नई दिल्ली/नोएडा : अगर किसी में हिम्मत और लगन है तो सफलता जरूर मिलेगी. ऐसा ही कुछ नोएडा में रहने वाली चंचल शर्मा ने कर दिखाया है. वह अपने मासूम बच्चे को साथ लेकर ई-रिक्शा चलाती थी. यह उसका शौक नहीं, मजबूरी थी. उसके संघर्ष की खबर ईटीवी भारत ने प्राथमिकता से प्रकाशित किया था. खबर चलने के बाद जिस कंपनी से चंचल ने ई-रिक्शा किराये पर लिया था, उसने वापस ले लिया.
सुरक्षा का हवाला देते हुए कंपनी ने यह काम किया. ईटीवी भारत की खबर का असर हुआ कि एक संगठन ने चंचल शर्मा को ई रिक्शा गिफ्ट कर दिया. आज वह अपने खुद के ई-रिक्शा चला रही है. साथ ही उसने एक किराए का घर भी लिया, जहां अपनी मां और घर के अन्य सदस्यों के साथ खुशी से रह रही है.
चंचल शर्मा और उनकी मां का कहना है कि संघर्ष का परिणाम है कि आज हम किसी पर आश्रित नहीं हैं. अब खुद के दम पर कमाने और परिवार का भरण-पोषण करने का काम कर रहे हैं. कुछ अन्य लोग भी चंचल की मदद के लिए आगे आए हैं और उन्हें ई-रिक्शा सहित अन्य सहायता देने की बात कह रहे हैं, जैसा चंचल ने बताया है.
नई ई-रिक्शा मिलने से चंचल खुश
सितंबर में चंचल ने ईटीवी भारत से अपने संघर्ष और आत्मविश्वास को साझा किया था, जिसमें उसने पति के साथ छोड़ने के बाद किस तरह से बेटे को सीने में बांध कर ई-रिक्शा चला रही थी. ईटीवी भारत की खबर का असर हुआ कि एक संगठन ने चंचल को ई-रिक्शा भेंट किया. इससे उनका आत्मविश्वास और बढ़ गया. पहले जहां काफी मशक्कत के बाद किराए पर ई-रिक्शा लेकर चलाती थी और उसका किराया चुकाने के बाद उसको पैसा मिलता था. वहीं अब खुद के रिक्शे को चलाकर वह काफी खुश है. वह कहती है कि पहले जहां हम छोटे से कमरे में रहते थे, वहीं अब गाजियाबाद की खोड़ा कॉलोनी स्थित एक घर किराए पर ले रखा है, जहां परिवार के सभी सदस्य एक साथ रहते हैं मां के साथ.
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चंचल शर्मा की मेहनत और संघर्ष
चंचल शर्मा की मां ने कहा कि हमें हर कदम पर संघर्ष करने के लिए तैयार रहना है. बिना संघर्ष हम कभी भी आगे नहीं बढ़ सकते हैं. उन्होंने कहा कि आज चंचल जिस मुकाम पर पहुंची है, सिर्फ अपनी लगन, मेहनत और संघर्ष के दम पर पहुंची है. उन्होंने बताया कि हमें सहारा और सहयोग देने वाला पहले कोई नहीं था, पर आज अपनी मेहनत के दम पर खड़ी हैं.
उन्होंने कहा कि महिलाओं को संघर्ष करने में संकोच नहीं करना चाहिए. क्योंकि संघर्ष ही जीवन है और बिना संघर्ष कभी सफलता नहीं मिल सकती. मेरे पति के न रहने के बाद हमने बहुत संघर्ष किया और अपने सभी बच्चों को संघर्ष करना ही सिखाया है, जिसका परिणाम आज निकल के सामने आ रहा है.
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