नई दिल्ली: दिल्ली सरकार द्वारा सोमवार को पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में दिल्ली में चार स्तरीय स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढांचा मॉडल लागू करने की बात कही गई है. सर्वेक्षण में कहा गया है कि इस मॉडल के अंतर्गत पहले और दूसरे स्तर की स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं मोहल्ला क्लीनिक और पॉलीक्लिनिक से उपलब्ध कराई जाती हैं, जबकि तीसरे और चौथे स्तर की स्वास्थ्य सेवाएं सुपर स्पेशलिटी और मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल द्वारा उपलब्ध कराई जाती है.
आर्थिक सर्वे रिपोर्ट में जानकारी दी गई कि वर्ष 2020-21 की तुलना में वर्ष 2021-22 तक दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में मरीजों के इलाज के लिए उपलब्ध बेड की संख्या 1700 से अधिक बढ़ाई गई है. 2020-21 में दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में बेड की स्वीकृति संख्या 12543 थी. यह 2021-22 में बढ़ाकर 14244 कर दी गई है. अगर दिल्ली में सरकारी और निजी दोनों तरह के अस्पतालों की संख्या की बात करें तो कुल 1163 सरकारी और निजी अस्पतालों में मौजूदा समय में 58960 बेड हैं. इससे पहले दोनों तरह के अस्पतालों में कुल बेड की संख्या 58156 थी.
यह भी पढ़ेंः Outcome Budget 2022: दिल्ली सरकार ने जारी किया आउटकम बजट, जानें
दिल्ली की फर्टिलिटी रेट अच्छीः सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में 31 मार्च 2022 तक 89 अस्पताल, 48 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 1621 औषधालय, 128 मेटरनिटी होम और उप केंद्र, 44 पॉलीक्लिनिक, 1050 नर्सिंग होम, 508 विशेष क्लीनिक और 19 मेडिकल कॉलेज हैं. कुल फर्टिलिटी रेट में दिल्ली पश्चिम बंगाल और तेलंगाना के समकक्ष है. दिल्ली की फर्टिलिटी रेट 1.4 है. जबकि, देश की फर्टिलिटी रेट दो है.
देश की तुलना में दिल्ली में काफी कम है शिशु व नवजात मृत्यु दरः आर्थिक सर्वे रिपोर्ट में दिल्ली सरकार ने दावा किया है कि राजधानी में शिशु मृत्यु दर, नवजात मृत्यु दर एवं पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर देश के मुकाबले काफी कम है. दिल्ली में शिशु मृत्यु दर 12, नवजात मृत्यु दर नौ और पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर 14 के स्तर पर है. अखिल भारतीय स्तर पर यह नवजात मृत्युदर 28, शिशु मृत्यु दर 20 और पांच साल से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर 32 है. यह आंकड़ा प्रति हजार बच्चों पर है.