भी इसी लिस्ट में है तो वहीं नई दिल्ली सीट से भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी भी दोबारा सीट पाना चाहती हैं. उधर कांग्रेस की और से सीट की दावेदारी की लिए भी महिलाओं की कमी नहीं है. इसमें शर्मिष्ठा मुखर्जी और रागिनी नायक का नाम सबसे आगे है. दोनों ही जहां लंबे समय से कांग्रेस से जुड़ी हुई है, शर्मिष्ठा मुखर्जी पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी हैं और प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष हैं तो रागिनी नायक कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं. उत्तर पश्चिमी सीट से यहां दो बार निगम पार्षद रह चुकी दलित महिला गुड्डी देवी के नाम को लेकर भी बातचीत चल रही है. 2019 में कितनी रहेगी महिलाओं की उम्मीदवारी! ऐसे तो महिला दावेदारों की किसी दल के पास कमी नहीं है लेकिन कहा जा रहा है कि 2019 में भी राजनीतिक दल महिला दावेदारों पर बहुत अधिक मेहरबान नहीं होंगे. आम आदमी पार्टी की लिस्ट है यह बहुत हद तक पहले ही साफ भी हो चुका है जहां पूर्वी दिल्ली से ही बस एक महिला उम्मीदवार आतिशी को चुनाव लड़ने का मौका दिया जा रहा है. हालांकि भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की लिस्ट अभी नहीं आई है लेकिन ये बात देखने वाली होगी कि इस बार दिल्ली में कितनी महिला उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरती हैं.


Conclusion:
Last Updated : Mar 26, 2019, 7:12 AM IST

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