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दिल्ली हिंसा सोची-समझी साजिश : हाईकोर्ट - Delhi violence was a well-planned conspiracy

दिल्ली हिंसा पर दिल्ली हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि यह एक सुनियोजित साजिश का परिणाम थी. कोर्ट ने ये टिप्पणी दिल्ली दंगों के आरोपी मोहम्मद इब्राहिम की जमानत याचिका पर की. कोर्ट की टिप्पणी पर बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने एक वीडियो जारी करते हुए कहा कि अब कोर्ट ने भी कह दिया कि हिंसा एक साजिश थी. इन आतंकियों को बचाने वाला गैंग मेरे खिलाफ इल्जाम लगाता रहा.

दिल्ली हिंसा
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Published : Sep 28, 2021, 4:08 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के एक आरोपी मोहम्मद इब्राहिम की जमानत याचिका खारिज करते हुए टिप्पणी की कि दिल्ली हिंसा एक सोची-समझी साजिश थी. हेड कांस्टेबल रतनलाल की हत्या के आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी की कि हिंसा की योजना सरकार और आम जनजीवन को प्रभावित करने के लिए बनाई गई थी.

कोर्ट ने कहा कि जिस तरह CCTV कैमरे नष्ट किए गए और उन्हें हटाया गया. उससे साफ है कि इसके लिए एक सोची-समझी योजना बनाई गई थी. कई उपद्रवी डंडे, बल्ले और हथियारों के साथ घूमते रहे, जिनके सामने पुलिस बल भी निरीह साबित हुई. कोर्ट ने कहा कि निजी स्वतंत्रता का ये मतलब नहीं है कि वह सामाजिक ताने-बाने को नष्ट कर दें.

कोर्ट की टिप्पणी पर कपिल मिश्रा का बयान

कोर्ट ने मोहम्मद इब्राहिम की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि वह कई CCTV कैमरों के फुटेज में जालीदार टोपी और नेहरू जैकेट पहने हुए देखा गया. इब्राहिम को भले ही घटनास्थल पर नहीं देखा गया, लेकिन वह दंगाइयों की भीड़ का हिस्सा जरूर था.

ये भी पढ़ें- दिल्ली: दंगे के आरोपपत्र में आया कपिल मिश्रा का नाम, गवाह ने किया खुलासा

दिल्ली हाई कोर्ट की इस टिप्पणी पर बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने कहा कि वो पहले से यह कहते रहे हैं कि दिल्ली हिंसा के लिए साजिश रची गई थी. इसके लिए हथियार जुटाए गए. उन्होंने कहा कि दिल्ली के दंगों का सच अब सामने आने लगा है.

ये भी पढ़ें- दिल्ली हिंसा की आरोपी गुलफिशा फातिमा से अपनों ने तोड़ा रिश्ता, जानें क्यों

इस मामले में कोर्ट में कुल 11 आरोपियों ने जमानत याचिका दायर की थी, जिनमें से आठ को जमानत दी गई है. जबकि तीन आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी गई है. 14 सितंबर को कोर्ट ने इसी मामले में दो आरोपियों को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था जबकि दो की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. कोर्ट ने आरोपियों सादिक और इरशाद अली की जमानत याचिका खारिज कर दी, जबकि शाहनवाज और मोहम्मद अयूब को जमानत दे दी. तीन सितंबर को कोर्ट ने इस मामले में पांच आरोपियों को जमानत दे दी थी.

ये भी पढ़ें- दिल्ली हिंसा के दो और आरोपियों को मिली जमानत, गोली चलाने का था आरोप

तीन सितंबर को कोर्ट ने जिन पांच आरोपियों को जमानत दी है, उनमें मोहम्मद आरिफ, शादाब अहमद, फुरकान, सुवालीन और तबस्सुम शामिल हैं. कोर्ट ने कहा था कि अस्पष्ट साक्ष्यों और आम किस्म के आरोपों के आधार पर धारा 149 और 302 नहीं लगाई जा सकती है. साथ ही टिप्पणी की थी कि अगर भीड़ की बात आती है तो जमानत देते समय कोर्ट के लिए ये विचार करना महत्वपूर्ण है कि हर सदस्य गैरकानूनी भीड़ का हिस्सा है क्या.

ये भी पढ़ें- UAPA जैसे कठोर कानून के तहत जमानत याचिका तकनीकी गलती पर खारिज नहीं हो : गुलफिशा फातिमा

आठ जून 2020 को क्राइम ब्रांच की SIT ने रतनलाल की हत्या के मामले में चार्जशीट दाखिल की थी. इसमें कहा गया कि दंगाई बच्चों और बुजुर्गों को घर में रहने की नसीहत देकर सड़कों पर निकले थे. 23 फरवरी 2020 को हंगामे के बाद वह वापस लौट गए, लेकिन फिर 24 फरवरी 2020 को एक बार उपद्रवी सड़कों पर निकलकर उत्पात मचाने लगे.

इस हमले में शाहदरा के DCP, गोकलपुरी के ACP अनुज कमार समेत कई पुलिसकर्मी घायल हो गए. चार्जशीट में कहा गया है कि हिंसक भीड़ ने पास के मोहन नर्सिंग होम पर भी हमला किया. इसमें पुलिसकर्मी भर्ती थे. इसी हिंसा में हेड कांस्टेबल रतनलाल की मौत हो गई थी.

नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के एक आरोपी मोहम्मद इब्राहिम की जमानत याचिका खारिज करते हुए टिप्पणी की कि दिल्ली हिंसा एक सोची-समझी साजिश थी. हेड कांस्टेबल रतनलाल की हत्या के आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी की कि हिंसा की योजना सरकार और आम जनजीवन को प्रभावित करने के लिए बनाई गई थी.

कोर्ट ने कहा कि जिस तरह CCTV कैमरे नष्ट किए गए और उन्हें हटाया गया. उससे साफ है कि इसके लिए एक सोची-समझी योजना बनाई गई थी. कई उपद्रवी डंडे, बल्ले और हथियारों के साथ घूमते रहे, जिनके सामने पुलिस बल भी निरीह साबित हुई. कोर्ट ने कहा कि निजी स्वतंत्रता का ये मतलब नहीं है कि वह सामाजिक ताने-बाने को नष्ट कर दें.

कोर्ट की टिप्पणी पर कपिल मिश्रा का बयान

कोर्ट ने मोहम्मद इब्राहिम की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि वह कई CCTV कैमरों के फुटेज में जालीदार टोपी और नेहरू जैकेट पहने हुए देखा गया. इब्राहिम को भले ही घटनास्थल पर नहीं देखा गया, लेकिन वह दंगाइयों की भीड़ का हिस्सा जरूर था.

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दिल्ली हाई कोर्ट की इस टिप्पणी पर बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने कहा कि वो पहले से यह कहते रहे हैं कि दिल्ली हिंसा के लिए साजिश रची गई थी. इसके लिए हथियार जुटाए गए. उन्होंने कहा कि दिल्ली के दंगों का सच अब सामने आने लगा है.

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इस मामले में कोर्ट में कुल 11 आरोपियों ने जमानत याचिका दायर की थी, जिनमें से आठ को जमानत दी गई है. जबकि तीन आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी गई है. 14 सितंबर को कोर्ट ने इसी मामले में दो आरोपियों को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था जबकि दो की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. कोर्ट ने आरोपियों सादिक और इरशाद अली की जमानत याचिका खारिज कर दी, जबकि शाहनवाज और मोहम्मद अयूब को जमानत दे दी. तीन सितंबर को कोर्ट ने इस मामले में पांच आरोपियों को जमानत दे दी थी.

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तीन सितंबर को कोर्ट ने जिन पांच आरोपियों को जमानत दी है, उनमें मोहम्मद आरिफ, शादाब अहमद, फुरकान, सुवालीन और तबस्सुम शामिल हैं. कोर्ट ने कहा था कि अस्पष्ट साक्ष्यों और आम किस्म के आरोपों के आधार पर धारा 149 और 302 नहीं लगाई जा सकती है. साथ ही टिप्पणी की थी कि अगर भीड़ की बात आती है तो जमानत देते समय कोर्ट के लिए ये विचार करना महत्वपूर्ण है कि हर सदस्य गैरकानूनी भीड़ का हिस्सा है क्या.

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आठ जून 2020 को क्राइम ब्रांच की SIT ने रतनलाल की हत्या के मामले में चार्जशीट दाखिल की थी. इसमें कहा गया कि दंगाई बच्चों और बुजुर्गों को घर में रहने की नसीहत देकर सड़कों पर निकले थे. 23 फरवरी 2020 को हंगामे के बाद वह वापस लौट गए, लेकिन फिर 24 फरवरी 2020 को एक बार उपद्रवी सड़कों पर निकलकर उत्पात मचाने लगे.

इस हमले में शाहदरा के DCP, गोकलपुरी के ACP अनुज कमार समेत कई पुलिसकर्मी घायल हो गए. चार्जशीट में कहा गया है कि हिंसक भीड़ ने पास के मोहन नर्सिंग होम पर भी हमला किया. इसमें पुलिसकर्मी भर्ती थे. इसी हिंसा में हेड कांस्टेबल रतनलाल की मौत हो गई थी.

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