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इकलौते बेटे की मौत के इंसाफ की मांग, पिछले छह महीने से पुलिस स्टेशन के चक्कर लगा रहा परिवार

दिल्ली के छत्तरपुर इलाके में 6 महीने से एक परिवार अपने बेटे की मौत के इंसाफ के लिए पुलिस स्टेशन के चक्कर काट रहा है. 6 महीने पहले सुशील की मौत हो गई थी, मगर उसकी मौत कैसे हुई ये न तो अस्पताल ठीक से बता रहा है और न ही पुलिस. इस केस में कई ऐसे पहलू हैं जो पुलिस और अस्पताल पर सवाल खड़े कर रहे हैं.

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Published : Dec 15, 2022, 10:22 PM IST

इकलौते बेटे की मौत के इंसाफ की मांग, पिछले छह महीने से पुलिस स्टेशन के चक्कर लगा रहा परिवार

नई दिल्ली: दिल्ली के महरौली थाने के अंतर्गत छत्तरपुर इलाके में 6 महीने पहले एक शख्स की जान चली गई. घर वालों का आरोप है कि उनके बेटे के साथ कोई बड़ी साजिश हुई है. यह आरोप पीड़ित परिवार की तरफ से लगाया जा रहा है और दिल्ली पुलिस एवं अस्पताल की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर रहा है.

परिवार ने बातया कि 15-16 जून की रात को उनके बेटे के फोन से उनके घर पर फोन आता है. उसमें घर वालों को सूचना मिलती है कि उनके बेटे सुशील को चोट लगी है. ये सूचना मिलने के बाद सुशील की मां अपनी बेटी के साथ पास के अस्पताल में पहुंची तो उन्होंने देखा कि उनके बेटे के आंख के पास चोट लगी थी और वो उस समय होश मे था. वहां के डॉक्टरों ने उसे एम्स ट्रामा भेज दिया, लेकिन उसको एम्स में भर्ती नहीं किया गया. उसके बाद परिवार वाले उसे सफदरगंज अस्पताल लें गये, जहां इलाज के दौरान उनके बेटे की मौत हो गई.

बेटे की मौत के बाद परिवार ने सारी सूचना जानने की कोशिश की तो पता चला कि उनके बेटे के साथ रोड एक्सीडेंट हुआ है. इसके बाद उसको कुछ लोग अस्पताल में ले गए. इसका सीसीटीवी भी सामने आया है, लेकिन अस्पताल उन लोगों के नामों को छुपा रहा है. वहीं, पुलिस ने भी इसमें लापरवाही बरती है. पुलिस ने अपने FIR में लिख दिया कि मृतक सुशील को सफदरगंज अस्पताल में किसी अनजान शख्स ने भर्ती कराया था.

सुशील सफदरगंज अस्पताल बदहवासी के हालात में पहुंचा था और जिस शख्स ने वहां पर नंबर लिखा था वह नंबर भी बंद जा रहा है. जबकि परिवार के लोग ही उसको छतरपुर के अस्पताल से एम्स ट्रॉमा सेंटर और वहां से सफदरजंग अस्पताल ले गए थे.

पुलिस ने अपने FIR मे रोड एक्सीडेंट की भी बात नहीं लिखी है, लेकिन मृतक के शरीर पर चोट के निशान थे. पुलिस मृतक के बाईक को तो थाने में लाकर रख ली, लेकिन मृतक सुशील को किसने अस्पताल लेकर आया औऱ उसे कैसे चोट लगी इसका पता अभी तक पुलिस नहीं कर पाई है.

परिवार वालों ने अपने जवान बेटे के मौत के इंसाफ के लिए दिल्ली पुलिस को कई बार शिकायत दी गई. परिवार वालों ने थाने से लेकर पुलिस कमीशनर तक गुहार लगा लिया, लेकिन उसके बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है.

ये भी पढ़ें: श्रद्धा मर्डर केस: उपराज्यपाल ने पुलिस के विशेष लोक अभियोजक नियुक्त करने के प्रस्ताव को अनुमति दी

सुशील अपने परिवार का इकलौता बेटा था, वो किसी प्राइवेट कम्पनी मे काम करता था औऱ रोज वो अपनी बाइक से ही कम्पनी में जाया करता था. घटना वाली रात भी वो अपनी बाइक से ही अपने घर वापस आ रहा था, तभी ये हादसा हुआ. अब परिवार यह कह रहा है कि उसे छतरपुर के किसी प्राइवेट अस्पताल से फोन आया, वो वहां गए तब तक उनका बेटा होशो हवास में था. फिर वो उसे सफदरजंग लेकर गए, जहां उसकी मौत हो गई. जबकि पुलिस ने FIR में लिखा है कि मृतक सुशील को अंजान शक्श ने सफदरगंज में भर्ती कराया.

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इकलौते बेटे की मौत के इंसाफ की मांग, पिछले छह महीने से पुलिस स्टेशन के चक्कर लगा रहा परिवार

नई दिल्ली: दिल्ली के महरौली थाने के अंतर्गत छत्तरपुर इलाके में 6 महीने पहले एक शख्स की जान चली गई. घर वालों का आरोप है कि उनके बेटे के साथ कोई बड़ी साजिश हुई है. यह आरोप पीड़ित परिवार की तरफ से लगाया जा रहा है और दिल्ली पुलिस एवं अस्पताल की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर रहा है.

परिवार ने बातया कि 15-16 जून की रात को उनके बेटे के फोन से उनके घर पर फोन आता है. उसमें घर वालों को सूचना मिलती है कि उनके बेटे सुशील को चोट लगी है. ये सूचना मिलने के बाद सुशील की मां अपनी बेटी के साथ पास के अस्पताल में पहुंची तो उन्होंने देखा कि उनके बेटे के आंख के पास चोट लगी थी और वो उस समय होश मे था. वहां के डॉक्टरों ने उसे एम्स ट्रामा भेज दिया, लेकिन उसको एम्स में भर्ती नहीं किया गया. उसके बाद परिवार वाले उसे सफदरगंज अस्पताल लें गये, जहां इलाज के दौरान उनके बेटे की मौत हो गई.

बेटे की मौत के बाद परिवार ने सारी सूचना जानने की कोशिश की तो पता चला कि उनके बेटे के साथ रोड एक्सीडेंट हुआ है. इसके बाद उसको कुछ लोग अस्पताल में ले गए. इसका सीसीटीवी भी सामने आया है, लेकिन अस्पताल उन लोगों के नामों को छुपा रहा है. वहीं, पुलिस ने भी इसमें लापरवाही बरती है. पुलिस ने अपने FIR में लिख दिया कि मृतक सुशील को सफदरगंज अस्पताल में किसी अनजान शख्स ने भर्ती कराया था.

सुशील सफदरगंज अस्पताल बदहवासी के हालात में पहुंचा था और जिस शख्स ने वहां पर नंबर लिखा था वह नंबर भी बंद जा रहा है. जबकि परिवार के लोग ही उसको छतरपुर के अस्पताल से एम्स ट्रॉमा सेंटर और वहां से सफदरजंग अस्पताल ले गए थे.

पुलिस ने अपने FIR मे रोड एक्सीडेंट की भी बात नहीं लिखी है, लेकिन मृतक के शरीर पर चोट के निशान थे. पुलिस मृतक के बाईक को तो थाने में लाकर रख ली, लेकिन मृतक सुशील को किसने अस्पताल लेकर आया औऱ उसे कैसे चोट लगी इसका पता अभी तक पुलिस नहीं कर पाई है.

परिवार वालों ने अपने जवान बेटे के मौत के इंसाफ के लिए दिल्ली पुलिस को कई बार शिकायत दी गई. परिवार वालों ने थाने से लेकर पुलिस कमीशनर तक गुहार लगा लिया, लेकिन उसके बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है.

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सुशील अपने परिवार का इकलौता बेटा था, वो किसी प्राइवेट कम्पनी मे काम करता था औऱ रोज वो अपनी बाइक से ही कम्पनी में जाया करता था. घटना वाली रात भी वो अपनी बाइक से ही अपने घर वापस आ रहा था, तभी ये हादसा हुआ. अब परिवार यह कह रहा है कि उसे छतरपुर के किसी प्राइवेट अस्पताल से फोन आया, वो वहां गए तब तक उनका बेटा होशो हवास में था. फिर वो उसे सफदरजंग लेकर गए, जहां उसकी मौत हो गई. जबकि पुलिस ने FIR में लिखा है कि मृतक सुशील को अंजान शक्श ने सफदरगंज में भर्ती कराया.

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