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दिल्ली में लॉकडाउन खोलने को लेकर खुश नहीं विशेषज्ञ - दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन

दिल्ली में लॉकडाउन (delhi lockdown ) पूरी तरह से खोल दिया गया है. अगली लहर के मद्देनजर विशेषज्ञ, इसे उचित नहीं मान रहे हैं. दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (Delhi Medical Association) के सचिव का कहना है कि फेज वाइज तरीके से लॉकडाउन खोला जाना चाहिए था.

दिल्ली में लॉकडाउन खोलने को लेकर खुश नहीं विशेषज्ञ
दिल्ली में लॉकडाउन खोलने को लेकर खुश नहीं विशेषज्ञ
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Published : Jun 22, 2021, 4:19 AM IST

नई दिल्लीः देश की राजधानी में कोरोना (Delhi corona) की स्थिति काफी हद तक काबू में आ गई है. मृत्यु दर में भी काफी हद तक गिरावट आई है. इससे उत्साहित होकर दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने लॉकडाउन पूरी तरह से खोल दिया है. सरकार के इस फैसले के पक्ष में विशेषज्ञ नहीं हैं. उनका मानना है कि दिल्ली में कोरोना की स्थिति काफी भयानक रही थी. ऐसे में दिल्ली सरकार को, इस तरह अचानक लॉकडाउन को नहीं खोलना चाहिए था.


फेज वाइज लॉकडाउन खोला जाता तो होता बेहतर

दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (Delhi Medical Association) के सचिव डॉ. अजय गंभीर बताते हैं कि कोरोना के मामले में स्थिरता आने के साथ ही लोग लापरवाह हो गए हैं. हर जगह भीड़ बिना उचित सावधानी के बढ़ने लगी है, जब भीड़ इकट्ठी होने लगी है, तो इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ेगा. डॉ. गंभीर बताते हैं कि सरकार ने लॉकडाउन खोलने का, जो निर्णय लिया है. उसे वह उचित नहीं समझते हैं. कोरोना को काबू में करने के लिए कुछ ना कुछ सैक्रिफाइस करना होगा. सरकार फेज वाइज तरीके से लॉकडाउन बढ़ाते गई, उसी तरीके से खोला भी जाना चाहिए था. पहले हफ्ते मेट्रो खोली जाना चाहिए थी. इसके बाद सब्जी मंडी खोली जानी चाहिए थी, दुकानें खोली जानी चाहिए थी.

दिल्ली में लॉकडाउन खोलने को लेकर खुश नहीं विशेषज्ञ

गैर जरूरी चीजों को खोलने की नहीं थी आवश्यकता

पहले जरूरत की चीजें खोली जाती, उसके बाद उन चीजों की को खोला जाता, जिनकी जरूरत तत्काल नहीं होने वाली थी. कुछ दिन कपड़े नहीं खरीदेंगे तो चलेगा, लेकिन अगर सब्जियां नहीं लेंगे, तो खाएंगे क्या ? इस समय पूरे देश और दिल्ली में भी पूरी तरह से लॉकडॉउन खोल दिया गया है. आम लोगों को भी जिम्मेदारी समझनी चाहिए. उन्हें अब लापरवाही नहीं करनी चाहिए.

ये भी पढ़ें-Delhi unlock : आज से फिर खुले पार्क, गंदगी में खेल रहे बच्चे

अगली पीढ़ी के लिये पेश करें मिसाल

डॉ. गंभीर ने किशोर और युवा वर्ग से अपील की है कि वे अगली पीढ़ी के लिए, एक मिसाल पेश करें कि कोरोना महामारी को नियंत्रित करने के लिए कठोर नियमों का पालन किया. ऐसी महामारियां 100 साल के बाद आती है और अगली कोई महामारी आएगी भी, तो 100 साल बाद ही आएगी. इसके लिए अगली पीढ़ी को सतर्क करने की जिम्मेदारी भी इसी पीढ़ी की है.

नई दिल्लीः देश की राजधानी में कोरोना (Delhi corona) की स्थिति काफी हद तक काबू में आ गई है. मृत्यु दर में भी काफी हद तक गिरावट आई है. इससे उत्साहित होकर दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने लॉकडाउन पूरी तरह से खोल दिया है. सरकार के इस फैसले के पक्ष में विशेषज्ञ नहीं हैं. उनका मानना है कि दिल्ली में कोरोना की स्थिति काफी भयानक रही थी. ऐसे में दिल्ली सरकार को, इस तरह अचानक लॉकडाउन को नहीं खोलना चाहिए था.


फेज वाइज लॉकडाउन खोला जाता तो होता बेहतर

दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (Delhi Medical Association) के सचिव डॉ. अजय गंभीर बताते हैं कि कोरोना के मामले में स्थिरता आने के साथ ही लोग लापरवाह हो गए हैं. हर जगह भीड़ बिना उचित सावधानी के बढ़ने लगी है, जब भीड़ इकट्ठी होने लगी है, तो इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ेगा. डॉ. गंभीर बताते हैं कि सरकार ने लॉकडाउन खोलने का, जो निर्णय लिया है. उसे वह उचित नहीं समझते हैं. कोरोना को काबू में करने के लिए कुछ ना कुछ सैक्रिफाइस करना होगा. सरकार फेज वाइज तरीके से लॉकडाउन बढ़ाते गई, उसी तरीके से खोला भी जाना चाहिए था. पहले हफ्ते मेट्रो खोली जाना चाहिए थी. इसके बाद सब्जी मंडी खोली जानी चाहिए थी, दुकानें खोली जानी चाहिए थी.

दिल्ली में लॉकडाउन खोलने को लेकर खुश नहीं विशेषज्ञ

गैर जरूरी चीजों को खोलने की नहीं थी आवश्यकता

पहले जरूरत की चीजें खोली जाती, उसके बाद उन चीजों की को खोला जाता, जिनकी जरूरत तत्काल नहीं होने वाली थी. कुछ दिन कपड़े नहीं खरीदेंगे तो चलेगा, लेकिन अगर सब्जियां नहीं लेंगे, तो खाएंगे क्या ? इस समय पूरे देश और दिल्ली में भी पूरी तरह से लॉकडॉउन खोल दिया गया है. आम लोगों को भी जिम्मेदारी समझनी चाहिए. उन्हें अब लापरवाही नहीं करनी चाहिए.

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अगली पीढ़ी के लिये पेश करें मिसाल

डॉ. गंभीर ने किशोर और युवा वर्ग से अपील की है कि वे अगली पीढ़ी के लिए, एक मिसाल पेश करें कि कोरोना महामारी को नियंत्रित करने के लिए कठोर नियमों का पालन किया. ऐसी महामारियां 100 साल के बाद आती है और अगली कोई महामारी आएगी भी, तो 100 साल बाद ही आएगी. इसके लिए अगली पीढ़ी को सतर्क करने की जिम्मेदारी भी इसी पीढ़ी की है.

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