नई दिल्ली: कोरोना की रफ्तार थमती नजर आ रही है, लेकिन अब ब्लैक फंगस (Black Fungus Cases) एक महामारी का रूप लेता जा रहा है. देश भर में करीब 12 हजार फंगल इंफेक्शन के मामले सामने आए हैं. 250 से ज्यादा लोग इस इंफेक्शन की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं. विशेषज्ञों ने फंगल इंफेक्शन के लिए जिम्मेदार कई कारकों में से एक ब्लड शुगर को बताया है और भारत को डायबिटीज की राजधानी कहा जाता है. आखिर भारत में डॉयबिटीज के रोगियों की संख्या बढ़ने के क्या कारण हैं और इसका कोरोना और ब्लैक फंगस (Black Fungus Symptoms) से क्या संबध है. ये जानकारी जुटाने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने बात की एक्सपर्ट से...
डायबिटीज, कोरोना और फंगल इन्फेक्शन के बीच संबंध
दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के सचिव और वैक्सीन india.org के फैसिलिटेटर डॉ. अजय गंभीर बताते हैं कि हमारे देश में बहुत सारे लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं और इनमें से बहुत सारे लोग कोरोना से भी संक्रमित हुए. डायबिटीज और कोरोना का सीधा संबंध है. इसको लेकर डॉक्टर गंभीर बताते हैं कि अगर आपको डायबिटीज, हाईपरटेंशन या हार्ट डिजीज है और आप 60 साल से ज्यादा उम्र के हैं तो निश्चित तौर पर आप हाई रिस्क में है, क्योंकि डायबिटीज की वजह से कोरोना वायरस को रेजिस्टेंस नहीं मिलता है. जिसकी वजह से कोरोना वायरस शरीर में बड़ी तेजी के साथ फैल जाता है.
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डायबिटीज रोगिया क्यों हैं ज्यादा खतरा
डॉ. अजय गंभीर बताते हैं कि जिन मरीजों को डायबिटीज है और उन्हें कोरोना संक्रमण हुआ है. इंटेंसिव केयर की जरूरत होती है. ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है. ऐसे मरीजों को ब्लैक फंगस इंफेक्शन होने का भी काफी खतरा होता है. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है ? इसको लेकर डॉ गंभीर बताते हैं कि कोरोना संक्रमण होने की वजह से इम्यून सिस्टम काफी कमजोर हो जाता है. इसकी वजह से शरीर की बीमारी से लड़ने की क्षमता काफी कमजोर हो जाती है. ऐसे हालात में बहुत सारी बीमारियां शरीर को घेर लेती हैं. इस तरह शरीर के बी सेल और टी सेल काम करने बंद कर देते हैं.
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स्टेरॉयड के प्रयोग से बढ़ता है ब्लड सुगर
फंगस वहां आता है, जहां नमी होती है. जैसे बासी रोटी और पुरानी सब्जियों में ऊपर फंगस आ जाता है. जब हमारी बॉडी की बीमारियों से लड़ने की क्षमता समाप्त हो जाती है तो ऐसे में फंगस को पनपने का काफी अनुकूल माहौल मिलता है. जिन मरीजों को पहले से ही डायबिटीज है, उनमें यह खतरा काफी अधिक होता है. उस पर से कोरोना संक्रमण को कम करने के लिए स्टेरॉइड का अंधाधुंध इस्तेमाल करते हैं. हालांकि कम मात्रा में स्टेरॉइड का इस्तेमाल घातक नहीं है, लेकिन बिना किसी विशेषज्ञ डॉक्टर की देखरेख में अपने मन से ज्यादा मात्रा में स्टेरॉयड लेना जानलेवा साबित हो सकता है.
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ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं कि उन्हें डायबिटीज है
डॉ गंभीर इस गंभीर समस्या की जड़ बताते हुए कहते हैं कि हमारे देश के ज्यादातर लोगों को यह पता ही नहीं है कि वह डायबिटीज से पीड़ित हैं. ऐसे छिपे हुए डायबिटीज के मरीज के लिए कोरोना संक्रमण घातक साबित हो रहा है. ऐसे ही मरीजों को फंगल इनफेक्शन भी हो रहे हैं. जब किसी डायबिटीज वाले मरीज को स्टेरॉयड दिया जाता है तो उनका ब्लड शुगर खतरनाक रूप से काफी बढ़ जाता है. इसलिए ऐसे मरीजों को बचाने के लिए जरूरी है कि इसकी जानकारी पहले से ही डॉक्टर को हो और स्टेरॉइड के साथ-साथ उन्हें ब्लड शुगर कंट्रोल करने वाली दवाई भी दे सकें.
डायबिटीज का पता न होना खतरनाक
जिन मरीजों में उनके डियाबिटीज होने का पता ना हो उनका ब्लड शुगर स्टेरॉइड के साथ खतरनाक रूप से बढ़ना शुरू कर देता है. ऐसे हालात में जब बीमारी से लड़ने की क्षमता शरीर खो देता है. ऐसे में जो फंगस हवा में है, वह सांस के माध्यम से हमारे शरीर के अंदर आता है और फिर अनुकूल माहौल मिलने पर वह अपना ग्रोथ शुरू कर देता है. अधिक संभावना है कि यह फेफड़े में जाकर बैठ जाए. आमतौर पर फंगस से हमें कोई नुकसान नहीं होता है लेकिन जब डायबिटीज अनियंत्रित हो जाए तो यह हमारे शरीर के अंगों को खराब करना शुरू कर देता है.
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जिन्हें डायबिटीज नहीं उन्हें खतरा भी नहीं
डॉ. अजय गंभीर ने बताया कि जिन मरीजों को पहले से डायबिटीज नहीं होती है, ऐसे मरीजों की अगर स्टेरॉइड की वजह से उनका ब्लड शुगर बढ़ता है तो स्टेरॉइड का इस्तेमाल बंद करते हैं. उनका ब्लड शुगर नियंत्रित हो जाता है और वे फंगल इन्फेक्शन( fungal infection) से बच जाते हैं. अगर हो भी जाये तो बच जाते हैं.
भारत में स्टेरॉयड का अंधाधुंध प्रयोग प्रंमुख समस्या
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन सेंट्रल दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रमेश बंसल ब्लैक ने कहा कि दुनिया के किसी भी देश में फंगल इन्फेक्शन की घटना सामने नहीं आ रही है, लेकिन भारत में यह देखा जा रहा है. जाहिर सी बात है यहां स्टेरॉयड का सबसे ज्यादा दुरुपयोग हो रहा है. हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या बिना किसी प्रिसक्रिप्शन के दवाइयों के दुकान पर मिलने वाले स्टेरॉयड और झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा अंधाधुंध एस्ट्रोराइड का इस्तेमाल करना है.
एंटीबायोटिक्स भी खतरनाक
डॉ. अजय गंभीर बताते हैं कि फंगल इंफेक्शन इसलिए इतना खतरनाक हो रहा है क्योंकि पहले से ही डायबिटीज से पीड़ित मरीजों को कोरोना संक्रमित होने पर न सिर्फ अधिक मात्रा में स्टेरॉइड दिया जाता है, बल्कि एंटीबायोटिक्स का भारी डोज भी दिया जाता है. लेकिन सच्चाई यह है कि कोरोना के इलाज में इसकी कोई भूमिका नहीं है.
संक्रमण से पीड़ित मरीजों को आईसीयू में भर्ती किया जाता है. वहां उन्हें हाई फ्लो ऑक्सीजन पर रखा जाता है. आईसीयू में संक्रमण से बचने के लिए उन्हें कई तरह के एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं. यह एक तरह का कॉकटेल हो जाता है, जिसे मरीज बर्दाश्त नहीं कर पाता. पहला फैक्टर कोरोना संक्रमण होना, दूसरा फैक्टर डायबिटीज का होना, तीसरा शरीर की इम्युनिटी कम होना और चौथा एंटीबायोटिक्स का ज्यादा इस्तेमाल करना स्टेरॉइड के ज्यादा इस्तेमाल से ब्लड शुगर का बढ़ना. ये सारी चीजें मिल कर मरीजों के लिए प्राण घातक साबित होता है.