नई दिल्ली/नोएडा : बीते सोमवार से हजारों की संख्या में एनटीपीसी दादरी क्षेत्र के 22 गांवों के किसान के परिवारों की महिला, पुरुष और बच्चे सभी एक समान मुआवजा, नौकरी और अन्य सुविधाओं की मांग को लेकर एनटीपीसी के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. किसान एनटीपीसी के खिलाफ सड़कों पर उतरे. सेक्टर 24 में स्थित एनटीपीसी भवन का घेराव कर नारेबाजी करते हुए धरने पर बैठ गए.
कड़ाके की ठंड में धरना दे रहे किसानों में से 35 किसानों की अचानक तबीयत बिगाड़ गई, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है. एनटीपीसी और किसानों के बीच मंगलवार को भी कोई सहमति नहीं बन पाई. इसके चलते धरना जारी है. वहीं, पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए एनटीपीसी भवन के सामने से गुजर रही सड़क को छावनी में तब्दील कर ट्रैफिक को भी ड्राइवर्ट किया, लेकिन किसान अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं.
एनटीपीसी भवन का घेराव करने वाले किसान महिला, पुरुष और बच्चे हैं. ये किसान वो हैं जिनसे एनटीपीसी दादरी के क्षेत्र के लिए जिनकी जमीन एनटीपीसी के प्लांट को बनाने के लिए अधिग्रहित की गई थी. इन किसानों का आरोप है कि एनटीपीसी के प्लांट बनने समय वादा किया गया था कि यहां क्षेत्रीय युवाओं को नौकरी में तवज्जो दी जाएगी. बच्चों की पढ़ाई के लिए अच्छे स्कूल, अस्पताल खोले जाएंगे, सामुदायिक भवन बनेंगे. ऐसा कुछ नहीं हुआ.
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30 साल में एक भी वादा पूरा नहीं किया गया. किसानों की नाराजगी का एक कारण यह भी है कि एनटीपीसी में करीब 22 गांवों की जमीन का अधिग्रहण 1986 में किया गया था. इसके लिए एनटीपीसी ने किसानों को 6 रुपये प्रति गज के हिसाब से मुआवजा दिया गया था तो वहीं इस वित्तीय वर्ष में कुछ किसानों को 120 रुपये प्रति गज के हिसाब से मुआवजा दिया गया था. दोनों मुआवजे की दर में बहुत अंतर होने के चलते किसान आंदोलन करने को मजबूर हो गए.
भारतीय किसान परिषद के अध्यक्ष सुखबीर पहलवान का कहना है कि किसान एक समान मुआवजा दर की मांग कर रहे हैं. इसके साथ प्रभावित किसानों के परिवार से एक जन को एनटीपीसी में नौकरी दी जाए और अन्य सुविधाएं भी दी जाएं. इसको लेकर किसान लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब हम पीछे हटने वाले नहीं है. एनटीपीसी ने जो वादा किया था, हम उसे पूरा कराने आए हैं और जब तक मांगे नहीं मानी जायेगी, तब तक धरना चलता रहेगा.
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