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DU: 'दूसरों को सलाह देने वाली दिल्ली सरकार अपने ही विभाग को वेतन क्यों नहीं दे रहा'

दिल्ली सरकार के जरिए सौ फीसदी वित्त पोषित 12 कॉलेजों में फंड जारी ना करने के कारण डीयू के शिक्षकों को करीब 4 महीने से वेतन नहीं मिला. इसी क्रम में इन 12 कॉलेजों में से एक आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज के शिक्षकों ने कहा कि गवर्निंग बॉडी बनने के बाद भी फंड जारी नहीं हुआ.

DU teachers not getting salary as delhi govt not given fund to colleges
कॉलेजों में फंड जारी ना होने से शिक्षकों को नहीं मिला वेतन
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Published : Aug 27, 2020, 1:03 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के दिल्ली सरकार द्वारा सौ फीसदी वित्त पोषित 12 कॉलेजों में फंड जारी ना किए जाने से शिक्षकों को करीब 4 महीने से वेतन नहीं मिल पा रहा है. वहीं इन्हीं कॉलेजों में से एक आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज (एएनडीसी) के शिक्षकों ने कहा कि जिस गवर्निंग बॉडी के गठन ना होने का हवाला देकर दिल्ली सरकार ने फंड रोका था. वह गवर्निंग बॉडी भी अब बन गई तो फंड जारी ना करने के पीछे क्या कारण है. साथ ही उन्होंने कहा कि जो दिल्ली सरकार हर क्षेत्र के लोगों को अपने अंतर्गत काम कर रहे कर्मचारियों का वेतन न रोकने की सलाह देती है. वह अपने ही विभाग के कर्मचारियों को वेतन क्यों नहीं दे रही.

कॉलेजों में फंड जारी ना होने से शिक्षकों को नहीं मिला वेतन

नहीं मिला मेडिकल बिल

बता दें कि दिल्ली सरकार द्वारा फंड जारी न किए जाने के चलते दिल्ली सरकार द्वारा सौ फीसदी वित्त पोषित 12 कॉलेजों में कार्यरत किसी भी शिक्षक और कर्मचारी को पिछले 4 महीने से वेतन नहीं मिल पाया है. इसके चलते जहां परिवार का भरण पोषण मुश्किल हो रहा है. वहीं मेडिकल बिल ना मिलने से भी शिक्षकों को खासी परेशानी हो रही है. कुछ ऐसे ही परेशानी आ रही है.

फंड रोककर की ज्यादती

इन्हीं 12 कॉलेजों में से एक आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज में कार्यरत शिक्षकों ने अपनी परेशानी साझा करते हुए कहा कि कोविड-19 के समय में जब पैसों की सबसे ज्यादा जरूरत है. ऐसे में दिल्ली सरकार ने फंड रोककर उनके साथ ज्यादती की है. शिक्षकों का कहना है कि दिल्ली सरकार ने कोविड-19 के समय में सभी को आर्थिक मदद देने का दावा किया, लेकिन उन्हीं के विभाग के शिक्षकों को अपने वेतन से भी महरूम रखा.

शिक्षकों को हो रही आर्थिक परेशानी

वहीं वेतन न मिलने से शिक्षकों का घर चलाना भी मुश्किल हो गया है. खासतौर पर वो शिक्षक जो दंपति दोनों ही इसी कॉलेज में काम कर रहे हैं. ऐसे में आय का कोई साधन नहीं है. वहीं शिक्षकों का कहना है कि ईएमआई देनी है, लेकिन वेतन ना मिलने के चलते वह भी पेंडिंग हो रही है. किसी की इंश्योरेंस की किश्त नहीं जा पा रही. साथ ही मेडिकल बिल क्लियर ना होने के चलते भी कई शिक्षक परेशान हैं. लेकिन फंड जारी ना होने के चलते यह सब काम रूके हुए हैं.

आपसी मतभेद अपने स्तर पर सुलझाएं

वहीं आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज के एक शिक्षक ने कहा कि जब उन्हें ही वेतन नहीं मिल रहा, तो उनके अंतर्गत जो घरों में काम करने वाले ड्राइवर और मेड हैं उन्हें वेतन कहां से दें. शिक्षकों का कहना है कि दिल्ली सरकार ने इतने सालों में कभी भी कॉलेजों के वेतन नहीं रोका और इस बार अगर दिल्ली सरकार और दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच किसी बात को लेकर एकमत नहीं हो पा रहा है, तो उसका खामियाजा शिक्षकों और कर्मचारियों को क्यों भुगतना पड़ रहा है. शिक्षकों की दिल्ली सरकार और दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन से गुहार है कि आपसी मतभेद को अपने स्तर पर सुलझाएं, लेकिन इसकी मार शिक्षकों और कर्मचारियों पर ना पड़ने दें. शिक्षकों ने पूरी निष्ठा के साथ कॉलेजों में अपनी ड्यूटी दी है. ऐसे में वेतन उनका अधिकार बनता है, जिसे समय से दिया जाना जरूरी है.

शिक्षकों ने दिल्ली सरकार से मांग की है कि जिस गवर्निंग बॉडी के गठन को लेकर फंड रोका गया था, वो मसला भी हल हो गया है. अब गवर्निंग बॉडी का भी गठन कर दिया गया है. ऐसे में अब और वेतन रोकना शिक्षकों को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचा सकता है.

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के दिल्ली सरकार द्वारा सौ फीसदी वित्त पोषित 12 कॉलेजों में फंड जारी ना किए जाने से शिक्षकों को करीब 4 महीने से वेतन नहीं मिल पा रहा है. वहीं इन्हीं कॉलेजों में से एक आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज (एएनडीसी) के शिक्षकों ने कहा कि जिस गवर्निंग बॉडी के गठन ना होने का हवाला देकर दिल्ली सरकार ने फंड रोका था. वह गवर्निंग बॉडी भी अब बन गई तो फंड जारी ना करने के पीछे क्या कारण है. साथ ही उन्होंने कहा कि जो दिल्ली सरकार हर क्षेत्र के लोगों को अपने अंतर्गत काम कर रहे कर्मचारियों का वेतन न रोकने की सलाह देती है. वह अपने ही विभाग के कर्मचारियों को वेतन क्यों नहीं दे रही.

कॉलेजों में फंड जारी ना होने से शिक्षकों को नहीं मिला वेतन

नहीं मिला मेडिकल बिल

बता दें कि दिल्ली सरकार द्वारा फंड जारी न किए जाने के चलते दिल्ली सरकार द्वारा सौ फीसदी वित्त पोषित 12 कॉलेजों में कार्यरत किसी भी शिक्षक और कर्मचारी को पिछले 4 महीने से वेतन नहीं मिल पाया है. इसके चलते जहां परिवार का भरण पोषण मुश्किल हो रहा है. वहीं मेडिकल बिल ना मिलने से भी शिक्षकों को खासी परेशानी हो रही है. कुछ ऐसे ही परेशानी आ रही है.

फंड रोककर की ज्यादती

इन्हीं 12 कॉलेजों में से एक आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज में कार्यरत शिक्षकों ने अपनी परेशानी साझा करते हुए कहा कि कोविड-19 के समय में जब पैसों की सबसे ज्यादा जरूरत है. ऐसे में दिल्ली सरकार ने फंड रोककर उनके साथ ज्यादती की है. शिक्षकों का कहना है कि दिल्ली सरकार ने कोविड-19 के समय में सभी को आर्थिक मदद देने का दावा किया, लेकिन उन्हीं के विभाग के शिक्षकों को अपने वेतन से भी महरूम रखा.

शिक्षकों को हो रही आर्थिक परेशानी

वहीं वेतन न मिलने से शिक्षकों का घर चलाना भी मुश्किल हो गया है. खासतौर पर वो शिक्षक जो दंपति दोनों ही इसी कॉलेज में काम कर रहे हैं. ऐसे में आय का कोई साधन नहीं है. वहीं शिक्षकों का कहना है कि ईएमआई देनी है, लेकिन वेतन ना मिलने के चलते वह भी पेंडिंग हो रही है. किसी की इंश्योरेंस की किश्त नहीं जा पा रही. साथ ही मेडिकल बिल क्लियर ना होने के चलते भी कई शिक्षक परेशान हैं. लेकिन फंड जारी ना होने के चलते यह सब काम रूके हुए हैं.

आपसी मतभेद अपने स्तर पर सुलझाएं

वहीं आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज के एक शिक्षक ने कहा कि जब उन्हें ही वेतन नहीं मिल रहा, तो उनके अंतर्गत जो घरों में काम करने वाले ड्राइवर और मेड हैं उन्हें वेतन कहां से दें. शिक्षकों का कहना है कि दिल्ली सरकार ने इतने सालों में कभी भी कॉलेजों के वेतन नहीं रोका और इस बार अगर दिल्ली सरकार और दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच किसी बात को लेकर एकमत नहीं हो पा रहा है, तो उसका खामियाजा शिक्षकों और कर्मचारियों को क्यों भुगतना पड़ रहा है. शिक्षकों की दिल्ली सरकार और दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन से गुहार है कि आपसी मतभेद को अपने स्तर पर सुलझाएं, लेकिन इसकी मार शिक्षकों और कर्मचारियों पर ना पड़ने दें. शिक्षकों ने पूरी निष्ठा के साथ कॉलेजों में अपनी ड्यूटी दी है. ऐसे में वेतन उनका अधिकार बनता है, जिसे समय से दिया जाना जरूरी है.

शिक्षकों ने दिल्ली सरकार से मांग की है कि जिस गवर्निंग बॉडी के गठन को लेकर फंड रोका गया था, वो मसला भी हल हो गया है. अब गवर्निंग बॉडी का भी गठन कर दिया गया है. ऐसे में अब और वेतन रोकना शिक्षकों को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचा सकता है.

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