नई दिल्ली: एम्स ने हाल ही में एक रिसर्च की है, जिसमें ये सामने आया है कि हेयर डाई और कॉस्मेटिक का उपयोग लोगों में त्वचा की बीमारी का बड़ा कारण बन रहा है. डॉक्टरों का मानना है कि इसके लिए एहतियात बरतना बेहद जरूरी है. डॉक्टरों का यह भी कहना है अभी तक अपने देश में कॉस्मेटिक को लेकर कोई नियम नहीं है, जिसकी वजह से कंपनियां केमिकल का उपयोग कर रही हैं, जिससे यह केमिकल त्वचा रोग को दावत दे रही हैं.
कॉस्मेटिक की वजह से बीमारी
एम्स के प्रोफेसर वीके शर्मा ने बताया कि हाल ही में एम्स ने बढ़ते कॉस्मेटिक और हेयर डाई को देखते हुए 106 लोगों पर रखी. जिसमें यह सामने आया कि हेयर डाई का उपयोग करने की वजह से शरीर और सिर के कई हिस्सों में दाद, स्किन का लाल होना या काला होना पाया गया.
उन्होंने बताया कि जब इस तरीके के मरीज ज्यादा आने लगे तो सर्च की गई कि आखिर मरीज जिस कॉस्मेटिक का उपयोग कर रहे हैं, उसमें क्या केमिकल है. उन्होंने बताया कि संबंधित कंपनियों के कॉस्मेटिक में कई बड़ी कंपनियों के पदार्थ में शामिल थे. जिसमें यह पाया गया कि यह लोग भारी मात्रा में केमिकल उपयोग करते हैं जिसकी वजह से लोगों में त्वचा रोग हो रहा है.
72 प्रतिशत सेंपल में पाया गया कैमिकल
एम्स श्रीनगर की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर रीति भाटिया ने हेयर डाई को लेकर रिसर्च की है. उन्होंने बताया कि हमने कुल 106 सैंपल लिए थे जिसमें की 72 प्रतिशत सैंपल में केमिकल पाया गया. डॉक्टर रीति ने बताया कि यह बेहद ही चिंता की बात है कि आजकल त्वचा से जुड़ी बीमारियां लोगों में बढ़ती जा रही है और इसके पीछे का कारण कॉस्मेटिक का यूज करना है उनका मानना है कि ज्यादातर लोग जो है घर पर ही बालों में हेयर डाई करते हैं. जिसके चलते उसका केमिकल शरीर के अन्य हिस्सों को भी पहुंचता है, ऐसे में केमिकल का असर त्वचा रोग पर पड़ रहा है.
सरकार से शिकंजा कसने के लिए करेंगे अनुरोध
डॉ. वीके शर्मा ने बताया कि जिस तरीके से कॉस्मेटिक में केमिकल की मात्रा पाई जा रही है, उसे लेकर सीओडीएफए और डॉक्टरों की टीम जल्द ही सरकार से इस पर कदम उठाने के लिए अनुरोध करेगी. उनका कहना है कि सरकार को इस ओर अब कदम उठाने की जरूरत है.