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डिप्टी सीएम ने डीयू के वीसी को लिखा पत्र, पूछा- बिना सरकार की सहमति के कैसे कर रहे हैं प्रोफेसरों की नियुक्ति

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Published : Feb 16, 2023, 7:14 PM IST

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने डीयू के कुलपति को पत्र लिखकर कहा है कि दिल्ली सरकार के कॉलेजों में जहां प्रोफेसरों की नियुक्ति के लिए साक्षात्कार होना है, वहां इन पदों के लिए निर्धारित साक्षात्कार को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया जाना चाहिए. दिल्ली सरकार के कॉलेजों में बिना सरकार के पूछे और सहमति लिए बिना आपकॉलेजों में प्रोफेसरों की नियुक्ति कैसे कर रहे हैं.

दिल्ली के डिप्टी सीएम और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया
दिल्ली के डिप्टी सीएम और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया

नई दिल्ली: दिल्ली के डिप्टी सीएम और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली यूनिवर्सिटी(डीयू) के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह को गुरुवार को पत्र लिखा है. सिसोदिया ने वीसी को लिखे पत्र में उनसे पूछा है कि दिल्ली सरकार के कॉलेजों में बिना सरकार के पूछे और सहमति लिए बिना आप कॉलेजों में प्रोफेसरों की नियुक्ति कैसे कर रहे हैं.

मालूम हो कि दिल्ली सरकार के कॉलेजों में डीयू की ओर से प्रोफेसरों की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया चल रही है. विश्वविद्यालय के कदम के खिलाफ डीयू वीसी को डिप्टी सीएम ने पत्र लिखा है. यहां जानकारी के लिए बताते चले कि बीते दिनों पहले स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज में 16 फरवरी को अंग्रेजी के सहायक प्रोफेसरों के लिए साक्षात्कार शुरू करने के मामले में भी डीयू वीसी को डीयू ईसी के सदस्यों द्वारा पत्र लिखा गया था. जिसमें कहा गया था कि दिल्ली सरकार ने आपको बार-बार लिखा है कि जब तक दिल्ली सरकार के नामित व्यक्ति जीबी के सदस्य नहीं बन जाते, तब तक साक्षात्कार आयोजित न करें. वर्तमान में दिल्ली सरकार के कॉलेजों के जीबी में दिल्ली सरकार का कोई नामांकित व्यक्ति नहीं है.


पत्र में सिसोदिया ने क्या कहा, जानिए
सिसोदिया ने डीयू के कुलपति को लिखे पत्र में कहा है कि मेरे संज्ञान में आया है कि दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) द्वारा वित्तपोषित 28 कॉलेजों में से कुछ में स्थायी पदों के लिए साक्षात्कार आयोजित किए जा रहे हैं. इसमें अन्य कॉलेजों के अलावा स्वामी श्रद्धानद कॉलेज शामिल है, जहां साक्षात्कार 16 मार्च से आयोजित किए गए. जैसा कि आप अच्छी तरह से जानते हैं, इन 28 कॉलेजों में से कई में एक पूर्ण शासी निकाय नहीं है और वर्तमान में जीएनसीटीडी के प्रतिनिधित्व के बिना एक छोटे निकाय द्वारा शासित है. मैं महत्वपूर्ण शिक्षण पदों को भरने के लिए साक्षात्कार आयोजित करने के महत्व को समझता हूं लेकिन इन कॉलेजों के लिए लिया गया कोई भी वित्तीय निर्णय जीएनसीटीडी पर भी वित्तीय प्रभाव डालता है.

तुरंत रद्द किया जाए साक्षात्कार
मनीष ने आगे कहा कि दिल्ली सरकार के कॉलेजों में जहां प्रोफेसरों की नियुक्ति के लिए साक्षात्कार होना है, वहां इन पदों के लिए निर्धारित साक्षात्कार को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया जाना चाहिए क्योंकि कोई भी वित्तीय निर्णय एक पूर्ण शासी निकाय के अनुमोदन के बिना नहीं लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि जल्द ही कॉलेजों के शिक्षण पदों को भरने के महत्व को ध्यान में रखते हुए शासी निकायों के गठन की प्रक्रिया में तेजी लाई जाएगी.

ये भी पढ़ेंः CM केजरीवाल ने कहा- टॉप 10 प्रदूषित शहरों की सूची में दिल्ली नहीं, BJP बोली- जनता को गुमराह न करें

नई दिल्ली: दिल्ली के डिप्टी सीएम और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली यूनिवर्सिटी(डीयू) के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह को गुरुवार को पत्र लिखा है. सिसोदिया ने वीसी को लिखे पत्र में उनसे पूछा है कि दिल्ली सरकार के कॉलेजों में बिना सरकार के पूछे और सहमति लिए बिना आप कॉलेजों में प्रोफेसरों की नियुक्ति कैसे कर रहे हैं.

मालूम हो कि दिल्ली सरकार के कॉलेजों में डीयू की ओर से प्रोफेसरों की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया चल रही है. विश्वविद्यालय के कदम के खिलाफ डीयू वीसी को डिप्टी सीएम ने पत्र लिखा है. यहां जानकारी के लिए बताते चले कि बीते दिनों पहले स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज में 16 फरवरी को अंग्रेजी के सहायक प्रोफेसरों के लिए साक्षात्कार शुरू करने के मामले में भी डीयू वीसी को डीयू ईसी के सदस्यों द्वारा पत्र लिखा गया था. जिसमें कहा गया था कि दिल्ली सरकार ने आपको बार-बार लिखा है कि जब तक दिल्ली सरकार के नामित व्यक्ति जीबी के सदस्य नहीं बन जाते, तब तक साक्षात्कार आयोजित न करें. वर्तमान में दिल्ली सरकार के कॉलेजों के जीबी में दिल्ली सरकार का कोई नामांकित व्यक्ति नहीं है.


पत्र में सिसोदिया ने क्या कहा, जानिए
सिसोदिया ने डीयू के कुलपति को लिखे पत्र में कहा है कि मेरे संज्ञान में आया है कि दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) द्वारा वित्तपोषित 28 कॉलेजों में से कुछ में स्थायी पदों के लिए साक्षात्कार आयोजित किए जा रहे हैं. इसमें अन्य कॉलेजों के अलावा स्वामी श्रद्धानद कॉलेज शामिल है, जहां साक्षात्कार 16 मार्च से आयोजित किए गए. जैसा कि आप अच्छी तरह से जानते हैं, इन 28 कॉलेजों में से कई में एक पूर्ण शासी निकाय नहीं है और वर्तमान में जीएनसीटीडी के प्रतिनिधित्व के बिना एक छोटे निकाय द्वारा शासित है. मैं महत्वपूर्ण शिक्षण पदों को भरने के लिए साक्षात्कार आयोजित करने के महत्व को समझता हूं लेकिन इन कॉलेजों के लिए लिया गया कोई भी वित्तीय निर्णय जीएनसीटीडी पर भी वित्तीय प्रभाव डालता है.

तुरंत रद्द किया जाए साक्षात्कार
मनीष ने आगे कहा कि दिल्ली सरकार के कॉलेजों में जहां प्रोफेसरों की नियुक्ति के लिए साक्षात्कार होना है, वहां इन पदों के लिए निर्धारित साक्षात्कार को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया जाना चाहिए क्योंकि कोई भी वित्तीय निर्णय एक पूर्ण शासी निकाय के अनुमोदन के बिना नहीं लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि जल्द ही कॉलेजों के शिक्षण पदों को भरने के महत्व को ध्यान में रखते हुए शासी निकायों के गठन की प्रक्रिया में तेजी लाई जाएगी.

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