नई दिल्लीः कार धोने वाले मजदूर को 2.5 करोड़ रुपये का लोन जारी करने के मामले में बैंक के पूर्व सीनियर मैनेजर को आर्थिक अपराध शाखा ने गिरफ्तार किया है. उसकी पहचान हरबंस लाल मान के रूप में की गई है. इससे पहले बैंक के चीफ मैनेजर सहित तीन आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है. उनकी गिरफ्तारी बीते मंगलवार को की गई थी.
संयुक्त आयुक्त ओपी मिश्रा के अनुसार पंजाब नेशनल बैंक की तरफ से आर्थिक अपराध शाखा को ठगी की शिकायत मिली थी. इसमें बताया गया कि शक्ति ट्रेडिंग कंपनी के मालिक सुनील ने 2013 में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 2.5 करोड़ रुपये का लोन लिया.
उसने बताया कि वह कपड़ों का कारोबार करते हैं. उसने जिस प्रॉपर्टी के दस्तावेज गिरवी रखे वो जांच में फर्जी पाए गए. ना तो उन्हें लोन लेने वाले का बाद में पता चला और ना ही उसकी गारंटी देने वालों का. इसकी वजह से 2014 में यह अकाउंट एनपीए हो गया. इस बाबत नजफगढ़ थाने में 2015 में मामला दर्ज किया गया था.
पूर्व सीनियर मैनेजर हुआ गिरफ्तार
इसकी जांच नवंबर 2018 में आर्थिक अपराध शाखा को सौंपी गई. जांच में पता चला कि बैंक के चीफ मैनेजर शैलेंद्र कुमार उपाध्याय एवं सीनियर मैनेजर हरबंस लाल को बैंक के कार्य के बारे में अच्छे से जानकारी थी. उन्होंने अंकित सांगवान और सुनील के साथ मिलकर इस अकाउंट को खोला और फर्जी दस्तावेजों पर उन्हें लोन दे दिया. उसमें मौजूद सभी क्रेडिट लिमिट लेने के बाद आरोपी फरार हो गए थे.
वास्तव में आरोपी सुनील एक दिहाड़ी मजदूर था जो कार धोता था. आर्थिक अपराध शाखा के एसीपी अनिल समोटा की देखरेख में इंस्पेक्टर मुकेश कुमार और एसआई निखिल की टीम ने आरोपियों की तलाश शुरू की. पुलिस टीम ने इस मामले में बैंक के चीफ मैनेजर शैलेंद्र कुमार, ट्रक चालक अंकित सांगवान और कार धोने वाले सुनील को बीते मंगलवार गिरफ्तार कर लिया. वहीं बुधवार को हरबंस लाल को गिरफ्तार कर लिया गया.
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मुख्य साजिशकर्ता निकला चीफ मैनेजर
गिरफ्तार किया गया हरबंस लाल पंजाब नेशनल बैंक का पूर्व सीनियर मैनेजर है. उसे बैंक की सभी कमियों के बारे में पता था. इस ढाई करोड़ रुपये लोन के लिए फर्जी सत्यापन करने का काम उसने ही किया था. इस तरह के छह अन्य मामलों में भी वह शामिल रहा है. आरोपी हरबंस बैंक से सेवानिवृत्त हो चुका है और वह पंजाब के लुधियाना का रहने वाला है.