नई दिल्ली: दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (डीपीसीसी) के द्वारा किए गए निरीक्षण में पता चला है कि राजधानी के 12 अस्पतालों में दिशा निर्देशों का उल्लंघन किया जा रहा है. इसके बाद ने राजधानी के कई अस्पतालों को नोटिस जारी किया गया.
मेडिकल वेस्ट को लेकर अस्पताल को जो एहतियातन कदम उठाने चाहिए वह नहीं उठाए जा रहे हैं. यही वजह है की कमेटी के द्वारा 12 अस्पतालों को बंद करने का नोटिस जारी किया है.
'अस्पतालों से निकलता है बायो मेडिकल वेस्ट'
बायो मेडिकल वेस्ट के बारे में जानने के लिए हमने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और पर्यावरणविद महाराज पंडित से बातचीत की. उन्होंने कहा कि अस्पतालों से बड़ी संख्या में मेडिकल वेस्ट निकलता है, जैसे केमिकल, दवाइयां, सर्जरी के दौरान इस्तेमाल की गई कॉटन पट्टी, आदि ये मेडिकल वेस्ट पर्यावरण के लिए बहुत ही हानिकारक है.
'अस्पताल नहीं करते गाइडलाइन फॉलो'
डीपीसीसी ने बाकायदा अस्पतालों को एक गाइडलाइन दी है जिसके तहत इस मेडिकल वेस्ट का निस्तारण करना होता है. अगर ऐसा नहीं किया तो ना सिर्फ हम पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करेंगे बल्कि उससे इंसान और जानवर भी गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकते हैं.
जानें बायो मेडिकल वेस्ट का नुकसान
महाराज पंडित ने आगे बताया अस्पताल में सर्जरी के दौरान कई गंभीर केमिकल भी इस्तेमाल होते हैं जो कॉटन, इंजेक्शन और सर्जरी में इस्तेमाल किए गए उपकरण मे शामिल हो जाते हैं. ऐसे में उनका सही तरीके से निस्तारण करना बेहद आवश्यक है. अगर ऐसा नहीं हुआ तो कई तरह के संक्रामक और असंक्रामक रोग फैल सकते हैं जिससे लोगों के साथ-साथ जानवर भी गंभीर रूप से बीमार पड़ सकते हैं.
'सही तरीके से निस्तारण जरूरी'
प्रो. ने आगे बताया कि देश में आज कई अस्पताल बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण बहुत सही तरीके से कर रही है. यहां तक कि वे इसके निस्तारण के लिए कई एजेंसियों से सेवाएं भी ले रहे हैं. इन एजेंसियों का काम मुख्य तौर पर बायोगैस का निस्तारण करना है.
'पर्यावरण को हो रहा इससे नुकसान'
बायो मेडिकल वेस्ट पर्यावरण के लिए एक बड़ा संकट बनकर उभर रहा है. सरकार चाहे राज्य की हो या केंद्र की वक्त-वक्त पर अस्पतालों का निरीक्षण करके इसके खिलाफ अभियान चलाया करती है, लेकिन सरकार से ज्यादा जिम्मेदारी अस्पताल प्रशासन की है. जो इस बात का ख्याल रखें की बायो वेस्ट का निस्तारण सही और वक्त रहते किया जाए.