नई दिल्ली: दिल्ली में ऑक्सीजन सप्लाई और मांग के हिसाब से ऑक्सीजन को स्टोर करने के लिए दिल्ली सरकार 15 क्रायोजेनिक टैंकर ला रही है. दिल्ली परिवहन निगम को इस प्रक्रिया की पूरी जिम्मेदारी सौंपी गई है. जिसे लेकर प्रक्रिया तेज़ कर दी गई है. इन टैंकरों की कुल कैपेसिटी 225 टन ऑक्सीजन स्टोर करने की होगी.
जानकारी के मुताबिक 15 जुलाई को दिल्ली परिवहन निगम की ओर से इस संबंध में टेंडर जारी किया गया था. 20 जुलाई के दिन इस संबंध में प्रश्नों का आखिरी दिन था. बताया गया कि जो पार्टी बोली लगाने में सफल रही, उसे 90 दिनों के भीतर टैंकर देने होंगे. दिल्ली परिवहन निगम से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि इस पूरी प्रक्रिया को बिना देर किए प्राथमिकता के आधार पर डील किए जाने के आदेश हैं.
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अप्रैल और मई महीने में दिल्ली में ऑक्सीजन की भारी किल्लत देखी गई थी. आरोप और प्रत्यारोप की राजनीति के बीच जो तथ्य सामने निकल कर आया वह यह था कि दिल्ली में न तो ऑक्सीजन के लिए पर्याप्त प्लांट हैं और ना ही ऑक्सीजन को स्टोर करने की कोई व्यवस्था. इसी के बाद दिल्ली सरकार ने क्रायोजेनिक टैंकर लाने के लिए प्रयास शुरू किए और डीटीसी को इसकी जिम्मेदारी दी गई है.
दिल्ली में आएंगे 15 क्रायोजेनिक टैंकर, डीटीसी ने तेज़ की प्रक्रिया
दिल्ली सरकार ऑक्सीजन स्टोर करने के लिए 15 क्रायोजेनिक टैंकर ला रही है. दिल्ली परिवहन निगम को इस प्रक्रिया की पूरी जिम्मेदारी सौंपी गई है. जिसे लेकर प्रक्रिया तेज़ कर दी गई है.
नई दिल्ली: दिल्ली में ऑक्सीजन सप्लाई और मांग के हिसाब से ऑक्सीजन को स्टोर करने के लिए दिल्ली सरकार 15 क्रायोजेनिक टैंकर ला रही है. दिल्ली परिवहन निगम को इस प्रक्रिया की पूरी जिम्मेदारी सौंपी गई है. जिसे लेकर प्रक्रिया तेज़ कर दी गई है. इन टैंकरों की कुल कैपेसिटी 225 टन ऑक्सीजन स्टोर करने की होगी.
जानकारी के मुताबिक 15 जुलाई को दिल्ली परिवहन निगम की ओर से इस संबंध में टेंडर जारी किया गया था. 20 जुलाई के दिन इस संबंध में प्रश्नों का आखिरी दिन था. बताया गया कि जो पार्टी बोली लगाने में सफल रही, उसे 90 दिनों के भीतर टैंकर देने होंगे. दिल्ली परिवहन निगम से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि इस पूरी प्रक्रिया को बिना देर किए प्राथमिकता के आधार पर डील किए जाने के आदेश हैं.
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अप्रैल और मई महीने में दिल्ली में ऑक्सीजन की भारी किल्लत देखी गई थी. आरोप और प्रत्यारोप की राजनीति के बीच जो तथ्य सामने निकल कर आया वह यह था कि दिल्ली में न तो ऑक्सीजन के लिए पर्याप्त प्लांट हैं और ना ही ऑक्सीजन को स्टोर करने की कोई व्यवस्था. इसी के बाद दिल्ली सरकार ने क्रायोजेनिक टैंकर लाने के लिए प्रयास शुरू किए और डीटीसी को इसकी जिम्मेदारी दी गई है.