नई दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी आज अपने 100 वर्ष का जश्न मना रही है. इस कार्यक्रम को लेकर यूनिवर्सिटी ने कई तैयारियां कर रखी है. इस कार्यक्रम में कई गणमान्य गेस्ट को बुलाया गया है. वहीं कोरोना के प्रकोप को देखते हुए यूनिवर्सिटी ने कुछ ही लोगों को इस प्रोग्राम में शामिल होने के लिए इनविटेशन भेजे हैं. बाकी लोगों के लिए इस प्रोग्राम को देखने के लिए ऑनलाइन इंतजाम भी कर रखे हैं. यूनिवर्सिटी अपने यूट्यूब अकाउंट, टि्वटर अकाउंट और फेसबुक अकाउंट से प्रोग्राम को लाइव दिखाने की तैयारी में है. हालांकि इस प्रोग्राम को लेकर कई पूर्व-छात्र काफी उत्साहित भी नजर आ रहे हैं. सामाजिक कार्यकर्ता और दिल्ली यूनिवर्सिटी की पूर्व छात्रा योगिता बयाना ने कई अनुभव ईटीवी भारत से साझा किए.
सामाजिक कार्यकर्ता और दिल्ली यूनिवर्सिटी की पूर्व छात्रा योगिता बयाना ने बताया कि "जब हम लोग दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ते थे तो जो बाहर के स्टूडेंट थे और उनसे बातचीत करते थे, उनकी परेशानी समस्याओं को समझते थे. उस समय एक जिज्ञासा होती थी लोगों को दिक्कतें आ रही हैं तो उनका हल कर सकें. ऐसे तो दिल्ली यूनिवर्सिटी में एक यूनिक चीज है जो कि सभी यूनिवर्सिटी से दिल्ली यूनिवर्सिटी को काफी अलग करती है. यहां पर ज्यादातर बाहर के स्टूडेंट पढ़ने के लिए आते हैं जो एक माहौल मिलता है पूरे भारत को देखने का वह दिल्ली यूनिवर्सिटी अच्छा कहीं देखने को नहीं मिलेगा."
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योगिता बताती है कि "दिल्ली विश्वविद्यालय के इंफ्रास्ट्रक्चर में काफी बदलाव हुआ है, फैसिलिटी में भी काफी बदलाव हुए हैं, यह बदलाव आप कह सकते हैं. हालांकि दिल्ली यूनिवर्सिटी में जो कल्चर था अभी भी सेम है उसमें कोई भी कल्चरल डिफरेंस नहीं आया है, लेकिन कह सकते हैं कि जो दिखने में थी पहले वो अब बदल गया है."
योगिता ने बताया कि "दिल्ली यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स को पहले टीचर्स के प्रती रिस्पेक्ट होती थी. मुझे यह लग रहा है कि थोड़ा सा रिस्पेक्ट में जरूर फर्क आया है आज के जनरेशन को देखते हुए. जिस प्रकार से अपने सीनियर्स और अपने टीचर्स को रिस्पेक्ट देनी चाहिए वह नहीं है मुझे लगता है यह भी एक बदलाव आया है."
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"मुझे लगता है कि जो दिल्ली विश्वविद्यालय में फैसिलिटी है जो बच्चे बाहर से आते हैं पढ़ने के लिए यहां पर अभी भी उनके लिए फैसिलिटी इतनी नहीं है. अभी भी बेचारे यहां वहां पीजी ढूंढते हैं कमरे ढूंढते हैं, यह सब सुविधाएं जो यूनिवर्सिटी और कॉलेज को देनी चाहिए थी, वह नहीं है हॉस्टल की बड़ी कमी है. कॉलेज के अंदर जो हॉस्टल है वह काफी लिमिटेड संख्या में है. पढ़ने वाले की संख्या इतनी ज्यादा है कि काफी लोगों का एडमिशन मिल जाता है रहने के लिए अभी भी बेचारे परेशान हैं. जो बच्चे बाहर से आते हैं वह उस समय भी धक्के खाते हैं और अभी भी धक्के खा रहे हैं. मुझे लगता है कि यह सब प्रशासन को देखना चाहिए कि अगर वह एडमिशन दे रहे हैं बाहर के बच्चों को तो उन्हें रखने के लिए, उन्हें सेफ इनवायरमेंट देना चाहिए, विशेषकर महिलाओं के लिए मेरा काम है तो महिलाओं को जो सुविधा होनी चाहिए, जो सेफ्टी होने चाहिए वो अभी भी नहीं दिल्ली विश्वविद्यालय में."
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