नई दिल्लीः दिल्ली में सर्दियों के दिनों में 10 जनवरी को बिजली की मांग सबसे अधिक रही. बुधवार सुबह 11:08 बजे शहर में बिजली की मांग 5611 मेगावाट दर्ज की गई. सर्दी के दिनों में यह बिजली की अब तक की सबसे अधिक मांग है. बीआरपीएल क्षेत्र में बिजली की मांग 2350 मेगावाट और बीवाईपीएल इलाके में बिजली की मांग 1174 मेगावाट दर्ज की गई.
इससे पहले 5 जनवरी को बिजली की मांग 5559 मेगावाट दर्ज की गई थी. जो तब तक का सबसे अधिक रिकॉर्ड था. बिजली की मांग ने पांच दिन के भीतर एक नया रिकॉर्ड बनाया है. सर्दियों में दिल्ली में बिजली की पीक डिमांड 5700 मेगावाट तक पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है. इससे पहले सर्दियों में बिजली की मांग का पिछला रिकॉर्ड 6 जनवरी 2023 को बना था, इस दिन बिजली की मांग 5526 मेगावाट थी.
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इस साल लगातार 5 हजार से ज्यादा की बनी हुई है डिमांडः इस साल सिर्फ 2 जनवरी को छोड़कर हर दिन बिजली की मांग लगातार 5000 मेगावाट से ऊपर रही है. दिल्ली में पिछले वर्षों में सर्दियों की पीक पावर डिमांड की बात करें तो वर्ष 2018-19 में यह डिमांड 4457 मेगावाट दर्ज की गई थी. वर्ष 2019-20 में 5343 मेगावाट, 2020-21 में 5021 मेगावाट, 2021-22 में 5104 मेगावाट और 2022-23 में यह 5526 मेगावाट रही.
बीते 9 दिनों में कितनी रही डिमांड देखें
तारीख | बिजली की डिमांड |
1 जनवरी | 5134 मेगावाट |
2 जनवरी | 4910 मेगावाट |
3 जनवरी | 5257 मेगावाट |
4 जनवरी | 5241 मेगावाट |
5 जनवरी | 5559 मेगावाट |
6 जनवरी | 5137 मेगावाट |
7 जनवरी | 5106 मेगावाट |
8 जनवरी | 5337 मेगावाट |
9 जवनरी | 5435 मेगावाट |
बढ़ती डिमांड देख तैयारी पूरीः बीएसईएस ने बिजली की डिमांड को पूरा करने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं. लॉन्ग टर्म आधार पर बिजली खरीद समझौतों के तहत बीएसईएस को पीक डिमांड के हिसाब से पर्याप्त बिजली मिलेगी. विभिन्न पावर प्लांटों से लॉन्ग टर्म आधार पर मिलने वाली नियमित बिजली के अलावा इस बार दिल्ली के लोगों को भरपूर अक्षय ऊर्जा भी मिलेगी.
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अत्याधुनिक तकनीकों की बदौलत बीएसईएस अब बिजली की मांग का लगभग सटीक अनुमान लगा सकती है. इसके लिए लोड फोरकास्टिंग सिस्टम के अलावा मॉडलिंग तकनीक का भी उपयोग किया जा रहा है. तकनीक से बीएसईएस अब बिजली की डिमांड का करीब-करीब सटीक अनुमान लगा पाने में सक्षम है. चूंकि दिल्ली में बिजली की डिमांड के उतार-चढ़ाव में मौसम की बड़ी भूमिका होती है, इसलिए बिजली की मांग का अनुमान लगाते वक्त वेदर फोरकास्टिंग तकनीक का भी इस्तेमाल किया जाता है.