नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय में अकादमिक काउंसिल (एसी) और एग्जीक्यूटिव काउंसिल (ईसी) के चुनाव में पहली बार दोनों सीट पर उतरी आम आदमी पार्टी समर्थित शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर एसोसिएशन (डीटीए) के उम्मीदवार को एग्जीक्यूटिव काउंसिल में इनवैलिड वोट से पराजय का सामना करना पड़ा, तो वहीं अकादमिक काउंसिल के उम्मीदवार प्रोफेसर सुनील कुमार गिरते संभलते जीतने में कामयाब हुए.
डीटीए ने एसी में गिरते संभलते जीत दर्ज की
वहीं आम आदमी पार्टी समर्थित शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर एसोसिएशन के प्रभारी प्रोफेसर हंसराज सुमन ने कहा कि बेशक एग्जीक्यूटिव काउंसिल में हार का सामना करना पड़ा है, लेकिन अकादमिक काउंसिल में दो सीट पर जीत दर्ज की है. उन्होंने कहा कि महिला कोटे से पहले ही प्रोफेसर आशा रानी ने निर्विरोध जीत दर्ज कर ली थी. वहीं अब प्रोफेसर सुनील कुमार ने 343 वोट से जीत दर्ज की.
समय पर फंड जारी होने से नतीजा और बेहतर होता
वहीं प्रोफेसर हंसराज सुमन ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान दिल्ली सरकार के द्वारा सौ फ़ीसदी वित्त पोषित कॉलेजों में समय पर फंड नहीं जारी करने को लेकर शिक्षकों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने समय पर शिक्षकों की सैलरी के लिए फंड जारी किया होता तो यह नतीजा और बेहतर होता.
एडहॉक शिक्षकों का समायोजन/स्थायीकरण प्राथमिकता
प्रोफेसर हंसराज सुमन ने कहा कि डीटीए की प्राथमिकता में एडहॉक शिक्षकों के समायोजन / स्थायीकरण कराना है. इसके अलावा 5 दिसंबर 2019 को शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी किए गए सर्कुलर को दिल्ली सरकार के वित्त पोषित 28 कॉलेजों में इसे लागू करना है. साथ ही एडहॉक शिक्षकों को जब तक समायोजन / स्थायीकरण नहीं होता किसी भी सिस्टम से बाहर नहीं किया जाएगा.
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तीन उम्मीदवार उतरे थे
दिल्ली विश्वविद्यालय के अकादमिक काउंसिल और एग्जीक्यूटिव काउंसिल चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी समर्थित शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर एसोसिएशन ने तीन उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारा था, जिसमें एग्जीक्यूटिव काउंसिल के लिए प्रोफेसर नरेंद्र कुमार पांडे और अकादमिक काउंसिल में प्रोफेसर सुनील कुमार व डॉ. आशा रानी को चुनावी मैदान में उतारा गया था. इसमें एग्जीक्यूटिव काउंसिल उम्मीदवार नरेंद्र कुमार पांडे को इनवैलिड वोट से भी हार का सामना करना पड़ा है.