ETV Bharat / state

यमुना संसद में बोले विशेषज्ञ- प्रकृति निर्मित नहीं बल्कि मानव निर्मित है यमुना की बाढ़ - Indira Gandhi Delhi Technical University for Women

इंदिरा गांधी दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर वूमेन में 'यमुना की बाढ़: अतिक्रमण या अधिकार' विषय पर चर्चा का आयोजन किया गया. चर्चा में विशेषज्ञों ने यमुना की बदहाली के कारण और निवारण को लेकर अपने विचार रखे.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Jul 24, 2023, 5:28 PM IST

नई दिल्ली: हाल ही में यमुना नदी में आई बाढ़ ने देश विदेश के लोगों का ध्यान आकर्षित किया है. जब पूरा देश चंद्रयान की सफलता को सेलिब्रेट कर रहा था, उस समय देश की राजधानी दिल्ली बाढ़ और जलभराव की समस्या से जूझ रही थी. एक बार फिर से यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर आ गया है. लोगों में एक बार फिर से यमुना में बाढ़ आने का भय व्याप्त है. बार बार आने वाली इस बाढ़ और यमुना के सीमित होती धार के कारण और निवारण को लेकर विशेषज्ञों ने इंदिरा गांधी दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर वूमेन में मंथन शुरू किया है.

यमुना संसद में 'यमुना की बाढ़: अतिक्रमण या अधिकार' विषय पर चर्चा की गई. विशेषज्ञों ने चर्चा की कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि वजीराबाद से लेकर कालिंदी कुंज तक करीब 24 किलोमीटर के यमुना के किनारे इस पानी को रोक पाने में असफल रहे. कैसे यह पानी दिल्ली के लोगों को बेहाल कर गया. चर्चा में जलपुरुष डॉ. राजेंद्र सिंह, आईआईटी के प्रोफेसर एके गोसाई, आईएएएम स्वीडन के सेक्रेटरी जनरल डॉ. आशुतोष तिवारी, इंदिरा गांधी दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर वूमेन की वॉयस चांसलर डॉ. अमिता देव, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. शशांक शेखर, यमुना संसद के टेक्निकल एक्सपर्ट डा. संजय सिंह, यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क के इंचार्ज डॉक्टर फयाज ए खुदसर और यमुना संसद के संयोजक रविशंकर तिवारी ने यमुना की बदहाली के कारण और निवारण पर अपने विचार रखे.

हमारी शिक्षा में कमी से मिट रहा नदियों का अस्तित्व - जलपुरुष डॉक्टर राजेंद्र सिंह

जलपुरुष डॉक्टर राजेंद्र सिंह ने कहा कि पहले लोग का इंतजार करते थे लेकिन अब हर कोई बाढ़ से डरता है. पहले बाढ़ हमें बहुत कुछ देकर जाती थी. लेकिन अब यही बाढ़ हमें उजाड़ती है. आज आने वाली बाढ़ अविद्या के कारण आती है. हम नदियों को जीवन देना चाहते हैं तो उन्हें नदी की तरह बहने देना सुनिश्चित करना होगा. नदियों का अंत अतिक्रमण, खनन और प्रदूषण के कारण हो रहा है. ये तीनों समस्याएं हमारी शिक्षा में कमी के कारण हो रही हैं. शिक्षा ने हमें सिर्फ अपने लिए सुख-सुविधाएं हासिल करना सिखाया है. नदियों और प्रकृति की रक्षा के लिए काम करना हमारी शिक्षा में सिखाया ही नहीं गया.


डूब क्षेत्र घटने से दिल्ली में आई बाढ़ - प्रोफेसर एके गोसाई

आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर एके गोसाईं ने कहा कि हर नदी का एक रास्ता होता है जिसे फ्लड प्लेन या डूब क्षेत्र कहते हैं. बारिश या अन्य किसी कारण से जब नदी में पानी बढ़ जाता है तो वह पानी इसी डूब क्षेत्र में कुछ समय के लिए फैल जाता है. इस बार दिल्ली की बाढ़ दो वजहों से आई. पहला यमुना में छोड़ा गया पानी. दूसरा, दिल्ली में हुई बारिश का पानी नदी तक नहीं पहुंच सका क्योंकि यमुना का जलस्तर पहले ही बढ़ चुका था. अक्षरधाम मंदिर हो या मिलेनियम डिपो, जो भी निर्माण नदी के मार्ग में होता गया, उससे यमुना का मार्ग बाधित होता गया.

ये भी पढ़ें: Delhi Flood: यमुना फिर खतरे के निशान से ऊपर, ड्रोन के जरिए देखें दिल्ली की बाढ़

नई दिल्ली: हाल ही में यमुना नदी में आई बाढ़ ने देश विदेश के लोगों का ध्यान आकर्षित किया है. जब पूरा देश चंद्रयान की सफलता को सेलिब्रेट कर रहा था, उस समय देश की राजधानी दिल्ली बाढ़ और जलभराव की समस्या से जूझ रही थी. एक बार फिर से यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर आ गया है. लोगों में एक बार फिर से यमुना में बाढ़ आने का भय व्याप्त है. बार बार आने वाली इस बाढ़ और यमुना के सीमित होती धार के कारण और निवारण को लेकर विशेषज्ञों ने इंदिरा गांधी दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर वूमेन में मंथन शुरू किया है.

यमुना संसद में 'यमुना की बाढ़: अतिक्रमण या अधिकार' विषय पर चर्चा की गई. विशेषज्ञों ने चर्चा की कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि वजीराबाद से लेकर कालिंदी कुंज तक करीब 24 किलोमीटर के यमुना के किनारे इस पानी को रोक पाने में असफल रहे. कैसे यह पानी दिल्ली के लोगों को बेहाल कर गया. चर्चा में जलपुरुष डॉ. राजेंद्र सिंह, आईआईटी के प्रोफेसर एके गोसाई, आईएएएम स्वीडन के सेक्रेटरी जनरल डॉ. आशुतोष तिवारी, इंदिरा गांधी दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर वूमेन की वॉयस चांसलर डॉ. अमिता देव, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. शशांक शेखर, यमुना संसद के टेक्निकल एक्सपर्ट डा. संजय सिंह, यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क के इंचार्ज डॉक्टर फयाज ए खुदसर और यमुना संसद के संयोजक रविशंकर तिवारी ने यमुना की बदहाली के कारण और निवारण पर अपने विचार रखे.

हमारी शिक्षा में कमी से मिट रहा नदियों का अस्तित्व - जलपुरुष डॉक्टर राजेंद्र सिंह

जलपुरुष डॉक्टर राजेंद्र सिंह ने कहा कि पहले लोग का इंतजार करते थे लेकिन अब हर कोई बाढ़ से डरता है. पहले बाढ़ हमें बहुत कुछ देकर जाती थी. लेकिन अब यही बाढ़ हमें उजाड़ती है. आज आने वाली बाढ़ अविद्या के कारण आती है. हम नदियों को जीवन देना चाहते हैं तो उन्हें नदी की तरह बहने देना सुनिश्चित करना होगा. नदियों का अंत अतिक्रमण, खनन और प्रदूषण के कारण हो रहा है. ये तीनों समस्याएं हमारी शिक्षा में कमी के कारण हो रही हैं. शिक्षा ने हमें सिर्फ अपने लिए सुख-सुविधाएं हासिल करना सिखाया है. नदियों और प्रकृति की रक्षा के लिए काम करना हमारी शिक्षा में सिखाया ही नहीं गया.


डूब क्षेत्र घटने से दिल्ली में आई बाढ़ - प्रोफेसर एके गोसाई

आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर एके गोसाईं ने कहा कि हर नदी का एक रास्ता होता है जिसे फ्लड प्लेन या डूब क्षेत्र कहते हैं. बारिश या अन्य किसी कारण से जब नदी में पानी बढ़ जाता है तो वह पानी इसी डूब क्षेत्र में कुछ समय के लिए फैल जाता है. इस बार दिल्ली की बाढ़ दो वजहों से आई. पहला यमुना में छोड़ा गया पानी. दूसरा, दिल्ली में हुई बारिश का पानी नदी तक नहीं पहुंच सका क्योंकि यमुना का जलस्तर पहले ही बढ़ चुका था. अक्षरधाम मंदिर हो या मिलेनियम डिपो, जो भी निर्माण नदी के मार्ग में होता गया, उससे यमुना का मार्ग बाधित होता गया.

ये भी पढ़ें: Delhi Flood: यमुना फिर खतरे के निशान से ऊपर, ड्रोन के जरिए देखें दिल्ली की बाढ़

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.