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कार्तिक पूर्णिमा: काशी के घाटों पर उमड़ा जनसैलाब, श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई डुबकी

यूपी के वाराणसी में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी है. सुबह होते ही लोगों ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर कार्तिक पूर्णिमा पर मोक्ष की कामना की.

श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी
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Published : Nov 12, 2019, 10:20 AM IST

नई दिल्ली/ वराणसी: आज कार्तिक पूर्णिमा का दिन है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य के भागी बनने को हर कोई आतुर होता है. इस मौके पर धर्म नगरी वाराणसी में गंगा घाटों पर जबरदस्त भीड़ उमड़ी है. सोमवार देर रात से ही दूर-दूर से महिलाएं और पुरुष काशी पहुंचे हैं. सुबह होने के साथ ही मंगलवार को लोगों ने आस्था की डुबकी लगाकर कार्तिक पूर्णिमा पर मोक्ष की कामना की.

कार्तिक पूर्णिमा पर काशी के घाटों पर उमड़ा जनसैलाब

कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

काशी में 7 बार 9 त्योहार का अद्भुत संगम देखने को मिलता है. यही वजह है कि छोटे-छोटे पर्व बड़े धूमधाम के साथ मनाए जाते हैं. काशी के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है कार्तिक पूर्णिमा. इस दिन काशी के घाटों पर शाम होते-होते लाखों दीये टिमटिमाते नजर आते हैं. इसके पहले सुबह गंगा स्नान संपन्न होता है. इसे लेकर काशी के घाटों पर जबरदस्त भीड़ देखने को मिल रही है.

पुलिस प्रशासन की तरफ से भी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. मंगलवार को लाखों की तादाद में लोगों ने गंगा में डुबकी लगाई. आज चार माह तक चलने वाले चातुर्यमास का भी समापन होता है.

यह है मान्यता
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आज के दिन भगवान शिव ने दैत्य त्रिपुरासुर का वध किया था. उसके आतंक से परेशान देवताओं ने भगवान शिव के स्वागत में काशी पहुंचकर घाटों पर दीपक जलाए थे. काशी के घाटों पर पहुंचकर देव दीपावली का पर्व मनाया था, जो परंपरा आज भी निभाई जा रही है.

नई दिल्ली/ वराणसी: आज कार्तिक पूर्णिमा का दिन है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य के भागी बनने को हर कोई आतुर होता है. इस मौके पर धर्म नगरी वाराणसी में गंगा घाटों पर जबरदस्त भीड़ उमड़ी है. सोमवार देर रात से ही दूर-दूर से महिलाएं और पुरुष काशी पहुंचे हैं. सुबह होने के साथ ही मंगलवार को लोगों ने आस्था की डुबकी लगाकर कार्तिक पूर्णिमा पर मोक्ष की कामना की.

कार्तिक पूर्णिमा पर काशी के घाटों पर उमड़ा जनसैलाब

कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

काशी में 7 बार 9 त्योहार का अद्भुत संगम देखने को मिलता है. यही वजह है कि छोटे-छोटे पर्व बड़े धूमधाम के साथ मनाए जाते हैं. काशी के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है कार्तिक पूर्णिमा. इस दिन काशी के घाटों पर शाम होते-होते लाखों दीये टिमटिमाते नजर आते हैं. इसके पहले सुबह गंगा स्नान संपन्न होता है. इसे लेकर काशी के घाटों पर जबरदस्त भीड़ देखने को मिल रही है.

पुलिस प्रशासन की तरफ से भी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. मंगलवार को लाखों की तादाद में लोगों ने गंगा में डुबकी लगाई. आज चार माह तक चलने वाले चातुर्यमास का भी समापन होता है.

यह है मान्यता
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आज के दिन भगवान शिव ने दैत्य त्रिपुरासुर का वध किया था. उसके आतंक से परेशान देवताओं ने भगवान शिव के स्वागत में काशी पहुंचकर घाटों पर दीपक जलाए थे. काशी के घाटों पर पहुंचकर देव दीपावली का पर्व मनाया था, जो परंपरा आज भी निभाई जा रही है.

Intro:वाराणसी: आज कार्तिक पूर्णिमा का दिन है और कार्तिक पूर्णिमा को गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य के भागी बने को हर कोई आतुर होता है और इस मौके पर धर्म नगरी वाराणसी में काशी के गंगा घाटों पर जबरदस्त भीड़ उमड़ी है देर रात से ही दूर दूर से पहुंची महिलाएं और पुरुष ठंड के बाद भी पूरी रात गंगा घाट पर डटे रहे सुबह होने के साथ ही लोगों ने आस्था की डुबकी लगाकर कार्तिक पूर्णिमा पर पुण्य का बागी वन मोक्ष की कामना की.


Body:वीओ-01 काशी में 7 बार 9 त्यौहार का अद्भुत संगम देखने को मिलता है यही वजह है कि छोटे-छोटे पर्व विकास में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाते हैं और काशी के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है कार्तिक पूर्णिमा किस दिन काशी के घाटों पर शाम होते होते लाखों दिए टिमटिमाने लगते हैं इसके पहले सुबह गंगा स्नान बी संपन्न होता है जिसे लेकर कल देर रात से ही काशी के घाटों पर जबरदस्त भीड़ देखने को मिल रहे थे पुलिस प्रशासन की तरफ से भी भीड़ को देखते हुए डायवर्जन प्लान लागू कर दिया गया था और आज सुबह होते होते लाखों की तादाद में लोगों ने गंगा में डुबकी लगाई. आज चार माह तक चलने वाले चातुर्यमास का भी समापन होता है, जिसके कारण घाटों पर जबरदस्त भीड़ उमड़ी है.


Conclusion:वीओ-02 पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आज भगवान शिव ने दित्य त्रिपुरासुर का वध किया था और उसके आतंक से परेशान देवताओं ने भगवान शिव के स्वागत में काशी पहुंचकर घाटों पर दीपक जलाए थे और काशी के घाटों पर पहुंचकर देव दीपावली का पर्व मनाया था जो परंपरा आज भी निभाई जा रही है.

बाईट- वासुदेव, तीर्थ पुरोहित
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