नई दिल्ली: विदेशी महिला द्वारा दुष्कर्म का आरोप लगने के चलते जिस तिहाड़ जेल में प्रसिद्ध डायरेक्टर फारूकी को विचाराधीन कैदी बनकर रहना पड़ा, वहीं इस बार पूरे सम्मान के साथ वह बुलाये गए. वह भी बतौर डायरेक्टर रामलीला का मंचन करने के लिए. तिहाड़ जेल में आयोजित रामलीला को उन्होंने डायरेक्ट किया जिसमें कैदियों ने विभिन्न किरदार निभाए. यह रामलीला वहां के कैदियों एवं अधिकारियों को बेहद पसंद आई.
जानकारी के अनुसार कुछ साल पहले एक विदेशी महिला ने डायरेक्टर फारूकी पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था. दक्षिण-पूर्वी जिला पुलिस ने इस मामले में उन्हें गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल भेजा था. यहां पर लगभग एक साल बतौर विचाराधीन कैदी उन्हें रहना पड़ा था. इस मामले में सुनवाई के बाद उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट ने बरी कर दिया था. वर्ष 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट के इस फैसले में को सही ठहराया था.
जेल जाकर रामलीला में किया सहयोग
जेल अधिकारियों का कहना है कि तिहाड़ जेल में हाउस ड्रामा क्लब के सदस्य रामलीला का मंचन करते हैं. इसमें तिहाड़ जेल के कैदी भी हिस्सा लेते हैं. इसका प्रमुख मकसद होता है कि त्यौहार के मौके पर कैदी खुद को अकेला महसूस ना करें. तिहाड़ जेल में इस रामलीला का मंचन किया गया, जिसमें मशहूर डायरेक्टर फारूकी ने जाकर रामलीला का मंचन करवाया. उन्होंने सभी को स्क्रिप्ट के अनुसार किरदार दिया और यहां एक बेहतरीन रामलीला का मंचन करवाया. जेल प्रशासन के अनुसार इस रामलीला के मंचन में रामलीला की स्क्रिप्ट अधिकांश कैदियों को पता थी.
रामलीला में नहीं होता युद्ध का सीन
जेल सूत्रों के अनुसार यहां पर आयोजित होने वाली रामलीला में हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया जाता. इस वजह से यहां पर युद्ध का सीन नहीं रखा गया. यहां पर कैदी राम, लक्ष्मण और रावण बनने को तो तैयार दिखे, लेकिन सीता बनने को कोई तैयार नहीं हो रहा था. दरअसल कैदी महिला का किरदार नहीं करना चाहते थे. इस वजह से रामलीला के मंचन में थोड़ी समस्या आई.
मुस्लिम कैदियों सहित 3400 ने रखा नवरात्रों का व्रत
नवरात्रों के दौरान तिहाड़ जेल में बंद कुल 16000 कैदियों में से 3400 कैदियों ने व्रत रखें. इनमें 48 मुस्लिम एवं 14 विदेशी कैदी भी शामिल है. उनके व्रत को ध्यान में रखते हुए तिहाड़ प्रशासन की तरफ से उनके लिए अलग खाने का इंतजाम भी किया गया था..