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पहले कोरोना का इलाज, फिर किडनी ट्रांसप्लांट-ऐसे बची गरीब मरीज की जान

दुनिया भर में आज के दिन को वर्ल्ड किडनी डे के रूप में जाना जाता है. इसी को लेकर दिल्ली के बत्रा अस्पताल के डॉ. मुखर्जी ने लॉकडाउन के दौरान न सिर्फ मरीज के कोरोना का इलाज किया, बल्कि उसकी मां के जरिए डोनेट की गई किडनी ट्रांसप्लांट कर उसे नई जिंदगी भी दी.

मां ने बेटे को डोनेट की किडनी.
मां ने बेटे को डोनेट की किडनी.
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Published : Mar 11, 2021, 3:34 PM IST

नई दिल्ली: वर्ल्ड किडनी डे पर ऐसी कहानी बताते हैं, जो लॉकडाउन के दौरान हुई है. कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन में लोग घरों में बंद हो गए थे. अस्पतालों की ओपीडी सेवा भी बंद थी. ऐसे में एक गरीब मरीज अपने खराब हो चुके दोनों किडनी के इलाज के लिए बत्रा अस्पताल गया. वहां उस मरीज की मुलाकात डॉ. मुखर्जी से हुई. डॉ. मुखर्जी ने न सिर्फ मरीज के कोरोना का इलाज किया, बल्कि किडनी ट्रांसप्लांट कर उसे एक नई जिंदगी दी.

मां ने बेटे को डोनेट की किडनी.

'किडनी खराब और कोरोना से मौत के करीब'

25 साल का युवक विकास एक निजी कंपनी में काम करता था. अपनी किडनी के इलाज के लिए अस्पताल दर अस्पताल भटकने वाले विकास की नौकरी लॉकडाउन की वजह से तो गई ही, साथ ही वह कोरोना से भी साथ पीड़ित हो गया. किसी के कहने पर दक्षिण दिल्ली के एक बड़े निजी अस्पताल बत्रा हॉस्पिटल में इलाज के लिए गए, लेकिन इस अस्पताल में इलाज करा पाना उनके बस की बात नहीं थी. यहां उनकी मुलाकात नेफ्रोलॉजी और किडनी ट्रांसप्लांट डिपार्टमेंट के अध्यक्ष डॉक्टर डी मुखर्जी से हुई. उन्होंने इस मरीज का न सिर्फ इलाज किया, बल्कि 'आउट ऑफ टर्न' जाकर उसकी गरीबी का हवाला देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी और उनसे प्रधानमंत्री राहत कोष से मदद करने की अपील की, लेकिन इसी बीच विकास कोरोना से पीड़ित हो गए. उनके लिए यह कोढ़ में खाज की तरह था. एक के बाद एक परेशानियां झेलते हुए विकास परेशान हो गए. परेशानी की इस अवस्था में डॉक्टर मुखर्जी ने बत्रा अस्पताल में ही उनके कोरोना का भी इलाज किया.



ये भी पढ़ें:-किडनी बचाना है तो 40 के बाद हर साल कराएं जांच: डॉ. मुखर्जी

डॉ. मुखर्जी खुद मरीज के बारे में बताते हैं कि विकास बहुत ही गरीब परिवार से थे. किडनी ट्रांसप्लांट के लिए हमारे पास आए थे, लेकिन बदकिस्मती से जून के महीने में वह कोरोना से पीड़ित हो गए. ऐसे में विकास को अस्पताल में भर्ती किया और उसके कोरोना का इलाज किया. कोरोना का इलाज के बाद जब टेस्ट किया तो उसकी रिपोर्ट निगेटिव आयी. थोड़ी मेहनत करके प्रधानमंत्री से मदद के लिए उन्हें चिट्ठी लिखी. प्रधानमंत्री ने इस गरीब मरीज की काफी आर्थिक मदद की. विकास का किडनी ट्रांसप्लांट सफल रहा. आज वह और उसकी डोनर मां दोनों ही स्वस्थ और सुरक्षित हैं.


इलाज के लिए अस्पताल दर अस्पताल भटके

विकास ने बताया कि 2017 से वह किडनी के मरीज हैं. उनके दोनों किडनी फेल हो गए थे. कई जगह इलाज कराए, लेकिन हर अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए उनसे काफी पैसे की मांग की गई, लेकिन उनके पास इतना सारा पैसा नहीं था कि वह अपना किडनी ट्रांसप्लांट करवा सकें. उनकी मां को किसी ने बताया कि बत्रा हॉस्पिटल में डॉक्टर मुखर्जी हैं, जो उनकी मदद कर सकते हैं. डॉक्टर मुखर्जी ने उनकी काफी मदद की. उन्होंने कहा कि अगर उनके पास डोनर है, तो वह उनका किडनी ट्रांसप्लांट कर सकते हैं. विकास की मां तुरंत अपनी किडनी देने को तैयार हो गईं.

ये भी पढ़ें:-दिल्ली में 100 बेड के किडनी अस्पताल का उद्घाटन, मरीज मुफ्त करा सकेंगे इलाज

डॉ. मुखर्जी ने किडनी ट्रांसप्लांट कर दी नई जिंदगी

ट्रांसप्लांट के लिए तारीख तय होने के पहले ही विकास को कोरोना संक्रमण हो गया. कोरोना की वजह से विकास की तबीयत काफी खराब हो गई. उनका शरीर काम करना बंद करने लगा. किडनी का मरीज होने की वजह से उनकी जान को भी खतरा था, लेकिन डॉ मुखर्जी की मदद से विकास न सिर्फ कोरोना को मात दे सके. बल्कि प्रधानमंत्री से आर्थिक मदद मिलने के बाद उनके किडनी का ट्रांसप्लांट भी हो गया है. आज वह और उनकी मां बिल्कुल स्वस्थ हैं और डॉक्टर मुखर्जी का बहुत आभार प्रकट कर रहे हैं.


नई दिल्ली: वर्ल्ड किडनी डे पर ऐसी कहानी बताते हैं, जो लॉकडाउन के दौरान हुई है. कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन में लोग घरों में बंद हो गए थे. अस्पतालों की ओपीडी सेवा भी बंद थी. ऐसे में एक गरीब मरीज अपने खराब हो चुके दोनों किडनी के इलाज के लिए बत्रा अस्पताल गया. वहां उस मरीज की मुलाकात डॉ. मुखर्जी से हुई. डॉ. मुखर्जी ने न सिर्फ मरीज के कोरोना का इलाज किया, बल्कि किडनी ट्रांसप्लांट कर उसे एक नई जिंदगी दी.

मां ने बेटे को डोनेट की किडनी.

'किडनी खराब और कोरोना से मौत के करीब'

25 साल का युवक विकास एक निजी कंपनी में काम करता था. अपनी किडनी के इलाज के लिए अस्पताल दर अस्पताल भटकने वाले विकास की नौकरी लॉकडाउन की वजह से तो गई ही, साथ ही वह कोरोना से भी साथ पीड़ित हो गया. किसी के कहने पर दक्षिण दिल्ली के एक बड़े निजी अस्पताल बत्रा हॉस्पिटल में इलाज के लिए गए, लेकिन इस अस्पताल में इलाज करा पाना उनके बस की बात नहीं थी. यहां उनकी मुलाकात नेफ्रोलॉजी और किडनी ट्रांसप्लांट डिपार्टमेंट के अध्यक्ष डॉक्टर डी मुखर्जी से हुई. उन्होंने इस मरीज का न सिर्फ इलाज किया, बल्कि 'आउट ऑफ टर्न' जाकर उसकी गरीबी का हवाला देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी और उनसे प्रधानमंत्री राहत कोष से मदद करने की अपील की, लेकिन इसी बीच विकास कोरोना से पीड़ित हो गए. उनके लिए यह कोढ़ में खाज की तरह था. एक के बाद एक परेशानियां झेलते हुए विकास परेशान हो गए. परेशानी की इस अवस्था में डॉक्टर मुखर्जी ने बत्रा अस्पताल में ही उनके कोरोना का भी इलाज किया.



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डॉ. मुखर्जी खुद मरीज के बारे में बताते हैं कि विकास बहुत ही गरीब परिवार से थे. किडनी ट्रांसप्लांट के लिए हमारे पास आए थे, लेकिन बदकिस्मती से जून के महीने में वह कोरोना से पीड़ित हो गए. ऐसे में विकास को अस्पताल में भर्ती किया और उसके कोरोना का इलाज किया. कोरोना का इलाज के बाद जब टेस्ट किया तो उसकी रिपोर्ट निगेटिव आयी. थोड़ी मेहनत करके प्रधानमंत्री से मदद के लिए उन्हें चिट्ठी लिखी. प्रधानमंत्री ने इस गरीब मरीज की काफी आर्थिक मदद की. विकास का किडनी ट्रांसप्लांट सफल रहा. आज वह और उसकी डोनर मां दोनों ही स्वस्थ और सुरक्षित हैं.


इलाज के लिए अस्पताल दर अस्पताल भटके

विकास ने बताया कि 2017 से वह किडनी के मरीज हैं. उनके दोनों किडनी फेल हो गए थे. कई जगह इलाज कराए, लेकिन हर अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए उनसे काफी पैसे की मांग की गई, लेकिन उनके पास इतना सारा पैसा नहीं था कि वह अपना किडनी ट्रांसप्लांट करवा सकें. उनकी मां को किसी ने बताया कि बत्रा हॉस्पिटल में डॉक्टर मुखर्जी हैं, जो उनकी मदद कर सकते हैं. डॉक्टर मुखर्जी ने उनकी काफी मदद की. उन्होंने कहा कि अगर उनके पास डोनर है, तो वह उनका किडनी ट्रांसप्लांट कर सकते हैं. विकास की मां तुरंत अपनी किडनी देने को तैयार हो गईं.

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डॉ. मुखर्जी ने किडनी ट्रांसप्लांट कर दी नई जिंदगी

ट्रांसप्लांट के लिए तारीख तय होने के पहले ही विकास को कोरोना संक्रमण हो गया. कोरोना की वजह से विकास की तबीयत काफी खराब हो गई. उनका शरीर काम करना बंद करने लगा. किडनी का मरीज होने की वजह से उनकी जान को भी खतरा था, लेकिन डॉ मुखर्जी की मदद से विकास न सिर्फ कोरोना को मात दे सके. बल्कि प्रधानमंत्री से आर्थिक मदद मिलने के बाद उनके किडनी का ट्रांसप्लांट भी हो गया है. आज वह और उनकी मां बिल्कुल स्वस्थ हैं और डॉक्टर मुखर्जी का बहुत आभार प्रकट कर रहे हैं.


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