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Chaitra Amavasya 2023: इस दिन दान का है विशेष महत्व, नौकरी और व्यापार में होती है तरक्की

चैत्र महीने में पड़ने वाली अमावस्या को चैत्र अमावस्या कहते हैं. कहा जाता है कि इस दिन दान करने का विशेष महत्व है. ऐसा करने से व्यापार में इजाफा होता है और नौकरी में बेहतर अवसरों की प्राप्ति होती है. इस दिन पितरों का पितरों का तर्पण जरूर करना चाहिए.

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Published : Mar 20, 2023, 4:29 PM IST

नई दिल्लीः हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है. चैत्र महीने में पड़ने वाली अमावस्या को चैत्र अमावस्या कहते हैं. चैत्र अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या या भौमवती अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. इस बार चैत्र अमावस्या मंगलवार यानी कि 21 मार्च को पड़ रही है. चैत्र अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पाप नष्ट होते हैं और पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. चैत्र अमावस्या पर दान करने का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन दान करने से व्यापार में इजाफा होता है. साथ ही नौकरी में और बेहतर अवसरों की प्राप्ति होती है.

चैत्र अमावस्या की तिथि और शुभ मुहूर्तः

० चैत्र अमावस्या तिथि: 21 मार्च (मंगलवार)

० शुभ योग:- 20 मार्च (सोमवार) 04:21 PM से 21 मार्च (मंगलवार) 12:42 PM तक

० सर्वार्थ सिद्धि योग:- 21 मार्च (मंगलवार) 5:26PM से 22 मार्च (बुधवार) 6:23 AM तक

पूजा विधि: चैत्र अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदियों (गंगा स्नान) में स्नान करें. यदि पवित्र नदियों में स्नान करने में असुविधा है तो घर में नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें. भगवान सूर्य देव को तांबे के पात्र में जल अर्पित करें. अपने सामर्थ्य के अनुसार वस्त्र, अनाज, फल आदि दान करें. चैत्र अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण जरूर करना चाहिए. ऐसा करने से देवी-देवताओं की विशेष कृपा होती है और पितरों का आशीर्वाद मिलता है.

मान्यताओं के मुताबिक, अमावस्या पर नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव काफी ज्यादा रहता है. यह नकारात्मक शक्तियां मानसिक और शारीरिक हानि पहुंचाने वाली होती है. नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव से बचने के लिए शास्त्रों में अमावस्या के दिन कई कार्यों को करने की मना ही बताई गई है.

० चैत्र अमावस्या के दिन देर तक सोने से बचें. सूर्य उदय से पहले उठकर स्नान आदि करें. माना जाता है कि चैत्र अमावस्या पर सूर्य उदय से पहले उठकर स्नानादि करने से पितर प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं.

० चैत्र अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने की काफी मान्यता है. यदि किसी कारणवश अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने में असंभव है तो घर में ही नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान कर सकते हैं. नहाने के पानी में चंद बूंदे गंगाजल मिला सकते हैं.

० चैत्र अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या भी कहते हैं. चैत्र अमावस्या की रात सुनसान जगह पर जाने से बचना चाहिए. अमावस्या की रात श्मशान आदि के आसपास से निकलने से भी परहेज करना चाहिए.

० पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक मकर संक्रांति, अमावस्या, चतुर्दशी, पूर्णिमा और एकादशी तिथि के दिन संबंध नहीं बनाने चाहिए. इस दिन ऐसा करना पाप माना गया है.

० चैत्र अमावस्या के दिन बाल, नाखून आदि काटने की मनाही बताई गई है.

० चैत्र अमावस्या के दिन शुभ कार्यों की शुरुआत नहीं करनी चाहिए. इस दिन शुभ कार्य को टालना ही बेहतर माना गया है.

नोटः यह खबर जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है किसी भी मान्यता और जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें ईटीवी भारत किसी भी तरह की मान्यताएं जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.

नई दिल्लीः हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है. चैत्र महीने में पड़ने वाली अमावस्या को चैत्र अमावस्या कहते हैं. चैत्र अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या या भौमवती अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. इस बार चैत्र अमावस्या मंगलवार यानी कि 21 मार्च को पड़ रही है. चैत्र अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पाप नष्ट होते हैं और पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. चैत्र अमावस्या पर दान करने का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन दान करने से व्यापार में इजाफा होता है. साथ ही नौकरी में और बेहतर अवसरों की प्राप्ति होती है.

चैत्र अमावस्या की तिथि और शुभ मुहूर्तः

० चैत्र अमावस्या तिथि: 21 मार्च (मंगलवार)

० शुभ योग:- 20 मार्च (सोमवार) 04:21 PM से 21 मार्च (मंगलवार) 12:42 PM तक

० सर्वार्थ सिद्धि योग:- 21 मार्च (मंगलवार) 5:26PM से 22 मार्च (बुधवार) 6:23 AM तक

पूजा विधि: चैत्र अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदियों (गंगा स्नान) में स्नान करें. यदि पवित्र नदियों में स्नान करने में असुविधा है तो घर में नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें. भगवान सूर्य देव को तांबे के पात्र में जल अर्पित करें. अपने सामर्थ्य के अनुसार वस्त्र, अनाज, फल आदि दान करें. चैत्र अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण जरूर करना चाहिए. ऐसा करने से देवी-देवताओं की विशेष कृपा होती है और पितरों का आशीर्वाद मिलता है.

मान्यताओं के मुताबिक, अमावस्या पर नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव काफी ज्यादा रहता है. यह नकारात्मक शक्तियां मानसिक और शारीरिक हानि पहुंचाने वाली होती है. नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव से बचने के लिए शास्त्रों में अमावस्या के दिन कई कार्यों को करने की मना ही बताई गई है.

० चैत्र अमावस्या के दिन देर तक सोने से बचें. सूर्य उदय से पहले उठकर स्नान आदि करें. माना जाता है कि चैत्र अमावस्या पर सूर्य उदय से पहले उठकर स्नानादि करने से पितर प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं.

० चैत्र अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने की काफी मान्यता है. यदि किसी कारणवश अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने में असंभव है तो घर में ही नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान कर सकते हैं. नहाने के पानी में चंद बूंदे गंगाजल मिला सकते हैं.

० चैत्र अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या भी कहते हैं. चैत्र अमावस्या की रात सुनसान जगह पर जाने से बचना चाहिए. अमावस्या की रात श्मशान आदि के आसपास से निकलने से भी परहेज करना चाहिए.

० पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक मकर संक्रांति, अमावस्या, चतुर्दशी, पूर्णिमा और एकादशी तिथि के दिन संबंध नहीं बनाने चाहिए. इस दिन ऐसा करना पाप माना गया है.

० चैत्र अमावस्या के दिन बाल, नाखून आदि काटने की मनाही बताई गई है.

० चैत्र अमावस्या के दिन शुभ कार्यों की शुरुआत नहीं करनी चाहिए. इस दिन शुभ कार्य को टालना ही बेहतर माना गया है.

नोटः यह खबर जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है किसी भी मान्यता और जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें ईटीवी भारत किसी भी तरह की मान्यताएं जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.

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