नई दिल्ली: मेट्रो से सफर करने वाले लोग जल्द ही चालक रहित मेट्रो से सफर कर सकेंगे. डीएमआरसी ने काफी समय पहले ये सपना लोगों को दिखाया था जो अगले साल सच होने जा रहा है. इस तरह की मेट्रो डीएमआरसी के नेटवर्क पर पहले से ही पिंक लाइन और मैजेंटा लाइन पर मौजूद हैं. माना जा रहा है कि अगले साल मई महीने तक चालक रहित मेट्रो का परिचलान किया जा सकेगा.
हो रही है स्टडी
DMRC बिना ड्राइवर मेट्रो चलाने के लिए फिलहाल स्टडी करवा रही है और इसके पूरे होते ही मई 2020 तक चालक रहित मेट्रो का परिचालन किया जा सकता है. जानकारी के मुताबिक दिल्ली में मेट्रो का नेटवर्क 377 किलोमीटर लंबा हो चुका है. लेकिन अभी तक विदेशों में चलने वाली चालक रहित मेट्रो का परिचालन दिल्ली मेट्रो में नहीं किया जा रहा है, मेट्रो की पिंक और मैजेंटा ऐसी दो मेट्रो लाइन है जो पूरी तरीके से ऑटोमेटिक हैं. ये बिना चालक के चल सकती हैं. इन दोनों लाइन पर विदेशों की तर्ज पर ऐसी मेट्रो उतारी गई हैं जो ऑटोमेटिक सिग्नल से चलती हैं. इसमें चालक की आवश्यकता नहीं है, लेकिन इसके बावजूद इसके परिचालन में लगभग 2 साल से चालक लगाए गए हैं. ये चालक मेट्रो रोकने, गेट खोलने, ब्रेक लगाने और मेट्रो चलाने का काम करते हैं, जबकि ये सभी काम करने की क्षमता इस मेट्रो ट्रेन में खुद है.
मई तक दौड़ सकती है बिना ड्राइवर की मेट्रो
DMRC अब मेट्रो को बिना चालक के चलाने के लिए तैयारी शुरू कर चुकी है. इसके लिए नए सिरे से सलाहकार की नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है. ये सलाहकार पूरी मेट्रो लाइन का निरीक्षण कर बताएंगे कि किस तरीके से इस पर बिना चालक के मेट्रो को चलाया जाएगा. वो इस बात की जांच करेंगे कि दोनों लाइन पर चालक रहित मेट्रो तकनीकी रूप से चलने के लिए कितनी सक्षम है. अभी फिलहाल इन दोनों लाइनों पर ग्रेड ऑफ ऑटोमेशन का इस्तेमाल हो रहा है. इसके तहत मेट्रो चलती तो खुद है लेकिन चालक मौजूद होते हैं. वो दरवाजे को खोलने- बंद करने, ब्रेक लगाने और मेट्रो को नियंत्रित करने का काम करते हैं.
सीबीडीटी सिस्टम से चलती है चालक रहित मेट्रो
डीएमआरसी की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक चालक रहित मेट्रो सीबीडीटी सिस्टम से चलती है. इसके तहत मेट्रो को ट्रैक पर बने हुए टावर से सिग्नल मिलते हैं. इस सिग्नल से ये मेट्रो अगले टावर तक पहुंचती है और वहां से अगले टावर का सिग्नल उसे आगे बढ़ाता है. इसमें ऐसा सिस्टम है जिससे कभी भी दो मेट्रो एक दूसरे के करीब नहीं आ सकती है. अगर ऐसा होता है तो उन्हें सिग्नल मिलना बंद हो जाएगा और मेट्रो रुक जाएगी. इसलिए ये पूरी तरीके से सुरक्षित है. इस मेट्रो नेटवर्क पर सभी स्टेशनों के ऊपर स्क्रीन डोर लगे होते हैं, जिसकी वजह से कोई मेट्रो के आगे नहीं आ सकता.
हादसा होने के चलते नहीं हो सकी थी शुरुआत
लगभग 2 साल पहले मैजेंटा लाइन के जसोला डिपो में अचानक एक ट्रेन दीवार तोड़ती हुई बाहर निकल गई थी. इससे लोगों के बीच में ये संदेश गया था कि ये चालक रहित मेट्रो है जो दीवार तोड़कर निकल गई. जबकि वास्तव में ये ट्रेन लुढ़क कर चली गई थी, क्योंकि इसका ब्रेक नहीं लगा हुआ था. इसलिए उस समय मेट्रो को बिना चालक चलाने के लिए सहमति नहीं बन पाई थी.